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झारखंड में विकास योजनाओं की जमीनी हकीकत, बुनियादी जरूरतों से भी वंचित हैं गांव के लोग

झारखंड सरकार के लाख दावों के बाद भी राज्य के ज्यादातर क्षेत्र विकास से काफी दूर हैं. दुमका का गांदो गांव इसका उदाहरण है. जहां, लोग अपने गांव की समस्याओं से परेशान हैं. ग्रामीणों ने झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन से बस बुनियादी जरूरतें पूरी करने की गुहार लगाई है.

Dumka News
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Published : Apr 6, 2022, 1:45 PM IST

दुमका: झारखंड सरकार ग्रामीण स्तर तक विकास पहुंचाने के लाख दावे कर लें पर जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. झारखंड की उपराजधानी दुमका के सदर प्रखंड के गांव में समस्याओं का अंबार है. जिससे यहां के लोग काफी परेशान हैं. वे झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन से अपनी समस्याओं के निराकरण की मांग कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: दुमका के धोवरना गांव में पेयजल की समस्या, 2 साल से पानी टंकी का निर्माण कार्य अधूरा


क्या है पूरा मामला: झारखंड की उपराजधानी दुमका जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड का गांदो गांव स्थित है. गांदो गांव में समस्याओं का अंबार है. इससे ग्रामीण काफी परेशान हैं. समस्याओं में हम सबसे पहले बात करते हैं पीने के पानी की. इस गांव में लोगों को सही ढंग से पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. गांव के बड़ा तालाब के बगल में कुछ साल पहले सोलर वाटर प्लांट लगाया गया जो लंबे समय से खराब पड़ा हुआ है. वही गांदो गांव के हरिजन टोला जिसमें लगभग 50 घर हैं और यहां की आबादी लगभग 300 है. पर सिर्फ एक चापाकल के भरोसे सभी लोग टिके हुए हैं. यहां एक चापाकल और भी है लेकिन वह महीनों से खराब पड़ा हुआ है. पानी के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां की दूसरी बड़ी समस्या सड़क की है. गांव के अंदर की सड़क अत्यन्त जर्जर है. गांव वाले कहते हैं कि आज तक यह बनी ही नहीं है और आए दिन यहां छोटी बड़ी दुर्घटना होती रहती है.

देखें पूरी खबर


गांव का हाट शेड जर्जर, दुर्घटना की बनी रहती है संभावना: ईटीवी भारत ने गांव के कई लोगों से बात की. सभी ने यहां की समस्याओं को बताया. लोगों की एक बड़ी समस्या यह है कि इस गांव में बाजार समिति ने सालों पहले हाट शेड का निर्माण कराया था लेकिन आज इसकी स्थिति अत्यंत जर्जर हो चुकी है. इसकी दीवारें और पिलर जर्जर हो चुके हैं. रविवार और बुधवार को यहां साप्ताहिक ग्रामीण हाट लगता है. मजबूरन लोगों को यहीं बैठ कर सामान की खरीद बिक्री करनी पड़ती है. ऐसे में दुर्घटना की संभावना हमेशा बनी रहती है. इसके साथ ही किसानों के लिए गांव में एक लेंपस का भी कई सालों पहले निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जो 7 सालों से अधूरा पड़ा है.

क्या कहते हैं ग्रामीण: गांव के सभी लोग इस बात को लेकर काफी दुखी थे कि हमारे गांव में इतनी परेशानियां हैं और कोई सुध लेने वाला नहीं है. गांव वालों ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास तक इस गांव में आ चुके हैं. वे इस इस गांव की समस्याओं से रूबरू भी हुए थे पर उसका कोई नतीजा नहीं निकला. बड़ी-बड़ी बातें हुई के गांदो गांव को प्रखंड का दर्जा दिया जाएगा लेकिन सभी बातें हवा हवाई साबित हुई. लोगों का कहना है कि हमारी जो बुनियादी जरूरत है, सरकार और प्रशासन बस उसे पूरा कर दे, हमें और कुछ नहीं चाहिए.

दुमका: झारखंड सरकार ग्रामीण स्तर तक विकास पहुंचाने के लाख दावे कर लें पर जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. झारखंड की उपराजधानी दुमका के सदर प्रखंड के गांव में समस्याओं का अंबार है. जिससे यहां के लोग काफी परेशान हैं. वे झारखंड सरकार और दुमका जिला प्रशासन से अपनी समस्याओं के निराकरण की मांग कर रहे हैं.

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क्या है पूरा मामला: झारखंड की उपराजधानी दुमका जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड का गांदो गांव स्थित है. गांदो गांव में समस्याओं का अंबार है. इससे ग्रामीण काफी परेशान हैं. समस्याओं में हम सबसे पहले बात करते हैं पीने के पानी की. इस गांव में लोगों को सही ढंग से पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. गांव के बड़ा तालाब के बगल में कुछ साल पहले सोलर वाटर प्लांट लगाया गया जो लंबे समय से खराब पड़ा हुआ है. वही गांदो गांव के हरिजन टोला जिसमें लगभग 50 घर हैं और यहां की आबादी लगभग 300 है. पर सिर्फ एक चापाकल के भरोसे सभी लोग टिके हुए हैं. यहां एक चापाकल और भी है लेकिन वह महीनों से खराब पड़ा हुआ है. पानी के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां की दूसरी बड़ी समस्या सड़क की है. गांव के अंदर की सड़क अत्यन्त जर्जर है. गांव वाले कहते हैं कि आज तक यह बनी ही नहीं है और आए दिन यहां छोटी बड़ी दुर्घटना होती रहती है.

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गांव का हाट शेड जर्जर, दुर्घटना की बनी रहती है संभावना: ईटीवी भारत ने गांव के कई लोगों से बात की. सभी ने यहां की समस्याओं को बताया. लोगों की एक बड़ी समस्या यह है कि इस गांव में बाजार समिति ने सालों पहले हाट शेड का निर्माण कराया था लेकिन आज इसकी स्थिति अत्यंत जर्जर हो चुकी है. इसकी दीवारें और पिलर जर्जर हो चुके हैं. रविवार और बुधवार को यहां साप्ताहिक ग्रामीण हाट लगता है. मजबूरन लोगों को यहीं बैठ कर सामान की खरीद बिक्री करनी पड़ती है. ऐसे में दुर्घटना की संभावना हमेशा बनी रहती है. इसके साथ ही किसानों के लिए गांव में एक लेंपस का भी कई सालों पहले निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जो 7 सालों से अधूरा पड़ा है.

क्या कहते हैं ग्रामीण: गांव के सभी लोग इस बात को लेकर काफी दुखी थे कि हमारे गांव में इतनी परेशानियां हैं और कोई सुध लेने वाला नहीं है. गांव वालों ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास तक इस गांव में आ चुके हैं. वे इस इस गांव की समस्याओं से रूबरू भी हुए थे पर उसका कोई नतीजा नहीं निकला. बड़ी-बड़ी बातें हुई के गांदो गांव को प्रखंड का दर्जा दिया जाएगा लेकिन सभी बातें हवा हवाई साबित हुई. लोगों का कहना है कि हमारी जो बुनियादी जरूरत है, सरकार और प्रशासन बस उसे पूरा कर दे, हमें और कुछ नहीं चाहिए.

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