लोहरदगा: सरकार की ओर से जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) दुकान की व्यवस्था की गई है. इस दुकानों के माध्यम से गरीब परिवारों को सस्ते दर पर चावल-गेंहू उपलब्ध कराया जाता है, ताकि कोई भी व्यक्ति कुपोषित और भूखा नहीं रहे. लेकिन जिले के जन वितरण प्रणाली दुकान से मिलने वाली चावल को लोग खरीदने के साथ साथ खाने से इनकार कर रहे हैं. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है, जानिये इस रिपोर्ट में...
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जिले के सुदूरवर्ती कुडू प्रखंड के पिपलिया गांव, जो जंगलों की तराई पर बसा है. जंगल और पहाड़ के बीच बसे इस गांव तक पहुंचने के लिए कच्चा रास्ता है. इस गांव के अधिकतर परिवार बीपीएल के दायरे में आते हैं. इन लोगों को जन वितरण प्रणाली दुकान से प्रति परिवार 35 किलोग्राम चावल उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें चावल के आकार के बड़ी मात्रा में सफेद दाने मिल रहे हैं. लाभुक परिवार सफेद दाने को चुनकर निकाल भी देते हैं तो दो-चार दाने रह ही जाते हैं.
इस स्थिति में पीडीएस से मिलने वाले चावल को खाते हैं तो बच्चे बीमार हो जा रहे हैं. इससे ग्रामीण सरकार दुकान से मिलने वाले चावल को खाने से डर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि चावल में मिले सफेद दानों के साथ चावल को पकाकर खाया तो बच्चों की तबीयत खराब हो गई. बच्चों को दस्त शुरू हो गए. पेट भी फूल गए. उन्होंने कहा कि पीडीएस दुकानदार को चावल वापस किया तो उसने चावल वापस लेने से इनकार कर दिया. पीडीएस दुकानदार ने बताया कि पौष्टिक चावल का वितरण किया जा रहा है. बीपीएल परिवार को घटिया चावल नहीं दिया जा रहा है.
जिला आपूर्ति पदाधिकारी प्रवीण केरकेट्टा ने बताया कि कुपोषण से मुक्त करने को लेकर एक विशेष प्रकार का चावल दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस चावल को मध्याह्न भोजन योजना के तहत स्कूलों में भेजा जाना था. लेकिन गलती से यह चावल जन वितरण प्रणाली की दुकानों में चला आया है. उन्होंने कहा कि पीडीएस दुकान से मिलने वाला चावल नुकसानदेह नहीं है. ग्रामीणों को डरने की जरूरत नहीं है.