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झारखंड आंदोलनकारियों को नहीं मिलेगा स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा, आयोग को दी जाएगी मजबूती

झारखंड के लिए आंदोलन करने वालों स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा नहीं देने नहीं मिलेगा. सदन में मंत्री आलमगीर आलम ने सुदेश महतो के सवालों को जवाब देते हुए ये बात कही है. आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड के लिए आंदोलन करने वालों को सरकार पेंशन के साथ-साथ अन्य सहायता दे रही है.

Alamgir Alam
आलमगीर आलम
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Published : Mar 10, 2022, 2:25 PM IST

रांची: अलग झारखंड के लिए आंदोलन करने वालों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा नहीं मिलेगा. आजसू विधायक सुदेश महतो के ध्यानाकर्षण पर प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश की आजादी में भाग लेने वालों को स्वतंत्र सेनानी का दर्जा मिलता है. इस तरह का कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि अलग राज्य के लिए आंदोलन करने वालों को सरकार पेंशन के साथ-साथ अन्य सहायता दे रही है.

ये भी पढे़ं- झारखंड में शिक्षकों की नियुक्ति की नई नियमावली लागू, भर्ती के लिए आचार्य और फाजिल की डिग्री भी होगी मान्य

अलग-अलग कैटेगरी में मिल रही है सुविधा

सदन में मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि आंदोलनकारियों को अलग-अलग कैटेगरी में मानदेय दिया जा रहा है. जिसमें इजाफा भी हुआ है. फिलहाल 3000 आंदोलनकारी को 3500 और 5500 रुपए दिए जा रहे हैं. वहीं जिन लोगों ने 6 माह से ज्यादा जेल में गुजारे हैं उन्हें सरकार 7000 ₹ दिए जा रहे हैं. इस पर सुदेश महतो ने सरकार से पूछा कि अब तक कितने आंदोलनकारियों का चयन हुआ है. इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि इसकी जानकारी नहीं है और वह चलते सत्र में इसकी सूची संबंधित विधायक को मुहैया करा देंगे. सुदेश महतो ने सवाल उठाया कि आंदोलनकारी आयोग को कोई वित्तीय अधिकार नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अब तक 60000 आवेदन लंबित हैं . फिलहाल सिर्फ 5000 को चिन्हित किया गया है. यह झारखंड के आंदोलनकारियों का अपमान है. उन्होंने कहा कि इस आयोग का अपना ऑफिस भी नहीं है.

सुदेश महतो को मथुरा महतो का मिला समर्थन

सुदेश महतो की बातों का समर्थन करते हुए झामुमो विधायक मथुरा महतो और स्टीफन मरांडी ने भी कहा कि बात पैसे देने की नहीं है बल्कि बात सम्मान देने की है. मथुरा महतो ने तो यहां तक कहा कि आयोग का कार्यकाल 1 महीने के भीतर समाप्त होने वाला है. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने वृहद झारखंड राज्य के लिए आंदोलन किया था. इसमें पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के भी कई जिले शामिल थे. उन्होंने पूछा कि क्या पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के आंदोलनकारियों को भी सरकार दर्जा देने के साथ-साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी. दीपक बिरुवा ने भी कहा कि आयोग मरियल हालत में है. सिर्फ 3000 और 5000 देने से काम नहीं चलेगा. आंदोलनकारियों के परिवारों को नौकरी और शिक्षा में सहयोग करना चाहिए.सत्ता पक्ष और विपक्ष के दबाव के बीच प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने सदन को भरोसा दिलाया कि आयोग को सुदृढ़ करने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे.

रांची: अलग झारखंड के लिए आंदोलन करने वालों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा नहीं मिलेगा. आजसू विधायक सुदेश महतो के ध्यानाकर्षण पर प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश की आजादी में भाग लेने वालों को स्वतंत्र सेनानी का दर्जा मिलता है. इस तरह का कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि अलग राज्य के लिए आंदोलन करने वालों को सरकार पेंशन के साथ-साथ अन्य सहायता दे रही है.

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अलग-अलग कैटेगरी में मिल रही है सुविधा

सदन में मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि आंदोलनकारियों को अलग-अलग कैटेगरी में मानदेय दिया जा रहा है. जिसमें इजाफा भी हुआ है. फिलहाल 3000 आंदोलनकारी को 3500 और 5500 रुपए दिए जा रहे हैं. वहीं जिन लोगों ने 6 माह से ज्यादा जेल में गुजारे हैं उन्हें सरकार 7000 ₹ दिए जा रहे हैं. इस पर सुदेश महतो ने सरकार से पूछा कि अब तक कितने आंदोलनकारियों का चयन हुआ है. इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि इसकी जानकारी नहीं है और वह चलते सत्र में इसकी सूची संबंधित विधायक को मुहैया करा देंगे. सुदेश महतो ने सवाल उठाया कि आंदोलनकारी आयोग को कोई वित्तीय अधिकार नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अब तक 60000 आवेदन लंबित हैं . फिलहाल सिर्फ 5000 को चिन्हित किया गया है. यह झारखंड के आंदोलनकारियों का अपमान है. उन्होंने कहा कि इस आयोग का अपना ऑफिस भी नहीं है.

सुदेश महतो को मथुरा महतो का मिला समर्थन

सुदेश महतो की बातों का समर्थन करते हुए झामुमो विधायक मथुरा महतो और स्टीफन मरांडी ने भी कहा कि बात पैसे देने की नहीं है बल्कि बात सम्मान देने की है. मथुरा महतो ने तो यहां तक कहा कि आयोग का कार्यकाल 1 महीने के भीतर समाप्त होने वाला है. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने वृहद झारखंड राज्य के लिए आंदोलन किया था. इसमें पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के भी कई जिले शामिल थे. उन्होंने पूछा कि क्या पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के आंदोलनकारियों को भी सरकार दर्जा देने के साथ-साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी. दीपक बिरुवा ने भी कहा कि आयोग मरियल हालत में है. सिर्फ 3000 और 5000 देने से काम नहीं चलेगा. आंदोलनकारियों के परिवारों को नौकरी और शिक्षा में सहयोग करना चाहिए.सत्ता पक्ष और विपक्ष के दबाव के बीच प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने सदन को भरोसा दिलाया कि आयोग को सुदृढ़ करने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे.

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