रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में फिलहाल 12 म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. जिनका इलाज रिम्स के ओल्ड ट्रॉमा सेंटर और डेंगू वार्ड में हो रहा है. रिम्स ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि जिस हिसाब से म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस झारखंड में पांव पसार रहा है और रिम्स में मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से मई के अंत तक सिर्फ रिम्स में 4 गुना ज्यादा मरीज देखे जा सकते हैं.
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अगर इसको लेकर लोग सावधान नहीं हुए तो मई महीने के आखिरी तारीख तक मरीजों की संख्या 50 से ज्यादा देखी जा सकती है. जितने मरीज 10 साल में नहीं मिलते उसने कहीं ज्यादा पिछले 10 दिनों में मिल गए हैं. डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य बताते हैं कि म्यूकर माइकोसिस के जितने मरीज सालभर में नहीं मिलते थे, उससे ज्यादा मरीज पिछले 10 दिनों में मिले हैं. देशभर की बात करें तो करीब दस हजार से अधिक मरीज अब तक पाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह एक अलार्मिंग सिचुएशन है. स्वास्थ्य विभाग एवं प्रबंधन को इस हिसाब से तैयारी कर लेनी चाहिए. रिम्स में फिलहाल 12 मरीज भर्ती हैं.
'एम्फोटेरेसिन बी' इंजेक्शन मिलने की जगह 'आइट्राकोनाजोल' का किया जा रहा है प्रयोग
राज्य में ब्लैक फंगस के मरीज मिल रहे हैं और ऐसे मरीजों का इलाज करने के लिए एम्फोटेरेसिन बी, लिपोसोमल सहित अन्य महत्वपूर्ण दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जिस वजह से मरीजों का इलाज करने में चिकित्सकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर डॉक्टर पीके भट्टाचार्य ने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार 'एम्फोटेरेसिन बी' की जगह 'आईट्राकोनाजोल' दवा उपलब्ध कराई जा रही है.
डॉक्टर भट्टाचार्य बताते हैं कि यह दवा आसानी से बाजार में उपलब्ध है और इसका दाम भी काफी कम है. इसे इंजेक्शन या टेबलेट के जरिए भी मरीजों को दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस दवा से म्यूकर के कुछ मामलों में फायदा मिला है. सभी स्पिशिस में इसका रिसर्च अभी नहीं हुआ है. लेकिन म्यूकर के कुछ मामलों में इसका फायदा जरूर हो रहा है.
फंगल इंफेक्शन स्टडी फोरम ट्रस्ट ने भी 'आईट्राकोनाजोल' दवा को बताया सही
फंगल इंफेक्शन स्टडी फोरम ट्रस्ट के लोगों ने केस के आधार पर रिसर्च कर इस दवा को विकल्प के तौर पर प्रयोग करने की सलाह दी है. इस ट्रस्ट में भारत के जाने-माने माइक्रोबायोलॉजिस्ट क्रिटिकल केयर के डॉक्टर और इन्फेक्शन डिजीज के डॉक्टर शामिल हैं. डॉक्टर पीके भट्टाचार्य इस ट्रस्ट के सदस्य हैं.
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म्यूकर माइकोसिस के मरीजों इलाज के लिए डॉक्टरों को करनी पड़ती है कड़ी मेहनत
म्यूकर माइकोसिस के मरीजों को बचाने के लिए डॉक्टरों को काफी मेहनत करने की जरूरत होती है. म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस के मरीजों को दवा के साथ सर्जरी और इनफेक्शन कंट्रोल की भी जरूरत होती है, तीनों एक साथ करना काफी कठिन होता है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में चलने वाली दवा कम से कम 6 हफ्ता लगातार चलाना होता है जो मरीजों के लिए काफी दिक्कत है.