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शिक्षा मंत्री के गृह जिले की सच्चाई, स्कूल में पढ़ते हैं केवल 17 बच्चे

बोकारो में शिक्षा विभाग (education department)के दावों की पोल खुल रही है. यहां एक ऐसा स्कूल है जहां केवल 17 बच्चे पढ़ाई करते हैं. स्कूल में कम बच्चों के होने का कारण शहर में प्राइवेट स्कूल का होना बताया जाता है.

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Published : Aug 7, 2022, 4:18 PM IST

Updated : Aug 7, 2022, 4:47 PM IST

बोकारोः राज्य की हेमंत सोरेन की सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का लगातार दावा करती है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (minsiter jagarnath mahto) का बोकारो गृह जिला है. लेकिन यहां शिक्षा की स्थिति क्या है. इसकी एक तस्वीर हम दिखाना चाहते हैं. जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर और प्रखंड चास मुख्यालय परिसर में स्थित प्राथमिक विद्यालय बंसीडीह (Primary School Bansidih) में महज 17 बच्चों ने ही दाखिला लिया है. उसमें भी उपस्थिति केवल आठ के आस पास ही रहती है.


इस विद्यालय को चलाने के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा दो सरकारी शिक्षकों की तैनाती की गई है. जिसमें एक प्रधानाध्यापक हैं, जबकि दूसरे शिक्षक जो कि पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित हैं. उनकी पदस्थापना यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई. 2 शिक्षक यहां 17 बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. हम कहे तो सरकार जितनी राशि शिक्षकों के वेतन और एमडीएम में खर्च करती है. उसकी अपेक्षा बच्चों की संख्या काफी कम है. विद्यालय में बच्चों का दाखिला नहीं होने के बारे में जब सवाल वहां तैनात शिक्षक और एमडीएम बनाने वाली महिला से की गई तो उनका एक ही जवाब था शहर में प्राइवेट स्कूल होने के कारण यहा बच्चे दाखिला नहीं लेते हैं.

देखें पूरी खबर


इस विद्यालय में तैनात दृष्टिबाधित शिक्षक शेखर गुप्ता ने बताया कि वह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं, बच्चे हिंदी तो अच्छी तरह से समझ लेते हैं लेकिन अंग्रेजी समझ पाने में वे सक्षम नहीं हैं. वहीं इस विद्यालय में एमडीएम बनाने वाली महिला ने बताया कि कम बच्चे होने के कारण खाना बनाने का खर्च भी अधिक आता है, लेकिन बच्चे यहां दाखिला नहीं ले रहे हैं.


वहीं इस विद्यालय की प्रधानाध्यापक कुमारी अंजू ने बताया कि इस विद्यालय में 17 बच्चों का नामांकन है. इसका कारण निजी विद्यालय है. उन्होंने माना कि बच्चों के अभिभावकों को स्कूल में बच्चों का दाखिला कराने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है और उसका काम भी वे करती है. लेकिन बावजूद इसके विद्यालय में छात्र दाखिला नहीं ले रहे हैं, जब उनसे विद्यालय में कार्य को लेकर संतुष्टि पर सवाल किया गया तो वह भी बच्चों की उपस्थिति से संतुष्ट नजर नहीं आई. जिस प्रकार से प्रखंड परिसर में विद्यालय की यह स्थिति है, ऐसे में शिक्षा विभाग पर सवाल उठना लाजमी है.

बोकारोः राज्य की हेमंत सोरेन की सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का लगातार दावा करती है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (minsiter jagarnath mahto) का बोकारो गृह जिला है. लेकिन यहां शिक्षा की स्थिति क्या है. इसकी एक तस्वीर हम दिखाना चाहते हैं. जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर और प्रखंड चास मुख्यालय परिसर में स्थित प्राथमिक विद्यालय बंसीडीह (Primary School Bansidih) में महज 17 बच्चों ने ही दाखिला लिया है. उसमें भी उपस्थिति केवल आठ के आस पास ही रहती है.


इस विद्यालय को चलाने के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा दो सरकारी शिक्षकों की तैनाती की गई है. जिसमें एक प्रधानाध्यापक हैं, जबकि दूसरे शिक्षक जो कि पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित हैं. उनकी पदस्थापना यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई. 2 शिक्षक यहां 17 बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. हम कहे तो सरकार जितनी राशि शिक्षकों के वेतन और एमडीएम में खर्च करती है. उसकी अपेक्षा बच्चों की संख्या काफी कम है. विद्यालय में बच्चों का दाखिला नहीं होने के बारे में जब सवाल वहां तैनात शिक्षक और एमडीएम बनाने वाली महिला से की गई तो उनका एक ही जवाब था शहर में प्राइवेट स्कूल होने के कारण यहा बच्चे दाखिला नहीं लेते हैं.

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इस विद्यालय में तैनात दृष्टिबाधित शिक्षक शेखर गुप्ता ने बताया कि वह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं, बच्चे हिंदी तो अच्छी तरह से समझ लेते हैं लेकिन अंग्रेजी समझ पाने में वे सक्षम नहीं हैं. वहीं इस विद्यालय में एमडीएम बनाने वाली महिला ने बताया कि कम बच्चे होने के कारण खाना बनाने का खर्च भी अधिक आता है, लेकिन बच्चे यहां दाखिला नहीं ले रहे हैं.


वहीं इस विद्यालय की प्रधानाध्यापक कुमारी अंजू ने बताया कि इस विद्यालय में 17 बच्चों का नामांकन है. इसका कारण निजी विद्यालय है. उन्होंने माना कि बच्चों के अभिभावकों को स्कूल में बच्चों का दाखिला कराने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है और उसका काम भी वे करती है. लेकिन बावजूद इसके विद्यालय में छात्र दाखिला नहीं ले रहे हैं, जब उनसे विद्यालय में कार्य को लेकर संतुष्टि पर सवाल किया गया तो वह भी बच्चों की उपस्थिति से संतुष्ट नजर नहीं आई. जिस प्रकार से प्रखंड परिसर में विद्यालय की यह स्थिति है, ऐसे में शिक्षा विभाग पर सवाल उठना लाजमी है.

Last Updated : Aug 7, 2022, 4:47 PM IST
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