बोकारोः 26 सितंबर को तलगड़िया तुपकाडीह रेलवे लाइन दोहरीकरण को लेकर धनगरी गांव के 16 घरों को तोड़ दिया गया. इससे दर्जनों लोग बेघर हो गये. बेघर हुए लोग बोकारो ग्रामीण रैयत अधिकार मोर्चा के बैनर तले अनिश्चितकालीन धरना (Indefinite strike in Bokaro) पर बैठे हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
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बोकारो का न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस है. कंपकंपाती ठंड में शाम होते ही लोग अपने अपने घरों में दुबक जा रहे हैं. लेकिन, शहर की परछाई में बसे धनवरी गांव के दर्जनों लोग ठंड में भी खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं. ग्रामीण टूटे घर के मलबे पर 71 दिनों से धरना दे रहे हैं. लेकिन इन ग्रामीणों की सुध लेने रेलवे या जिला प्रशासन नहीं पहुंचा है.
हालांकि, निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी धरना पर बैठे ग्रामीणों से मुलाकात की और हालचाल जाना. अरूप चटर्जी ने कहा कि जिन लोगों का घर रेलवे ने तोड़ा है, उसे मुआवजा दे. उन्होंने कहा कि सर प्लस जमीन को वापस करने के लिए कानून बना है. इस कानून के तहत ग्रामीणों की मदद की जाए, ताकि वह लोग अपना भरण-पोषण कर सकें.
धरना का 71 दिन गुजर गया. महिला, बच्चे और बुजुर्ग सभी अपने हक के लिए धरना पर बैठे हैं. धरना पर बैठी महिला ने कहा कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर 71 दिन क्या सात हजार दिन भी धरना पर बैठे रहेंगे. महिला ने कहा कि हम लोग दूसरे गांव से बिछावन और खाने के सामान मांग कर गुजर बसर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे प्रशासन ने बिना कोई सूचना दिये घर तोड़ दिया. इससे घर में रखे सामान जमीनदोज हो गए. लेकिन हम लोगों का कोई सुध लेने वाला नहीं है.