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जामताड़ाः क्वॉरेंटाइन पूरा कर प्रवासी मजदूर बिहार भेजे गए, प्रशासन ने सम्मानपूर्वक किया विदा - Migrant laborers caught in Jamtara

जामताड़ा में क्वॉरेंटाइन सेंटर में निर्धारित अवधि पूरी करने के बाद प्रवासी मजदूरों को बिहार भेज दिया गया. ये सभी बंगाल से पैदल जा रहे थे. जामताड़ा में पकड़े जाने पर सभी को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था. इस दौरान उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे.

बिहार भेजा
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Published : May 4, 2020, 11:52 AM IST

Updated : May 4, 2020, 1:19 PM IST

जामताड़ाः क्वॉरेंटाइन सेंटर में लॉकडाउन के कारण महीनों से रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूरों को अंततः छुटकारा मिल गया. सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को प्रशासन ने गाड़ी से सम्मानपूर्वक उन्हें बिहार पहुंचा दिया गया.

महीनों से क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूर को छोड़ा गया. जामताड़ा हाईस्कूल के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूरों को वापस भेज दिया.

प्रवासी मजदूरों को बिहार भेजा.

सैकड़ों की संख्या में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूर बंगाल से पैदल अपने घर की ओर जा रहे थे. इसी बीच जामताड़ा पहुंचने पर उन्हें क्वॉरेंटाइन कर दिया गया.

उन्हें तभी से क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था. क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी होने के पश्चात यह अपने घर गांव जाने को सभी व्याकुल थे, लेकिन सरकार के आदेश न रहने के कारण इन्हें छोड़ा नहीं जा रहा था.

करीब 1 महीने से अधिक बीत जाने के बाद सरकार से आदेश मिलने पर प्रशासन ने उन्हें सम्मानपूर्वक बिहार उनके घर तक पहुंचाने का फैसला लिया. तत्पश्चात क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूरों को जांच करने के उपरांत उन्हें खाने-पीने के सामान के साथ सम्मान बिहार भेजा गया.

मजदूरों ने जताई खुशी

महीनों से लॉकडाउन फंसे प्रवासी मजदूरों को घर जाने की खुशी उनके चेहरे पर झलक रही थी. घर जाने मजदूरों ने खुशी जताई. मजदूरों का कहना था कि एक महीने से वे सेंटर में रह रहे थे. घर की काफी याद आ रही थी. वे बंगाल से पैदल जा रहे थे और जामताड़ा क्वॉरेंटाइन सेंटर में उन्हें रखा गया था. इसे लेकर मजदूरों ने यहां के प्रशासन और सरकार का आभार जताया.

यह भी पढ़ेंः झारखंड: कोरोना मरीजों की संख्या हुई 115, तीन की मौत, देश भर में अबतक 1373 की गई जान

दूसरी ओर सदर अस्पताल के चिकित्सक व महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत कुमार दुबे ने क्वॉरेंटाइन सेंटर से बिहार के प्रवासी मजदूरों को छोड़े जाने की जानकारी देते हुए बताया कि प्रवासी मजदूर क्वॉरेंटाइन सेंटर में महीनों से रह रहे थे.

सरकार के आदेश के बाद इन्हें चूड़ा गुड़ और पानी देकर उन्हें गाड़ी से बिहार घर भेजा जा रहा है और इन्हें 14 दिन तक घर में ही क्वॉरेंटाइन में रहने का कहा गया है.

जामताड़ाः क्वॉरेंटाइन सेंटर में लॉकडाउन के कारण महीनों से रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूरों को अंततः छुटकारा मिल गया. सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को प्रशासन ने गाड़ी से सम्मानपूर्वक उन्हें बिहार पहुंचा दिया गया.

महीनों से क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूर को छोड़ा गया. जामताड़ा हाईस्कूल के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूरों को वापस भेज दिया.

प्रवासी मजदूरों को बिहार भेजा.

सैकड़ों की संख्या में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूर बंगाल से पैदल अपने घर की ओर जा रहे थे. इसी बीच जामताड़ा पहुंचने पर उन्हें क्वॉरेंटाइन कर दिया गया.

उन्हें तभी से क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था. क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी होने के पश्चात यह अपने घर गांव जाने को सभी व्याकुल थे, लेकिन सरकार के आदेश न रहने के कारण इन्हें छोड़ा नहीं जा रहा था.

करीब 1 महीने से अधिक बीत जाने के बाद सरकार से आदेश मिलने पर प्रशासन ने उन्हें सम्मानपूर्वक बिहार उनके घर तक पहुंचाने का फैसला लिया. तत्पश्चात क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे बिहार के प्रवासी मजदूरों को जांच करने के उपरांत उन्हें खाने-पीने के सामान के साथ सम्मान बिहार भेजा गया.

मजदूरों ने जताई खुशी

महीनों से लॉकडाउन फंसे प्रवासी मजदूरों को घर जाने की खुशी उनके चेहरे पर झलक रही थी. घर जाने मजदूरों ने खुशी जताई. मजदूरों का कहना था कि एक महीने से वे सेंटर में रह रहे थे. घर की काफी याद आ रही थी. वे बंगाल से पैदल जा रहे थे और जामताड़ा क्वॉरेंटाइन सेंटर में उन्हें रखा गया था. इसे लेकर मजदूरों ने यहां के प्रशासन और सरकार का आभार जताया.

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दूसरी ओर सदर अस्पताल के चिकित्सक व महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत कुमार दुबे ने क्वॉरेंटाइन सेंटर से बिहार के प्रवासी मजदूरों को छोड़े जाने की जानकारी देते हुए बताया कि प्रवासी मजदूर क्वॉरेंटाइन सेंटर में महीनों से रह रहे थे.

सरकार के आदेश के बाद इन्हें चूड़ा गुड़ और पानी देकर उन्हें गाड़ी से बिहार घर भेजा जा रहा है और इन्हें 14 दिन तक घर में ही क्वॉरेंटाइन में रहने का कहा गया है.

Last Updated : May 4, 2020, 1:19 PM IST
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