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चतरा में वज्रपात की चपेट में आने से दो बच्चों की मौत, एक बच्ची झुलसी, आंधी और बारिश के दौरान आम चुनने निकले थे बच्चे

चतरा में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से दो बच्चों की मौत हो गई है. बच्चों की मौत के बाद से ही पूरे गांव में मातम है.

Two children died due to lightning
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Published : Jul 4, 2023, 4:00 PM IST

Updated : Jul 4, 2023, 4:15 PM IST

चतरा: तेज गर्जन के साथ हो रहे मूसलाधार बारिश के दौरान हुए वज्रपात की चपेट में आने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई है. टंडवा थाना क्षेत्र के कबरा पंचायत अंतर्गत स्यानि गांव‌ में हुए इस हादसे से वहां पर हड़कंप मच गया है. ग्रामीणों के अनुसार ये बच्चे आंधी आने के बाद आम चुनने गए थे. बारिश होने के दौरान बच्चे आम के पेड़ के नीचे खड़े हो गए, इसी दौरान हादसा हुआ. इस हादसे के बाद से ही पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.

झारखंड में अक्सर वज्रपात से मौत की खबरें आती रहती हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर रही है, सरकार और मौसम विभाग ने दामिनी नाम का एप बनाया है जो वज्रपात से पहले लोगों को जानकारी देता है. हालांकि आम लोगों को इस एप के बारे में कम ही पता है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में लोग स्मार्ट फोन का कम इस्तेमाल करते हैं इसके कारण भी जानकारी आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है.

झारखंड में लगातार हो रहे वज्रपात से मौत: पिछले आठ सालों की बात करें तो झारखंड में करीब 2091 लोग अपनी जान वज्रपात के कारण गंवा चुके हैं. ये आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक 2014-15 में 144, 2015-16 में 210, 2016-17 में 265, 2017-18 में 256, 2018-19 में 261, 2019-20 में 282, 2020-21 में 322 और 2021-22 में 350 लोग जान गंवा चुके हैं. यह डेटा क्लेम के आधार पर तैयार किया गया है. झारखंड में पिछले साल सबसे ज्यादा पलामू में 29 लोगों की जान आकाशीय बिजली की वजह से गई है. वहीं गिरिडीह में 27, बोकारो में 27, गुमला में 26, गढ़वा में 21, चतरा में 21, खूंटी में 20 और रांची में 16 लोगों की जान गई थी. यही नहीं राज्य का कोई जिला ऐसा नहीं था, जहां किसी न किसी की मौत न हुई हो.

चतरा: तेज गर्जन के साथ हो रहे मूसलाधार बारिश के दौरान हुए वज्रपात की चपेट में आने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई है. टंडवा थाना क्षेत्र के कबरा पंचायत अंतर्गत स्यानि गांव‌ में हुए इस हादसे से वहां पर हड़कंप मच गया है. ग्रामीणों के अनुसार ये बच्चे आंधी आने के बाद आम चुनने गए थे. बारिश होने के दौरान बच्चे आम के पेड़ के नीचे खड़े हो गए, इसी दौरान हादसा हुआ. इस हादसे के बाद से ही पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.

झारखंड में अक्सर वज्रपात से मौत की खबरें आती रहती हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर रही है, सरकार और मौसम विभाग ने दामिनी नाम का एप बनाया है जो वज्रपात से पहले लोगों को जानकारी देता है. हालांकि आम लोगों को इस एप के बारे में कम ही पता है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में लोग स्मार्ट फोन का कम इस्तेमाल करते हैं इसके कारण भी जानकारी आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती है.

झारखंड में लगातार हो रहे वज्रपात से मौत: पिछले आठ सालों की बात करें तो झारखंड में करीब 2091 लोग अपनी जान वज्रपात के कारण गंवा चुके हैं. ये आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक 2014-15 में 144, 2015-16 में 210, 2016-17 में 265, 2017-18 में 256, 2018-19 में 261, 2019-20 में 282, 2020-21 में 322 और 2021-22 में 350 लोग जान गंवा चुके हैं. यह डेटा क्लेम के आधार पर तैयार किया गया है. झारखंड में पिछले साल सबसे ज्यादा पलामू में 29 लोगों की जान आकाशीय बिजली की वजह से गई है. वहीं गिरिडीह में 27, बोकारो में 27, गुमला में 26, गढ़वा में 21, चतरा में 21, खूंटी में 20 और रांची में 16 लोगों की जान गई थी. यही नहीं राज्य का कोई जिला ऐसा नहीं था, जहां किसी न किसी की मौत न हुई हो.

Last Updated : Jul 4, 2023, 4:15 PM IST
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