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ट्राइबल बच्चियों के सपनों को मिली उड़ान, ट्रेनिंग के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने होसूर के लिए किया रवाना

झारखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से तमिलनाडु के सफर पर निकलीं जनजातीय बच्चियों को सपनों का उड़ान देने में केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने अहम भूमिका निभाई है. मंगलवार को हटिया स्टेशन से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने तमिलनाडु के होसूर के लिए चयनित करीब 900 बच्चियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया (Jharkhand tribal girls to Tamil Nadu for training).

Jharkhand tribal girls to Tamil Nadu for training
Jharkhand tribal girls to Tamil Nadu for training
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Published : Sep 27, 2022, 7:52 PM IST

रांचीः झारखंड की जनजातीय बच्चियों के सपनों को नई उड़ान मिली है. अपने घर गांव में कैद रहने वाली ये लड़कियां अब मीलों का सफर तय कर आत्मनिर्भर (tribal girls skill development training) बनने जा रही हैं. जनजातीय मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से कौशल विकास के तहत ना सिर्फ ये ट्रेनिंग लेंगी बल्कि रोजगार से भी जुड़ेंगी. इसी कड़ी में मंगलवार को हटिया रेलवे स्टेशन से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने तमिलनाडु के होसूर के लिए चयनित करीब 900 बच्चियों के पहले जत्था को हरी झंडी दिखाकर रवाना (Jharkhand tribal girls to Tamil Nadu for training) किया.

हटिया स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री (Union Minister Arjun Munda), विधायक सीपी सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे. इन बच्चियों के सुखद भविष्य की कामना करते हुए कहा कि जनजातीय मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लि. के संयुक्त प्रयास से इनको कौशल विकास योजना (skill development scheme) के तहत ना केवल प्रशिक्षण बल्कि रोजगार से जोड़ने के लिए बड़ी सफलता मिली है. यहां पर होसूर के लिए रवाना हो रही इन बच्चियों में जबरदस्त उत्साह देखा गया.

देखें पूरी खबर

4000 आदिवासी लड़कियों के चयन का लक्ष्यः मानव तस्करी और नक्सलवाद के लिए जाने जाने वाला राज्य के 4 जिला खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और सिमडेगा की करीब 1984 आदिवासी बेटियों को स्वावलंबी बनाने की पहल हई है. इसी उद्देश्य से भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से तमिलनाडु के होसुर में प्रशिक्षण के लिए इन्हें भेजा गया है. चयनित लड़कियों को पहले साल 15 हजार रुपये का वेतन भत्ता मिलेगा. यह सभी बच्चियां 12वीं पास हैं और एंट्री लेवल ऑपरेटर के तौर पर नियुक्त की गई हैं. 1 साल काम करने के बाद ये बच्चियां बीएससी की पढ़ाई करेंगी और कंपनी द्वारा इन्हें सारी सुविधाएं जैसे पीएफ ग्रेच्युटी आदि दी जाएंगी.

इस योजना के तहत टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कंपनी की ओर से राज्य की 4000 आदिवासी लड़कियों के चयन का लक्ष्य तय किया गया है. जल्दी ही अन्य जिलों में भी भर्ती कैंप लगाया जाएगा. इन लड़कियों के लिए होसूर में कंपनी द्वारा रहने खाने और परिवहन की व्यवस्था की जाएगी. हटिया स्टेशन से होसूर के लिए रवाना हो रही इन बच्चियों को ट्रेन के अंदर की गई व्यवस्था का केंद्रीय मंत्री ने जायजा लिया. कल तक ग्रामीण परिवेश में रहकर पली बढ़ी ये बच्चियां जब ट्रेन में सफर करने पहली बार घर से बाहर निकलीं तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. भारत सरकार के केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लि. ने इन सारी बच्चियों के हुनर को निखारने का जिम्मा लिया है, जिससे ये बेहद ही खुश हैं.

रांचीः झारखंड की जनजातीय बच्चियों के सपनों को नई उड़ान मिली है. अपने घर गांव में कैद रहने वाली ये लड़कियां अब मीलों का सफर तय कर आत्मनिर्भर (tribal girls skill development training) बनने जा रही हैं. जनजातीय मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से कौशल विकास के तहत ना सिर्फ ये ट्रेनिंग लेंगी बल्कि रोजगार से भी जुड़ेंगी. इसी कड़ी में मंगलवार को हटिया रेलवे स्टेशन से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने तमिलनाडु के होसूर के लिए चयनित करीब 900 बच्चियों के पहले जत्था को हरी झंडी दिखाकर रवाना (Jharkhand tribal girls to Tamil Nadu for training) किया.

हटिया स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री (Union Minister Arjun Munda), विधायक सीपी सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे. इन बच्चियों के सुखद भविष्य की कामना करते हुए कहा कि जनजातीय मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लि. के संयुक्त प्रयास से इनको कौशल विकास योजना (skill development scheme) के तहत ना केवल प्रशिक्षण बल्कि रोजगार से जोड़ने के लिए बड़ी सफलता मिली है. यहां पर होसूर के लिए रवाना हो रही इन बच्चियों में जबरदस्त उत्साह देखा गया.

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4000 आदिवासी लड़कियों के चयन का लक्ष्यः मानव तस्करी और नक्सलवाद के लिए जाने जाने वाला राज्य के 4 जिला खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और सिमडेगा की करीब 1984 आदिवासी बेटियों को स्वावलंबी बनाने की पहल हई है. इसी उद्देश्य से भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के संयुक्त प्रयास से तमिलनाडु के होसुर में प्रशिक्षण के लिए इन्हें भेजा गया है. चयनित लड़कियों को पहले साल 15 हजार रुपये का वेतन भत्ता मिलेगा. यह सभी बच्चियां 12वीं पास हैं और एंट्री लेवल ऑपरेटर के तौर पर नियुक्त की गई हैं. 1 साल काम करने के बाद ये बच्चियां बीएससी की पढ़ाई करेंगी और कंपनी द्वारा इन्हें सारी सुविधाएं जैसे पीएफ ग्रेच्युटी आदि दी जाएंगी.

इस योजना के तहत टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कंपनी की ओर से राज्य की 4000 आदिवासी लड़कियों के चयन का लक्ष्य तय किया गया है. जल्दी ही अन्य जिलों में भी भर्ती कैंप लगाया जाएगा. इन लड़कियों के लिए होसूर में कंपनी द्वारा रहने खाने और परिवहन की व्यवस्था की जाएगी. हटिया स्टेशन से होसूर के लिए रवाना हो रही इन बच्चियों को ट्रेन के अंदर की गई व्यवस्था का केंद्रीय मंत्री ने जायजा लिया. कल तक ग्रामीण परिवेश में रहकर पली बढ़ी ये बच्चियां जब ट्रेन में सफर करने पहली बार घर से बाहर निकलीं तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. भारत सरकार के केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लि. ने इन सारी बच्चियों के हुनर को निखारने का जिम्मा लिया है, जिससे ये बेहद ही खुश हैं.

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