रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में ग्रामीण विकास विभाग में संविदा पर कनीय अभियंता की नियुक्ति मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने कहा कि रांची जिला के लिए अगर विभाग ने मेरिट लिस्ट जारी नहीं किया है तो फिलहाल अगली सुनवाई तक मेरिट लिस्ट जारी ना करें. यानी अदालत ने एक तरह से मेरिट लिस्ट निकालने पर रोक लगा दी है. वहीं अदालत ने यह भी कहा है कि अगर विभाग ने मेरिट लिस्ट जारी कर दिया है तो यह रोक प्रभावित नहीं होगा. अदालत ने राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने को कहा है.
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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में संविदा पर कनीय अभियंता की नियुक्ति मामले पर सुनवाई की गई. मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से अदालत को यह जानकारी दी गई कि वर्ष 2020-21 के लिए ग्रामीण विकास विभाग में कनीय अभियंता की संविदा पर प्रतिनियुक्ति के लिए जिला स्तर पर विज्ञापन जारी किया गया था. जिसमें शैक्षणिक योग्यता के तहत सिविल अभियंत्रण में डिप्लोमा होल्डर के लिए 60 प्रतिशत अंक और एससी एसटी के लिए 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य था.
मेरिट लिस्ट को प्रकाशित करने पर रोक
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि विभाग की ओर से जारी प्रोविजनल मेरिट लिस्ट में पाया गया कि सीधे बीटेक करने वाले कई अभ्यर्थियों का चयन किया गया है. जबकि डिप्लोमा करने वाले का कोर्स और पढ़ाई बीटेक करने वाले से अलग होती है. साथ ही विज्ञापन में कनीय अभियंता के लिए डिप्लोमा होल्डर या समकक्ष की शर्त दी गई थी. ऐसे में मेरिट लिस्ट को निरस्त किया जाए. सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में रांची जिले की मेरिट लिस्ट को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी. इस संबंध में उत्तम कुमार की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.