देवघर: कोरोना संक्रमण ने देश में ऐसा पैर पसारा है कि आज दो महीने हो गए लॉकडाउन लगने के बाद भी यह महामारी लगातार बढ़ती ही जा रही है. इन दो महीनों से लोगों के सभी काम बंद चल रहे हैं. शासन और जिला प्रशासन के आदेश के बाद नियमों और शर्तों के अनुसार, दुकानों को खोलने की इजाजत तो मिल गई है पर अभी भी कई ऐसे कामगार हैं, जो काम-धंधा न शुरु हो पाने से भुखमरी के कगार पर आ गए हैं, जिनमें देवघर के होटल व्यवसायी भी शामिल हैं.
दरअसल, देवघर जिले में लॉकडाउन के कारण होटल व्यवसाय बंद है. होटल व्यापारियों की एक ही उम्मीद थी श्रावणी मेला, उसे भी कोरोना के कारण सरकार ने स्थगित कर दिया है. जिसके कारण करोड़ों का नुकसान हो रहा है. इसके कारण वे अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
होटल व्यवसायी को दें छूट
होटल व्यवसायी बताते हैं कि अन्य प्रतिष्ठानों की तरह होटल व्यवसायियों को भी सरकार को छूट देना चाहिए ताकि होटल व्यवसायियों को राहत मिल सके. लॉकडाउन अवधि से लेकर अब तक किसी भी प्रकार की होटल व्यवसायियों को राहत नहीं दी गयी है. ऐसे में एक उम्मीद थी श्रावणी मेला, जो इस दफे नहीं लगी. जिससे होटल व्यवसायियों को भुखमरी की स्थिति का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि अब तक किसी प्रकार से होटल कर्मचारियों का रोजी-रोटी तो चल गयी. मगर अब स्थिति भयावह होते जा रही है. एक और तमाम तरह की टैक्स में कोई रियायत नहीं दी गयी न ही ब्याज दर में किसी प्रकार की कटौती की गयी. ऐसे में होटला व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि होटल व्यवसायियों के लोन का केंद्र सरकार ब्याज माफ करे और यूजर टैक्स, होल्डिंग टैक्स, बिजली बिल जैसे करों में छूट दे ताकि होटल व्यवसायियों को राहत मिल सके.
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तीन सौ करोड़ का हुआ घाटा
होटल संचालक श्रवणी मेला को लेकर काफी उत्साहित थे, लेकिन इस दफे न ही श्रावणी मेला लगी और न ही होटल संचालकों को किसी प्रकार की छूट दी गयी, जिससे होटल व्यवसायी हलकान में है. वहीं, संचालक बताते हैं कि देवघर में लगभग ढाई सौ से तीन सौ होटल और रेस्टोरेंट है और सिर्फ श्रावणी मेला में ही लॉकडाउन अवधि तक कि भरपाई करने की उम्मीद थी, लेकिन श्रवणी मेला ही लगभग होटल व्यवसाय में लगभग ढाई सौ से तीन सौ करोड़ की घाटा होगी. इसके साथ ही सरकार को मिलने वाली राजस्व का भी नुकसान है, जिससे अब होटल व्यवसायी काफी मायूस हैं.
कुल मिलाकर होटल व्यवसायी अब लॉकडाउन के बाद और श्रावणी मेला नहीं लगने के साथ होटल व्यवसायियों को किसी प्रकार का छूट नहीं मिलने से अब भुखमरी के कगार पर हैं. अब सरकार से कर माफी के साथ-साथ होटल व्यवसाय को छूट नहीं देने पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. अब देखना यह है कि सरकार अब होटल व्यवसायियों के लिए क्या करती है.