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Incredible Jharkhand: शिमला से लेकर लंदन तक सबकुछ है झारखंड में! - Sheffield of India

भारत के 28वें राज्य झारखंड (Jharkhand) पर प्रकृति काफी मेहरबान है. यही वजह है कि यहां शिमला (Shimla) भी है और कोल सिटी (Coal city) भी. यहां मंदिरों का गांव (Village of Temples) भी है और पिट्सबर्ग (Pittsburgh) भी. ये नाम झारखंड के शहरों के उपनाम (Nickname of Cities In Jharkhand) हैं. जो इसकी खासियत की वजह से पड़े हैं.

nickname of cities in Jharkhand
अतुल्य झारखंड
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Published : Jul 25, 2021, 5:01 AM IST

Updated : Jul 25, 2021, 7:19 AM IST

रांची: भारत का एक खूबसूरत राज्य झारखंड (Jharkhand) 15 नवंबर, 2000 को 28वें राज्‍य के रूप में अस्तित्‍व में आया. लगभग पूरा प्रदेश छोटानागपुर (Chotanagpur) के पठार पर अवस्थित है. झारखंड की भौगोलिक स्थित ऐसी है कि यहां खनिज के भंडार भी हैं और प्राकृतिक सुंदरता भी. इसी आधार पर यहां के कई शहरों या क्षेत्रों के उपनाम रखे गए हैं. हम आपको उन्हीं उपनामों से रूबरू करवाएंगे.

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जगन्नाथ मंदिर, रांची

ये भी पढ़ें: ईको टूरिज्म फेस्टिवल के तहत विकसित होंगे झारखंड के पर्यटन स्थल

झारखंड का शिमला

झारखंड की राजधानी है रांची (Ranchi). झारखंड के आसपास कई सारे झरने या फॉल भी हैं इसीलिए इसे झरनों का शहर (City Of Springs) भी कहा जाता है. जब झारखंड और बिहार एक था तो रांची को काफी समय तक अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था. झारखंड की राजधानी रांची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है. रांची ने अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के दम पर पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बनाई है. यही वजह है कि इसे झारखंड का शिमला (Shimla of Jharkhand) भी कहा जा जाता है.

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रांची

छोटानागपुर की रानी

झारखंड में एक बेहद खूसरत जगह है नेतरहाट (Netarhat). छोटानागपुर की रानी (Queen of Chotanagpur) के रूप में मशहूर नेतरहाट अपनी नैसर्गिक सौंदर्यता के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. इसे सूर्योदय एवं सूर्यास्त नेतरहाट का सौंदर्य स्थल और पहाड़ियों की मल्लिका भी कहा जाता है. लातेहार जिले में समुद्र तल से 3,622 फीट ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट का मौसम सालभर खुशनुमा रहता है. यही वजह है इस अनुपम स्थल को निहारने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं. यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना बेहद ही मनोरम होता है. नेतरहाट आने वाले पर्यटक यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना नहीं भूलते. सूर्योदय के दौरान इंद्रधनुषी छटा को देखकर ऐसा लगता है कि धरती पर स्वर्ग उतर आया हो. इसलिए इसे सूर्योदय और सूर्यास्त का शहर भी कहा जाता है.

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नेतरहाट में डूबते हुए सूर्य का नजारा

ये भी पढ़ें: वैलेंटाइन स्पेशलः नेतरहाट की वादियों में गूंजती है अंग्रेज गवर्नर की बेटी मैगनोलिया और चरवाहे की अमर प्रेम कहानी

भारत का पिट्सबर्ग

रूस में है सेंट पीटर्सबर्ग. नेवा नदी के तट पर स्थित रूस का मॉस्को के बाद दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है. यह शहर कोयला, अल्युमुनियम, टिन की चादरों के लिए मशहूर है. ये शहर औद्योगिक उत्पाद में लिए एक उचित स्थान रखता है. कुछ इसी तरह की समानता जमशेदपुर के साथ भी है. इसीलिए इसे भारत का पिटर्सबग (Pittsburgh of India) कहा जाता है. भारत की आजादी के बाद अगर देश में औद्योगिक क्रांति आई तो उसमें जमशेदजी नसरवान टाटा का बड़ा नाम है. इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति लाने वाले जमशेदजी जी टाटा ने अपने सपनों का शहर बनाया तो उसका नाम पड़ा जमशेदपुर. इससे पहले यह साकची नाम का एक आदिवासी गांव हुआ करता था. यहां की मिट्टी काली होने के कारण यहां पहला रेलवे-स्टेशन कालीमाटी के नाम से बना था. जिसे बाद में बदलकर टाटानगर कर दिया गया. ये शहर ना सिर्फ कोलकाता से नजदीक था बल्कि यहां प्रचूर मात्रा में खनिज पदार्थ भी थे. इसके अलावा खड़कई तथा सुवर्णरेखा नदी से आसानी से पानी उपलब्ध था. यही वजह है कि लौह अयस्क से जुड़े कई उद्योग लगे और नाम पड़ गया लौह नगरी (Iron City).

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स्टील प्लांट

कोयला नगरी

1918 में भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी मिस्टर लुबी धनबाद के अपर उपायुक्त हुआ करते थे. उन्होंने सरकार से धानबाइद का नाम बदलकर धनबाद करने का आग्रह जिसे मान लिया गया और धनबाद के नाम पर मुहर लग गई. 1956 से पहले धनबाद (Dhanbad) बिहार के मानभूम जिले का उपजिला था. धनबाद को भारत की कोयला राजधानी (Coal Capital of India) या फिर कोयला नगरी (Coal City) भी कहते हैं. इसके पीछे वजह ये है कि ये शहर भारत में कोयला खनन में सबसे अमीर है. देश में कोयला खनन की शुरुआत बंगाल के रानीगंज और झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र से हुई थी. कोयला उत्पादन में धनबाद की बादशाहत रही है. इसी वजह से इस शहर को कोयला नगरी कहते हैं. कोयले के अलावा इन खदानों में विभिन्न प्रकार के खनिज भी पाए जाते हैं. खदानों के लिए धनबाद पूरे विश्‍व में प्रसिद्ध है. इस लिए इस शहर को खदानों का शहर भी कहते हैं.

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धनबाद में खदान

ये भी पढ़ें: जुनून हो तो ऐसा...पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटे ने धरती का सीना चीर बहा दी जलधारा

मंदिरों का गांव मलूटी

दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड में एक गांव है मलूटी (Maluti) इस गांव में लगभग 350 घर हैं और करीब 2500 लोग यहां रहते हैं. किसी जमाने में यह बीरभूम जिले का हिस्सा हुआ करता था, जो अब बंगाल में है. यही वजह है कि यहां आज भी ज्यादातर लोग बंगाली भाषा बोलते हैं. इस गांव की खासियत ये है कि यहां किसी जमाने में 108 मंदिर और उतने ही तालाब थे. इन मंदिरों का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ. सन् 1720 से लेकर 1840 के बीच इन सभी 108 मंदिरों का निर्माण किया गया. हालांकि देखरेख की अभाव में कई मंदिर नष्ट हो गए और अब सिर्फ 72 मंदिर ही बचे हैं. गांव मे प्रवेश करते ही हर तरफ मंदिरों की पंक्ति दिखती है. इनमें 58 शिव मंदिर हैं बाकी के 15 मंदिर दूसरे देवी-देवताओं के हैं. इन मंदिरों के कारण ही यह क्षेत्र दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस गांव को मंदिरोंवाला गांव (village of Temples) और गुप्त काशी भी कहा जाता है.

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मलूटी के मंदिर

ये भी पढ़ें: मंदिरों के गांव मलूटी की है खास पहचान, दूर-दूर से आते हैं यहां सैलानी

भारत की अभ्रक नगरी

कोडरमा (Koderma) को भारत के अभ्रक नगरी (India mica mica city) के रूप मे जाना जाता है. इसे झारखंड के प्रवेशद्वार के नाम से भी जाना जाता है. जाहिर तौर पर जैसा नाम है वही इसकी पहचान है. कोडरमा को अभ्रक की खदानों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है. यहां पर अभ्रक की इतनी खदानें हैं कि इसे अभ्रक नगरी के नाम से पुकारा जाता है. 717 गांवों वाले इस जिले का निर्माण हजारीबाग जिले को विभाजित कर 10 अप्रैल 1994 को किया गया था.

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कोडरमा में माइका माइंस

भारत का 'मिनी लंदन'

रांची से उत्तर-पश्चिम में करीब 60 किलोमीटर पर है मैकलुस्कीगंज (Mccluskieganj). इसे 1933 में कोलोनाइजेशन सोसायटी ऑफ इंडिया ने बसाया था. इस गांव को बसाने वाले मैकलुस्की के पिता आइरिश थे और रेलवे में नौकरी करते थे. नौकरी के दौरान उन्हें बनारस के एक ब्राह्मण परिवार की लड़की से प्यार हो गया और तमाम सामाजिक बाधाओं को झेलने के बाद दोनों ने शादी कर ली. मैकलुस्की बाद में बंगाल विधान परिषद के सदस्य बनें और कोलकाता में रियल एस्टेट के व्यवसाय की शुरूआत की. 930 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट आई जिसमें एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रति अंग्रेज सरकार ने किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं उठाई. ऐसे में इस गांव की नींव रखी गई. आज भी यहां गोरे लोग और उनके अंग्रेजी रंग-ढंग इसे किसी मिनी लंदन (Mini London) से कम नहीं लगता है.

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मैकलुस्कीगंज रेलवे स्टेशन

ये भी पढ़ें: सारंडा में पहली बार लगेगा इको टूरिज्म मेला, पर्यटक सारंडा की हसीनवादियों का उठा सकेंगे लुत्फ

700 पहाड़ियों की घाटी

सारंडा को अक्सर सात सौ पहाड़ियों की भूमि के रूप में जाना जाता है. सारंडा का शाब्दिक अर्थ सात सौ पहाड़ियां. पश्चिम सिंहभूम जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला वन क्षेत्र है. खामोशी में डूबे इस जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है. सारंडा का कुछ हिस्सा ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा से भी सटा है. यह जंगल दुनिया के उन कुछ स्थानों में से एक है, जहां लुप्तप्राय उड़ने वाली छिपकली रहती है. वन अपने साल के पेड़ों के लिए भी मशहूर है. यहां आप खूबसूरत झिकरा झरने का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

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सारंडा में बहती नदी

भारत का रूर

झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्से में फैला हुआ है छोटानागपुर का इलाका. ये भारत का पठारी क्षेत्र है. इसका अधिकतर हिस्सा रांची, हजारीबाग और कोडरमा में है. प्राचीनकाल में यहां नागवंशी राजाओं का राज था. उन्ही से नाम लिया गया है नागपुर जबकि छोटा शब्द रांची से कुछ ही दूरी पर स्थित गांव छुटिया का परिवर्तित नाम है. इसी को मिलाकर इस क्षेत्र का नाम छोटानागपुर रखा गया है. इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है. इसकी मुख्य विशेषताओं में से एक 'पाट भूमि' है. यहा संसाधनों की इतना प्रचुरता है कि इसे भारत का रूर (India's Roor) भी कहा जाता है.

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छोटानागपुर के पहाड़ियों की तस्वीर

भारत का शेफील्ड

शेफील्ड (Sheffield) इंग्लैंड के साउथ यॉर्कशायर (South Yorkshire) का एक शहर और महानगरीय क्षेत्र. इस शहर का नाम शेफ नदी के ऊपर है जो यहां से होकर बहती है. 19वीं शताब्दी के दौरान, शेफील्ड को स्टील उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली. कुछ इसी तरह बोकारो भी है. यहां लौह कुटीर उद्योग अंग्रेजों के जमाने से ही चल रहा है. यहां निर्मित तलवार और हथियारों की खरीदारी पहले राजा-महाराजा करते थे. समय के साथ इसमें बदलाव हुआ और फिर भारतीय रेलवे को कई सामानों की आपूर्ति यहां से की जा रही है. बोकारो के भेंडरा के कई घरों में स्थापित उद्योग को संचालित करने में मुख्य रूप से लोहा और कोयला की आवश्यकता होती है. अपनी इसी खासियत की वजह से बोकारो को भारत का शेफील्ड (Sheffield of India) कहते हैं.

रांची: भारत का एक खूबसूरत राज्य झारखंड (Jharkhand) 15 नवंबर, 2000 को 28वें राज्‍य के रूप में अस्तित्‍व में आया. लगभग पूरा प्रदेश छोटानागपुर (Chotanagpur) के पठार पर अवस्थित है. झारखंड की भौगोलिक स्थित ऐसी है कि यहां खनिज के भंडार भी हैं और प्राकृतिक सुंदरता भी. इसी आधार पर यहां के कई शहरों या क्षेत्रों के उपनाम रखे गए हैं. हम आपको उन्हीं उपनामों से रूबरू करवाएंगे.

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जगन्नाथ मंदिर, रांची

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झारखंड का शिमला

झारखंड की राजधानी है रांची (Ranchi). झारखंड के आसपास कई सारे झरने या फॉल भी हैं इसीलिए इसे झरनों का शहर (City Of Springs) भी कहा जाता है. जब झारखंड और बिहार एक था तो रांची को काफी समय तक अपेक्षाकृत ठंडे मौसम के कारण ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था. झारखंड की राजधानी रांची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है. रांची ने अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के दम पर पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बनाई है. यही वजह है कि इसे झारखंड का शिमला (Shimla of Jharkhand) भी कहा जा जाता है.

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रांची

छोटानागपुर की रानी

झारखंड में एक बेहद खूसरत जगह है नेतरहाट (Netarhat). छोटानागपुर की रानी (Queen of Chotanagpur) के रूप में मशहूर नेतरहाट अपनी नैसर्गिक सौंदर्यता के लिए पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है. इसे सूर्योदय एवं सूर्यास्त नेतरहाट का सौंदर्य स्थल और पहाड़ियों की मल्लिका भी कहा जाता है. लातेहार जिले में समुद्र तल से 3,622 फीट ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट का मौसम सालभर खुशनुमा रहता है. यही वजह है इस अनुपम स्थल को निहारने के लिए पर्यटक खिंचे चले आते हैं. यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना बेहद ही मनोरम होता है. नेतरहाट आने वाले पर्यटक यहां के सूर्योदय और सूर्यास्त देखना नहीं भूलते. सूर्योदय के दौरान इंद्रधनुषी छटा को देखकर ऐसा लगता है कि धरती पर स्वर्ग उतर आया हो. इसलिए इसे सूर्योदय और सूर्यास्त का शहर भी कहा जाता है.

nickname of cities in Jharkhand
नेतरहाट में डूबते हुए सूर्य का नजारा

ये भी पढ़ें: वैलेंटाइन स्पेशलः नेतरहाट की वादियों में गूंजती है अंग्रेज गवर्नर की बेटी मैगनोलिया और चरवाहे की अमर प्रेम कहानी

भारत का पिट्सबर्ग

रूस में है सेंट पीटर्सबर्ग. नेवा नदी के तट पर स्थित रूस का मॉस्को के बाद दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है. यह शहर कोयला, अल्युमुनियम, टिन की चादरों के लिए मशहूर है. ये शहर औद्योगिक उत्पाद में लिए एक उचित स्थान रखता है. कुछ इसी तरह की समानता जमशेदपुर के साथ भी है. इसीलिए इसे भारत का पिटर्सबग (Pittsburgh of India) कहा जाता है. भारत की आजादी के बाद अगर देश में औद्योगिक क्रांति आई तो उसमें जमशेदजी नसरवान टाटा का बड़ा नाम है. इस्पात उद्योग में औद्योगिक क्रांति लाने वाले जमशेदजी जी टाटा ने अपने सपनों का शहर बनाया तो उसका नाम पड़ा जमशेदपुर. इससे पहले यह साकची नाम का एक आदिवासी गांव हुआ करता था. यहां की मिट्टी काली होने के कारण यहां पहला रेलवे-स्टेशन कालीमाटी के नाम से बना था. जिसे बाद में बदलकर टाटानगर कर दिया गया. ये शहर ना सिर्फ कोलकाता से नजदीक था बल्कि यहां प्रचूर मात्रा में खनिज पदार्थ भी थे. इसके अलावा खड़कई तथा सुवर्णरेखा नदी से आसानी से पानी उपलब्ध था. यही वजह है कि लौह अयस्क से जुड़े कई उद्योग लगे और नाम पड़ गया लौह नगरी (Iron City).

nickname of cities in Jharkhand
स्टील प्लांट

कोयला नगरी

1918 में भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी मिस्टर लुबी धनबाद के अपर उपायुक्त हुआ करते थे. उन्होंने सरकार से धानबाइद का नाम बदलकर धनबाद करने का आग्रह जिसे मान लिया गया और धनबाद के नाम पर मुहर लग गई. 1956 से पहले धनबाद (Dhanbad) बिहार के मानभूम जिले का उपजिला था. धनबाद को भारत की कोयला राजधानी (Coal Capital of India) या फिर कोयला नगरी (Coal City) भी कहते हैं. इसके पीछे वजह ये है कि ये शहर भारत में कोयला खनन में सबसे अमीर है. देश में कोयला खनन की शुरुआत बंगाल के रानीगंज और झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र से हुई थी. कोयला उत्पादन में धनबाद की बादशाहत रही है. इसी वजह से इस शहर को कोयला नगरी कहते हैं. कोयले के अलावा इन खदानों में विभिन्न प्रकार के खनिज भी पाए जाते हैं. खदानों के लिए धनबाद पूरे विश्‍व में प्रसिद्ध है. इस लिए इस शहर को खदानों का शहर भी कहते हैं.

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धनबाद में खदान

ये भी पढ़ें: जुनून हो तो ऐसा...पिता का सपना पूरा करने के लिए बेटे ने धरती का सीना चीर बहा दी जलधारा

मंदिरों का गांव मलूटी

दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड में एक गांव है मलूटी (Maluti) इस गांव में लगभग 350 घर हैं और करीब 2500 लोग यहां रहते हैं. किसी जमाने में यह बीरभूम जिले का हिस्सा हुआ करता था, जो अब बंगाल में है. यही वजह है कि यहां आज भी ज्यादातर लोग बंगाली भाषा बोलते हैं. इस गांव की खासियत ये है कि यहां किसी जमाने में 108 मंदिर और उतने ही तालाब थे. इन मंदिरों का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ. सन् 1720 से लेकर 1840 के बीच इन सभी 108 मंदिरों का निर्माण किया गया. हालांकि देखरेख की अभाव में कई मंदिर नष्ट हो गए और अब सिर्फ 72 मंदिर ही बचे हैं. गांव मे प्रवेश करते ही हर तरफ मंदिरों की पंक्ति दिखती है. इनमें 58 शिव मंदिर हैं बाकी के 15 मंदिर दूसरे देवी-देवताओं के हैं. इन मंदिरों के कारण ही यह क्षेत्र दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस गांव को मंदिरोंवाला गांव (village of Temples) और गुप्त काशी भी कहा जाता है.

nickname of cities in Jharkhand
मलूटी के मंदिर

ये भी पढ़ें: मंदिरों के गांव मलूटी की है खास पहचान, दूर-दूर से आते हैं यहां सैलानी

भारत की अभ्रक नगरी

कोडरमा (Koderma) को भारत के अभ्रक नगरी (India mica mica city) के रूप मे जाना जाता है. इसे झारखंड के प्रवेशद्वार के नाम से भी जाना जाता है. जाहिर तौर पर जैसा नाम है वही इसकी पहचान है. कोडरमा को अभ्रक की खदानों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है. यहां पर अभ्रक की इतनी खदानें हैं कि इसे अभ्रक नगरी के नाम से पुकारा जाता है. 717 गांवों वाले इस जिले का निर्माण हजारीबाग जिले को विभाजित कर 10 अप्रैल 1994 को किया गया था.

nickname of cities in Jharkhand
कोडरमा में माइका माइंस

भारत का 'मिनी लंदन'

रांची से उत्तर-पश्चिम में करीब 60 किलोमीटर पर है मैकलुस्कीगंज (Mccluskieganj). इसे 1933 में कोलोनाइजेशन सोसायटी ऑफ इंडिया ने बसाया था. इस गांव को बसाने वाले मैकलुस्की के पिता आइरिश थे और रेलवे में नौकरी करते थे. नौकरी के दौरान उन्हें बनारस के एक ब्राह्मण परिवार की लड़की से प्यार हो गया और तमाम सामाजिक बाधाओं को झेलने के बाद दोनों ने शादी कर ली. मैकलुस्की बाद में बंगाल विधान परिषद के सदस्य बनें और कोलकाता में रियल एस्टेट के व्यवसाय की शुरूआत की. 930 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट आई जिसमें एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रति अंग्रेज सरकार ने किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं उठाई. ऐसे में इस गांव की नींव रखी गई. आज भी यहां गोरे लोग और उनके अंग्रेजी रंग-ढंग इसे किसी मिनी लंदन (Mini London) से कम नहीं लगता है.

nickname of cities in Jharkhand
मैकलुस्कीगंज रेलवे स्टेशन

ये भी पढ़ें: सारंडा में पहली बार लगेगा इको टूरिज्म मेला, पर्यटक सारंडा की हसीनवादियों का उठा सकेंगे लुत्फ

700 पहाड़ियों की घाटी

सारंडा को अक्सर सात सौ पहाड़ियों की भूमि के रूप में जाना जाता है. सारंडा का शाब्दिक अर्थ सात सौ पहाड़ियां. पश्चिम सिंहभूम जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला वन क्षेत्र है. खामोशी में डूबे इस जंगल में हरियाली और खूबसूरती का बेजोड़ मेल देखने को मिलता है. सारंडा का कुछ हिस्सा ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा से भी सटा है. यह जंगल दुनिया के उन कुछ स्थानों में से एक है, जहां लुप्तप्राय उड़ने वाली छिपकली रहती है. वन अपने साल के पेड़ों के लिए भी मशहूर है. यहां आप खूबसूरत झिकरा झरने का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

nickname of cities in Jharkhand
सारंडा में बहती नदी

भारत का रूर

झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्से में फैला हुआ है छोटानागपुर का इलाका. ये भारत का पठारी क्षेत्र है. इसका अधिकतर हिस्सा रांची, हजारीबाग और कोडरमा में है. प्राचीनकाल में यहां नागवंशी राजाओं का राज था. उन्ही से नाम लिया गया है नागपुर जबकि छोटा शब्द रांची से कुछ ही दूरी पर स्थित गांव छुटिया का परिवर्तित नाम है. इसी को मिलाकर इस क्षेत्र का नाम छोटानागपुर रखा गया है. इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है. इसकी मुख्य विशेषताओं में से एक 'पाट भूमि' है. यहा संसाधनों की इतना प्रचुरता है कि इसे भारत का रूर (India's Roor) भी कहा जाता है.

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छोटानागपुर के पहाड़ियों की तस्वीर

भारत का शेफील्ड

शेफील्ड (Sheffield) इंग्लैंड के साउथ यॉर्कशायर (South Yorkshire) का एक शहर और महानगरीय क्षेत्र. इस शहर का नाम शेफ नदी के ऊपर है जो यहां से होकर बहती है. 19वीं शताब्दी के दौरान, शेफील्ड को स्टील उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली. कुछ इसी तरह बोकारो भी है. यहां लौह कुटीर उद्योग अंग्रेजों के जमाने से ही चल रहा है. यहां निर्मित तलवार और हथियारों की खरीदारी पहले राजा-महाराजा करते थे. समय के साथ इसमें बदलाव हुआ और फिर भारतीय रेलवे को कई सामानों की आपूर्ति यहां से की जा रही है. बोकारो के भेंडरा के कई घरों में स्थापित उद्योग को संचालित करने में मुख्य रूप से लोहा और कोयला की आवश्यकता होती है. अपनी इसी खासियत की वजह से बोकारो को भारत का शेफील्ड (Sheffield of India) कहते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2021, 7:19 AM IST
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