ETV Bharat / city

धनबाद: निरसा थाना प्रभारी निलंबित, कोलकर्मी को फर्जी तरीके से भेजा था जेल

धनबाद में ईसीएल में कार्यरत एक कोलकर्मी को फर्जी तरीके से जेल भेजना एक पुलिस अधिकारी को महंगा पड़ गया. जांच के बाद उस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. बोकारो डीआईजी ने जांच के बाद उक्त कार्रवाई की.

Nirsa police Station
निरसा पुलिस स्टेशन
author img

By

Published : May 17, 2020, 8:05 AM IST

धनबादः ईसीएल में कार्यरत एक कोलकर्मी को फर्जी तरीके से जेल भेजना एक पुलिस अधिकारी को महंगा पड़ गया. जांच के बाद उस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. बोकारो डीआईजी ने जांच के बाद पुलिस अधिकारी को निलंबित किया है. ईसीएल के झांझरा प्रोजेक्ट में कार्यरत कोलकर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी के एक मामले में निरसा थाना प्रभारी उमेश सिंह ने उन्हें जेल भेज दिया था.

बंगाल में कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत चिरंजीत की पत्नी श्रावणी शेवाती ने मामले की शिकायत सीएम से की थी. श्रावणी ने अपनी शिकायत में कहा था कि बंगाल के एक एसडीपीओ उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं. उसने फोन पर अनचाहे दबाव बनाने की कोशिश की थी.

एसडीपीओ की बात न मानने पर धनबाद पुलिस की सांठगांठ कर उसके पति को झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया. 8 मई को सीआईडी के एडीजी अनिल पाल्टा ने मामले की जांच की जिम्मेदारी बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार को सौंपी थी. जांच के बाद डीआईजी ने निरसा थाना प्रभारी को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया है.

ये भी पढ़ें- रविवार को रांची पहुंचेगी श्रमिक स्पेशल ट्रेन और राजधानी एक्सप्रेस, रेल-जिला प्रशासन तैयार


बता दें कि 25 अगस्त 2019 को निरसा पुलिस ने एक वाहन से करीब 39 किलो गांजा बरामद किया था. पुलिस द्वारा इस मामले में चिरंजीत को जेल भेज दिया गया था. सीएम से शिकायत के बाद जल्दबाजी में केस डायरी तैयार कर कोर्ट को सौंपी गई थी, जिसमे यह बातें सामने आईं कि जांच के क्रम में तथ्यों में भूल की गई है. चिरंजीत दोषी नहीं पाया गया. कोर्ट ने डायरी के आधार पर चिरंजीत को जमानत दे दी थी. उन्हें 27 दिनों तक इसके लिए जेल के सलाखों के पीछे रहना पड़ा था.

धनबादः ईसीएल में कार्यरत एक कोलकर्मी को फर्जी तरीके से जेल भेजना एक पुलिस अधिकारी को महंगा पड़ गया. जांच के बाद उस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. बोकारो डीआईजी ने जांच के बाद पुलिस अधिकारी को निलंबित किया है. ईसीएल के झांझरा प्रोजेक्ट में कार्यरत कोलकर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी के एक मामले में निरसा थाना प्रभारी उमेश सिंह ने उन्हें जेल भेज दिया था.

बंगाल में कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत चिरंजीत की पत्नी श्रावणी शेवाती ने मामले की शिकायत सीएम से की थी. श्रावणी ने अपनी शिकायत में कहा था कि बंगाल के एक एसडीपीओ उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं. उसने फोन पर अनचाहे दबाव बनाने की कोशिश की थी.

एसडीपीओ की बात न मानने पर धनबाद पुलिस की सांठगांठ कर उसके पति को झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया. 8 मई को सीआईडी के एडीजी अनिल पाल्टा ने मामले की जांच की जिम्मेदारी बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार को सौंपी थी. जांच के बाद डीआईजी ने निरसा थाना प्रभारी को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया है.

ये भी पढ़ें- रविवार को रांची पहुंचेगी श्रमिक स्पेशल ट्रेन और राजधानी एक्सप्रेस, रेल-जिला प्रशासन तैयार


बता दें कि 25 अगस्त 2019 को निरसा पुलिस ने एक वाहन से करीब 39 किलो गांजा बरामद किया था. पुलिस द्वारा इस मामले में चिरंजीत को जेल भेज दिया गया था. सीएम से शिकायत के बाद जल्दबाजी में केस डायरी तैयार कर कोर्ट को सौंपी गई थी, जिसमे यह बातें सामने आईं कि जांच के क्रम में तथ्यों में भूल की गई है. चिरंजीत दोषी नहीं पाया गया. कोर्ट ने डायरी के आधार पर चिरंजीत को जमानत दे दी थी. उन्हें 27 दिनों तक इसके लिए जेल के सलाखों के पीछे रहना पड़ा था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.