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RCEP करार में शामिल नहीं होगा भारत

भारत ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सकता, इसी कारण भारत ने यह फैसला लिया है. पढ़ें विस्तार से...

RCEP करार में शामिल नहीं होगा भारत
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Published : Nov 4, 2019, 8:32 PM IST

Updated : Nov 4, 2019, 11:22 PM IST

बैंकॉक : भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी.

चूंकि आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है, इसे ध्यान में रखते हुए भारत ने यह फैसला किया है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार आरसीईपी समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'मैंने सभी भारतीयों के हितों के संबंध में आरसीईपी समझौते को मापा, लेकिन मुझे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। गांधीजी के सिद्धांतों ने और न ही मेरी अंतरात्मा ने मुझे आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति दी.'

सूत्रों ने कहा कि आरसीईपी में भारत का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है.

भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मंच पर भारत का रुख काफी व्यावहारिक रहा है. भारत ने जहां गरीबों के हितों के संरक्षण की बात की वहीं देश के सेवा क्षेत्र को लाभ की स्थिति देने का भी प्रयास किया.

पढ़ें : मोदी सरकार को घेरने की तैयारी, विपक्षी दलों ने की रणनीति पर चर्चा

सूत्रों ने बताया कि भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को खोलने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई. इसके साथ ही मजबूती से यह बात रखी कि इसका जो भी नतीजा आए, वह सभी देशों और सभी क्षेत्रों के अनुकूल हो.

आरसीईपी में दस आसियान देश और उनके छह मुक्त व्यापार भागीदार चीन, भारत, जापान, दक्षिण, कोरिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

आरसीईपी करार का मकसद दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना है. 16 देशों के इस समूह की आबादी 3.6 अरब है. यह दुनिया की करीब आधी आबादी है.

शनिवार को हुई बैठक में 16 आरसीईपी देशों के व्यापार मंत्री भारत द्वारा उठाये गये लंबित मुद्दों को हल करने में विफल रहे थे. हालांकि, आसियन शिखर बैठक से अलग कुछ लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए पर्दे के पीछे बातचीत जारी थी.

बैंकॉक : भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी.

चूंकि आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है, इसे ध्यान में रखते हुए भारत ने यह फैसला किया है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार आरसीईपी समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि RCEP के तहत कोर हितों पर कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'मैंने सभी भारतीयों के हितों के संबंध में आरसीईपी समझौते को मापा, लेकिन मुझे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। गांधीजी के सिद्धांतों ने और न ही मेरी अंतरात्मा ने मुझे आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति दी.'

सूत्रों ने कहा कि आरसीईपी में भारत का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है.

भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस मंच पर भारत का रुख काफी व्यावहारिक रहा है. भारत ने जहां गरीबों के हितों के संरक्षण की बात की वहीं देश के सेवा क्षेत्र को लाभ की स्थिति देने का भी प्रयास किया.

पढ़ें : मोदी सरकार को घेरने की तैयारी, विपक्षी दलों ने की रणनीति पर चर्चा

सूत्रों ने बताया कि भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को खोलने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई. इसके साथ ही मजबूती से यह बात रखी कि इसका जो भी नतीजा आए, वह सभी देशों और सभी क्षेत्रों के अनुकूल हो.

आरसीईपी में दस आसियान देश और उनके छह मुक्त व्यापार भागीदार चीन, भारत, जापान, दक्षिण, कोरिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

आरसीईपी करार का मकसद दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना है. 16 देशों के इस समूह की आबादी 3.6 अरब है. यह दुनिया की करीब आधी आबादी है.

शनिवार को हुई बैठक में 16 आरसीईपी देशों के व्यापार मंत्री भारत द्वारा उठाये गये लंबित मुद्दों को हल करने में विफल रहे थे. हालांकि, आसियन शिखर बैठक से अलग कुछ लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए पर्दे के पीछे बातचीत जारी थी.

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ASEAN-RCEP-LD INDIA
India will not join RCEP deal: PM Modi
By Manash Pratim Bhuyan
(Eds: Updating with more details, quotes)
         Bangkok, Nov 4 (PTI) Prime Minister Narendra Modi said on Monday that India will not join the mega Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) deal as negotiations failed to address New Delhi's "outstanding issues and concerns".
         Prime Minister Modi made the announcement during his speech at the RCEP Summit here, which was attended by several world leaders.
         "The present form of the RCEP Agreement does not fully reflect the basic spirt and the agreed guiding principles of the RCEP. It also does not address satisfactorily India's outstanding issues and concerns. In such a situation, it is not possible for India to join RCEP Agreement," Modi said.
         The RCEP comprises 10 ASEAN nations and six of its FTA (free trade agreement) partners - China, India, Japan, South Korea, India, Australia and New Zealand. However, India opted out of the RCEP.
         The original RCEP was aiming to facilitate the creation of the biggest free-trade region in the world as the 16-nation grouping is home to 3.6 billion people, or nearly half the world's population.
         India has been forcefully raising the issue of market access as well as protected lists of goods mainly to shield its domestic market as there have been fears that the country may be flooded with cheap Chinese agricultural and industrial products once it signs the deal.
         "India stands for greater regional integration as well as for freer trade and adherence to a rule-based international order. India has been pro-actively, constructively and meaningfully engaged in the RCEP negotiations since inception. India has worked for the cherished objective of striking balance, in the spirit of give and take," the prime minister said.
         "Today, when we look around we see during seven years of RCEP
negotiations, many things, including the global economic and trade scenarios
have changed. We cannot overlook these changes," he added.
         The RCEP negotiations were launched by ASEAN leaders and six other countries during the 21st ASEAN Summit in Phnom Penh in November 2012. The objective of launching RCEP negotiations was to achieve a modern, comprehensive, high-quality, and mutually beneficial economic partnership agreement among the ASEAN member States and its FTA partners.
         "When I measure the RCEP Agreement with respect to the interests of
all Indians, I do not get a positive answer. Therefore, neither the Talisman of
Gandhiji nor my own conscience permit me to join RCEP," Modi said.
         This is not the first time that the Indian government under Prime Minister Modi has demonstrated a strong resolve in matters of international
trade and related negotiations. US President Donald Trump who is known for his negotiation skills has himself called Modi a tough negotiator, sources said.
         "Gone are the days when Indian negotiators caved-in to pressures from the global powers on trade issues. This time, India played on the front foot,
stressing on the need to address India's concerns over trade deficits and the
need for other countries to open their markets to Indian services and
investments," government sources said.
         The sources said except India, all 15 RCEP member countries were on board in finalising the deal at Monday's summit.
         On Saturday, the trade ministers from 16 RCEP countries failed to resolve the outstanding issues identified by India, though back-channel talks continued on the sidelines of the ASEAN summit to resolve the sticky issues. PTI MPB ZH AKJ
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NNNN
Last Updated : Nov 4, 2019, 11:22 PM IST
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