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क्लर्क नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल - सुनवाई

एसपी ऑफिस के क्लर्क नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार से पूछा कि किस परिस्थिति में विज्ञापन में दी गई शर्तों को बदला गया. वहीं मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी.

झारखंड हाईकोर्ट
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Published : Aug 6, 2019, 11:48 PM IST

रांची: एसपी ऑफिस के क्लर्क नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की बिंदू पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार से पूछा कि किस परिस्थिति में विज्ञापन में दी गई शर्तों को बदल कर नियुक्ति की गई.

क्लर्क नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में सुनवाई

सितंबर में अगली सुनवाई
उन्होंने सरकार से यह भी पूछा है कि सरकार बताए कि फिर से विज्ञापन की शर्त के अनुसार और पुलिस नियम के अनुरूप सूची तैयार किया जा सकता है की नहीं. वहीं मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी.

2008 में निकाला गया था विज्ञापन
बता दें कि वर्ष 2008 में दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र रांची के डीआईजी कार्यालय से रांची लोहरदगा, खूंटी, सिमडेगा और गुमला जिला के एसपी कार्यालय के लिए लिपिक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. उस विज्ञापन में हिंदी में 100 नंबर और सामान्य ज्ञान में 100 नंबर की लिखित परीक्षा लेने और उस परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक लाने वाले को टंकन के लिए बुलाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- वाह मैडम जी! धान के खेत में चला रही हैं 'स्पेशल क्लास'

टंकण का नंबर गलत
हिंदी में 25 शब्द प्रति मिनट और अंग्रेजी में 30 शब्द प्रति मिनट टाइप करना होगा. 50 प्रतिशत अंक लाने वाले को टंकक के लिए बुलाया गया. लेकिन बाद में तत्कालीन नियु़क्ति कमेटी के अध्यक्ष आरके मल्लिक के द्वारा नियुक्ति के समय टंकण में 100 अंक जोड़कर रिजल्ट प्रकाशित किया गया था. विज्ञापन के शर्त में टंकण के लिए अंक नहीं दिया गया था, लेकिन अंतिम रिजल्ट प्रकाशन के समय टंकण का मार्क जो जोड़ा गया है वो गलत है.

रांची: एसपी ऑफिस के क्लर्क नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की बिंदू पर सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार से पूछा कि किस परिस्थिति में विज्ञापन में दी गई शर्तों को बदल कर नियुक्ति की गई.

क्लर्क नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में सुनवाई

सितंबर में अगली सुनवाई
उन्होंने सरकार से यह भी पूछा है कि सरकार बताए कि फिर से विज्ञापन की शर्त के अनुसार और पुलिस नियम के अनुरूप सूची तैयार किया जा सकता है की नहीं. वहीं मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी.

2008 में निकाला गया था विज्ञापन
बता दें कि वर्ष 2008 में दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र रांची के डीआईजी कार्यालय से रांची लोहरदगा, खूंटी, सिमडेगा और गुमला जिला के एसपी कार्यालय के लिए लिपिक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. उस विज्ञापन में हिंदी में 100 नंबर और सामान्य ज्ञान में 100 नंबर की लिखित परीक्षा लेने और उस परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक लाने वाले को टंकन के लिए बुलाया जाएगा.

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टंकण का नंबर गलत
हिंदी में 25 शब्द प्रति मिनट और अंग्रेजी में 30 शब्द प्रति मिनट टाइप करना होगा. 50 प्रतिशत अंक लाने वाले को टंकक के लिए बुलाया गया. लेकिन बाद में तत्कालीन नियु़क्ति कमेटी के अध्यक्ष आरके मल्लिक के द्वारा नियुक्ति के समय टंकण में 100 अंक जोड़कर रिजल्ट प्रकाशित किया गया था. विज्ञापन के शर्त में टंकण के लिए अंक नहीं दिया गया था, लेकिन अंतिम रिजल्ट प्रकाशन के समय टंकण का मार्क जो जोड़ा गया है वो गलत है.

Intro:रांची

एसपी ऑफिस के कर्ल्क नियुक्ति में गड़बरी को लेकर दायर याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में नियुक्ति में हुए गड़बरी की बिन्दू पर सुनवाई हुई। अदालत ने दोनो पक्षों को सुनने के उपरांत सरकार से पूछा कि किस परिस्थित में विज्ञापन में दी गयी शर्ते को बदल कर नियुक्ति की गयी। उन्होने सरकार से यह भी पूछा है कि सरकार बताए कि फिर से विज्ञापन के शर्त के अनूसार और पुलिस हस्तक नियम के अनूरूप सूची तैयार किया जा सकता है कि नही । मामले की अगली सुनवाई सितम्बर को हो गयी।


Body:बता दे कि वर्ष 2008 में दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र रांची के डीआईजी कार्यालय से रांची लोहरदग्ग खूंटी सिमडेगा और गुमला जिला के एसपी कार्यालय के लिए लिपिक की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था उस विज्ञापन में हिन्दी में 100 नम्बर और सामान्य ज्ञान 100 नम्बर का लिखित परीक्षा लेने और उस परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक लाने वाले को टंकन के लिए बुलाया जाएगा। हिन्दी में 25 शब्द प्रतिमिनट और अंग्रेजी में 30 शब्द प्रतिमिनट टाईप करना होगा। 50 प्रतिशत अंक लाने वाले को टंकण के लिए बुलाया गया । लेकिन बाद में तत्कालीन नियु़क्ति कमिटी के अध्यक्ष आरके मल्लिक के द्वारा नियुक्ति के समय टंकण में 100 अंक जोड कर रिजल्ट प्रकाशित किया गया था। विज्ञापन के शर्त में टंकण के लिए अंक नही दिया गया था, लेकिन अंतिम रिजल्ट प्रकशन के समय जो टंकण का मार्क जो जोड़ दिया गया है।जो गलत है।
वर्ष 2008 में विज्ञापन निकाला गया था। लिखित परीक्षा में हिन्दी और सामान्य ज्ञान एक एक सौ अंक का परीक्षा लिया गया है। दोनो में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले 164 अभ्यार्थी को टंकण के लिए बुलाया गया।उसकेबाद अधिक लिखित परीक्षा के अंक को आधा कर दिया और टंकण में अंक जोड़ कर मेघा सूची बना दी गयी। जिससे लिखित परीक्षा में अधिक अंक लाने वाले अभ्यार्थी पीछे हो गये और कंम अंक लाने वाले अभ्यर्थी को टंकण में मनमाने अंक दिये गये जिससे वे मेघा सूची में उपर हो गये। अंतिम रूप से 19 अभ्यार्थी की चयन की गयी।Conclusion:
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