रांचीः आज देश "नेशनल स्टार्टअप" दिवस मना रहा है. केंद्र सरकार ने स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत साल 2016 में की थी. मकसद था 'नये उद्यमी के आइडिया और सुझाव को अमलीजामा पहनाने में मदद करना'. इरादा नेक था. तब झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के इस मुहिम को मजबूती देने की लिए बढ़-चढ़कर दिलचस्पी दिखाई थी. आईआईएम अहमदाबाद के सहयोग से सीएम आवास के पास उत्पाद भवन में अटल बिहारी वाजपेयी इनोवेशन लैब की स्थापना की गई थी. झारखंड सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 2016 में स्टार्टअप पॉलिसी तैयारी की थी. साल 2021 में इस पॉलिसी के एक्सपायर होने पर विभाग ने साल 2023 में दोबारा पॉलिसी लागू किया, लेकिन मकसद पीछे छूट गया.
इंडियन स्टार्टअप एसोसिएशन ने कई अहम फैसले लिए
इंडियन स्टार्टअप एसोसिएशन ने "नेशनल स्टार्ट अप दिवस" पर बैठक कर कई फैसले लिए हैं. एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रतिन भदरा ने ईटीवी भारत से झारखंड में स्टार्टअप के हालात पर बात की है. उनका कहना है कि झारखंड सरकार द्वारा अब तक 107 स्टार्टअप चुने गए थे. हर स्टार्टअप को प्रोटोटाइप के लिए 10 लाख रुपये, मार्केटिंग के लिए 10 लाख रुपये, स्टाइपेंड के रूप में 7500 रुपये प्रतिमाह एक साल के लिए और इंकूबेशन सेंटर में ऑफिस स्पेस मुहैया कराना था. इनमें से 15 स्टार्टअप्स को तत्कालीन रघुवर दास के समय लाख-दो लाख रुपये दिए गए थे, लेकिन खानापूर्ति कर सारे मुहिम पर पानी फेर दिया गया.
अब विश्वविद्यालयों से उम्मीद - रतिन भद्रा
इंडियन स्टार्टअप एसोसिएशन के प्रेसिडेंड रतिन भद्रा का कहना है कि अब उनका संगठन सरकार को जगाने के पीछे अपना वक्त जाया नहीं करेगा. क्योंकि सरकार सुनना ही नहीं चाहती है. अब यूजीसी के आदेश के साथ आगे बढ़ना है. उस आदेश के मुताबिक हर यूनिवर्सिटी में इनोवेशन सेंटर खोला जाना है. इसलिए इंडियन स्टार्टअप एसोसिएशन सभी यूनिवर्सिटी से एप्रोच कर रहा है. हर तरह की मदद की जाएगी. हम भारत सरकार और यूनिवर्सिटी के बीच की कड़ी बनेंगे. हर यूनिवर्सिटी को केंद्र सरकार 10 करोड़ रुपये देने जा रही है. इसके लिए हम किसी तरह का चार्ज नहीं लेंगे. हमारी कोशिश होगी नए स्टार्टअप खासकर उन उद्यमियों को खड़ा करना जिनके आईडिया को परखा जा चुका है.
झारखंड का स्टार्टअप दूसरे प्रदेशों में शिफ्ट
झारखंड में 107 स्टार्टअप्स के आईडिया चिन्हित किए गए थे, लेकिन सपोर्ट नहीं मिला. इनमें से 80 प्रतिशत स्टार्टअप्स या तो बंद हो गए या झारखंड छोड़कर चले गए. रवि रंजन सिंह ने वॉव जिंदगी स्टार्टअप शुरु किया था. उनका मकसद था इको टूरिज्म को बढ़ावा देना, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. अब इनकी कंपनी ओडिशा शिफ्ट हो गई है. आशीष तिवारी आईटी सेक्टर के लिए अपना फेसबुक बना रहे थे. अब मुंबई में हैं. राजवीर सिंह की ओस्टेलो प्राइवेट लिमिटेड ने सभी कोचिंग संस्थान को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की कवायद शुरु की थी. इससे बेस्ट सेंटर ढूंढने में मदद मिलती है. लेकिन इनको तवज्जो नहीं दिया गया.
एक्वालाइन भुंगरू को भी नहीं मिला सपोर्ट
इंडियन स्टार्टअप एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रतिन भद्रा का कहना है कि उन्होंने जल संरक्षण तकनीक डेवलप की है. इसका नाम है "एक्वालाइन भुंगरू". इसको ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की जल समस्या को हल करने के लिए विकसित किया गया है. यह तकनीक बारिश के पानी को भूमि के भीतर बड़े भंडारण क्षेत्रों में संरक्षित करती है और जरूरत के समय इसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, लेकिन इसको लेकर झारखंड में कोई सपोर्ट नहीं मिला.
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