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1 करोड़ का इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण, पुलिस सुधाकरण को पकड़ने महीनों से चला रही थी सर्च ऑपरेशन - झारखंड न्यूज

एक करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर सुधाकरण ने पुलिस के सामने आत्मसर्पण कर दिया. जिससे संगठन में खलबली मच गई. सुधाकरण बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सुप्रीम कमांडर था.

इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण
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Published : Feb 12, 2019, 7:41 AM IST

पलामू: एक करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर सुधाकरण ने पुलिस के सामने आत्मसर्पण कर दिया. जिससे संगठन में खलबली मच गई. सुधाकरण बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सुप्रीम कमांडर था.

इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण
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सुधाकरण के आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नेतृत्व विहीन माना जा रहा है. सुधाकरण को पकड़ने के लिए पुलिस 20 से अधिक कैम्प लगाकर लगातार सर्च अभियान चला रही थी. सुधाकरण मूल रूप से तेलंगाना का रहने वाला है. इनामी नक्सली देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद की मौत के बाद सुधाकरण को संगठन ने 2018 में सुप्रीम कमांडर बनाया था.


सुधाकरण को कोयल शंख जोन और मध्यजोन को मजबूत करने की भी जिम्मेवारी सौंपी गई थी. इससे पहले सुधाकरण छत्तीसगढ़ में सक्रिय था. जहां उन्होंने कई आतंक के खेल खेले थे. सुधाकरण तेज तर्रार दिमाग वाला नक्सली माना जाता था. संगठन में कमांडर की जिम्मेवारी मिलते ही उन्होंने नक्सलियों को मोबाइल का उपयोग नहीं करने को लेकर फरमान जारी किया था


सुधाकरण के भाई के पास से पुलिस को लाखों का सोना पकड़े जाने के बाद से संगठन ने उनसे दूरियां बनानी शुरु कर दी थी. साथ ही उसके कमांडर बनाए जाने से बिहार झारखंड के नक्सली भी खुस नहीं थे, जिससे उन्हें संगठन में ही जान का खतरा था. इसीलिए सुधाकरण ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना ही उचित समझा.

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पलामू: एक करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर सुधाकरण ने पुलिस के सामने आत्मसर्पण कर दिया. जिससे संगठन में खलबली मच गई. सुधाकरण बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सुप्रीम कमांडर था.

इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण
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सुधाकरण के आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नेतृत्व विहीन माना जा रहा है. सुधाकरण को पकड़ने के लिए पुलिस 20 से अधिक कैम्प लगाकर लगातार सर्च अभियान चला रही थी. सुधाकरण मूल रूप से तेलंगाना का रहने वाला है. इनामी नक्सली देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद की मौत के बाद सुधाकरण को संगठन ने 2018 में सुप्रीम कमांडर बनाया था.


सुधाकरण को कोयल शंख जोन और मध्यजोन को मजबूत करने की भी जिम्मेवारी सौंपी गई थी. इससे पहले सुधाकरण छत्तीसगढ़ में सक्रिय था. जहां उन्होंने कई आतंक के खेल खेले थे. सुधाकरण तेज तर्रार दिमाग वाला नक्सली माना जाता था. संगठन में कमांडर की जिम्मेवारी मिलते ही उन्होंने नक्सलियों को मोबाइल का उपयोग नहीं करने को लेकर फरमान जारी किया था


सुधाकरण के भाई के पास से पुलिस को लाखों का सोना पकड़े जाने के बाद से संगठन ने उनसे दूरियां बनानी शुरु कर दी थी. साथ ही उसके कमांडर बनाए जाने से बिहार झारखंड के नक्सली भी खुस नहीं थे, जिससे उन्हें संगठन में ही जान का खतरा था. इसीलिए सुधाकरण ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना ही उचित समझा.

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Intro:सुधारण का आत्मसमर्पण माओवादियों के लिए बड़ा झटका, माओवादियों का बिहार-झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ कमिटी हुआ नेतृत्व विहीन

पलामू। एक करोड़ के इनामी कमांडर सुधाकरण का आत्मसमर्पण माओवादियों के लिए बड़ा झटका है। सुधाकरण माओवादियों के सेंट्रल कमिटी के साथ साथ बिहार झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ कमिटी के मिल्ट्री विंग (PLGA) का सुप्रीम कमांडर था। सुधाकरण के आत्मसमर्पण के बाद माओवादियों का बिहार झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ कमिटी नेतृत्व विहीन हो गया है, कोई भी कैडर सुधाकरण के बराबर नही है। सुधाकरण के आत्मसमर्पण से बूढापहाड के इलाके में माओवादी बेहद कमजोर हो गए है। सुधाकरण के खिलाफ कार्रवाई के लिए झारखंड पुलिस ने 20 से अधिक पुलिस कैम्प की स्थापना किया था। सुधकारण मूल रूप से तेलंगाना का रहने वाला है। टॉप माओवादी देव् कुमार सिंह उर्फ अरविंद की मौत के बाद सुधकारण को नक्सलियों ने कमान दिया था।


Body:एक करोड़ इनामी देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद के बीमार रहने के कारण जनवरी 2015 में माओवादियों ने सुधकारण को बूढापहाड के इलाके में भेजा था। माओवादियों ने कोयल शंख जोन और मध्यजोन को मजबूत करने की जिम्मेवारी उस पर सौंपी थी। बूढापहाड के इलाके में आने से पहले सुधकारण छत्तीसगढ़ के इलाके में सक्रिय था। वह अपने 16 साथियों के साथ बूढापहाड के इलाके में आया हुआ था। मार्च 2018 में अरविंद की मौत के बाद सुधकारण को माओवादियों ने बिहार झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ कमिटी की जिम्मेवारी सौंपी थी। सुधकारण ने जिम्मेवारी लेते के साथ माओवादियों को मोबाइल इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी।


Conclusion:सुधकारण के कमांडर बनाए जाने से खुस नही थे झारखंड बिहार के माओवादी

सुधाकरण के कमांडर बनाए जाने से बिहार झारखंड के माओवादी खुस नही थे। सुधाकरण से नाराज हो कर ही बूढापहाड का सबसे कुख्यात कमांडर बिरसाय ने आत्मसमर्पण किया था। सुधाकरण ने अप्रैल में सारंडा सितंबर 2018 में बूढापहाड पर टॉप नक्सलियों के साथ बैठक की थी। सुधकारण कभी कोयल शंख जोन से बाहर नही निकला। सिर्फ एक बार सारंडा गया था। माओवादियों के कोयल शंख जोन में लातेहार, गढ़वा, लोहरदगा , गुमला और सिमडेगा का इलाका है।

माओवादी धीरे धीरे कर रहे किनारा

माओवादी सूत्रों के अनुसार सुधकारण के भाई के पास से लाखों का सोना पकड़े जाने के बाद से टॉप नक्सली सुधकारण को किनारा कर रहे थे। सूत्रों के अनुसाद जून जुलाई के दौरान सुधकारण ने करोड़ो की लेवी वसूली थी।

note--- naxal file video send through ftp / file name -JH_PAL_NIRAJ KUMAR_NAXAL_FILE VIDEO





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