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ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में रांची में वायु प्रदूशन कम, झरिया में अधिक

ग्रीनपीस इंडिया द्वारा वायु प्रदूषण पर कई शहरों के रिपोर्ट जारी किए गए हैं, जिसके तहत राजधानी रांची का प्रदूषण स्तर कम हुआ है और रांची 77वें स्थान पर है, जबकि झरिया में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है.

Greenpeace India report
फिरायालाल चौक
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Published : Jan 22, 2020, 7:34 PM IST

रांची: ग्रीनपीस इंडिया द्वारा वायु प्रदूषण पर कई शहरों के रिपोर्ट जारी किए गए हैं, जिसके तहत राजधानी रांची का प्रदूषण स्तर कम हुआ है और रांची 77वें स्थान पर है, जबकि झरिया में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है. पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी का मानना है कि पिछले 5 सालों में रांची का प्रदूषण घटने की जगह बढ़ा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी रांची में प्रदूषण का स्तर कम रहा है.

देखिए पूरी खबर

पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी ने कहा कि प्रदूषण कम होने की वजह बड़े पैमाने पर प्लांटेशन को माना जा सकता है. इसके साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल की भी अहम भूमिका होती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि राजधानी रांची में जिस तरह से ट्रैफिक की समस्या है उससे नहीं लगता कि यहां वायु प्रदूषण में कमी आई होगी. उन्होंने कहा कि रांची में पहले भी प्रदूषण का स्तर कम रहा है, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से पेड़ का कटाव और ट्रैफिक लोड बढ़ा है उससे लगता है कि यहां वायु प्रदूषण कम नहीं हुआ होगा बल्कि बढ़ा होगा.

उन्होंने कहा कि धनबाद, जमशेदपुर की तरह रांची में इंडस्ट्रियल सेक्टर कम है और ज्यादातर फॉरेस्ट कवर एरिया है. इस वजह से भी प्रदूषण कम हो सकता है. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, जबकि झरिया में माइनिंग की वजह से ज्यादा प्रदूषण होता है.

ये भी पढ़ें: पत्थलगड़ी या काला कानून! जानिए कैसे हुई झारखंड में इसकी शुरूआत
वहीं, उन्होंने रोकथाम के लिए सुझाव देते हुए कहा कि रांची में ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को मैनेज करना सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जा जाएं तब ही वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है. उन्होंने ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट को लेकर कहा कि इससे दूसरे ऑर्गनाइजेशन से क्रॉस चेक कराने की जरूरत है तभी यह साफ हो पाएगा कि रांची में प्रदूषण का क्या स्तर है.

रांची: ग्रीनपीस इंडिया द्वारा वायु प्रदूषण पर कई शहरों के रिपोर्ट जारी किए गए हैं, जिसके तहत राजधानी रांची का प्रदूषण स्तर कम हुआ है और रांची 77वें स्थान पर है, जबकि झरिया में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है. पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी का मानना है कि पिछले 5 सालों में रांची का प्रदूषण घटने की जगह बढ़ा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी रांची में प्रदूषण का स्तर कम रहा है.

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पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी ने कहा कि प्रदूषण कम होने की वजह बड़े पैमाने पर प्लांटेशन को माना जा सकता है. इसके साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल की भी अहम भूमिका होती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि राजधानी रांची में जिस तरह से ट्रैफिक की समस्या है उससे नहीं लगता कि यहां वायु प्रदूषण में कमी आई होगी. उन्होंने कहा कि रांची में पहले भी प्रदूषण का स्तर कम रहा है, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से पेड़ का कटाव और ट्रैफिक लोड बढ़ा है उससे लगता है कि यहां वायु प्रदूषण कम नहीं हुआ होगा बल्कि बढ़ा होगा.

उन्होंने कहा कि धनबाद, जमशेदपुर की तरह रांची में इंडस्ट्रियल सेक्टर कम है और ज्यादातर फॉरेस्ट कवर एरिया है. इस वजह से भी प्रदूषण कम हो सकता है. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, जबकि झरिया में माइनिंग की वजह से ज्यादा प्रदूषण होता है.

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वहीं, उन्होंने रोकथाम के लिए सुझाव देते हुए कहा कि रांची में ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को मैनेज करना सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जा जाएं तब ही वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है. उन्होंने ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट को लेकर कहा कि इससे दूसरे ऑर्गनाइजेशन से क्रॉस चेक कराने की जरूरत है तभी यह साफ हो पाएगा कि रांची में प्रदूषण का क्या स्तर है.

Intro:रांची.ग्रीनपीस इंडिया द्वारा वायु प्रदूषण पर कई शहरों के रिपोर्ट जारी किए गए हैं। जिसके तहत राजधानी रांची का प्रदूषण स्तर कम हुआ है और रांची 77 वें स्थान पर है। जबकि झरिया में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है। जबकि पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी का मानना है कि पिछले 5 सालों में रांची का प्रदूषण घटने की जगह बढ़ा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी रांची में प्रदूषण का स्तर कम रहा है। अगर ग्रीनपीस इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण घटा है। तो यह एक अच्छा साइन है।




Body:पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी ने कहा कि प्रदूषण कम होने की वजह बड़े पैमाने पर प्लांटेशन को माना जा सकता है। साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल की भी अहम भूमिका होती है।हालांकि उन्होंने कहा कि राजधानी रांची में जिस तरह से ट्रैफिक की समस्या है। उससे नहीं लगता कि यहां वायु प्रदूषण में कमी आई होगी।उन्होंने कहा कि रांची में पहले भी प्रदूषण का स्तर कम रहा है। लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से पेड़ का कटाव और ट्रैफिक लोड बढ़ा है। उससे लगता है कि यहां वायु प्रदूषण कम नहीं हुआ होगा बल्कि बढ़ा होगा।





Conclusion:उन्होंने कहा कि धनबाद,जमशेदपुर की तरह रांची में इंडस्ट्रियल सेक्टर कम है और ज्यादातर फॉरेस्ट कवर एरिया है। इस वजह से भी प्रदूषण कम हो सकता है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। जबकि झरिया में माइनिंग की वजह से ज्यादा प्रदूषण होता है। वहीं उन्होंने रोकथाम के लिए सुझाव देते हुए कहा कि रांची में ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को मैनेज करना सबसे ज्यादा जरूरी है। साथ ही ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जा जाएं। तब ही वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है। उन्होंने ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट को लेकर कहा कि इससे दूसरे ऑर्गनाइजेशन से क्रॉस चेक कराने की जरूरत है। तभी यह साफ हो पायेगा कि रांची में प्रदूषण का क्या स्तर है।
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