सोलन: सोलन की 8 पंचायतों को नगर निगम में मर्ज करने को लेकर करीब 11 हजार से अधिक ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है. एडीसी सोलन के माध्यम से प्रदेश सरकार को इसकी कॉपी भेजी गई है. कोविड नियमों का पालन करते हुए उपायुक्त कार्यालय के बाहर 5 पंचायतों से करीब 200 लोग इकट्ठा हुए और बारी-बारी अपनी आपत्तियां प्रदेश सरकार को भेजी. 4 अक्टूबर तक अन्य लोग भी अपनी आपत्तियों को सरकार के समक्ष रख सकते हैं. इसके बाद इस विषय में सरकार की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
11 हजार से अधिक लोगों ने किए हस्ताक्षर
बता दें कि नगर निगम के विरोध में 8 पंचायतो से तैयार नई ग्रामीण संघर्ष समिति ने अपना आंदोलन तेज कर लिया है. कोविड के बीच जारी निर्देशों की पालना कर समिति ने पंचायतों के वार्ड स्तर पर बैठक आयोजित कर 11 हजार से अधिक लोगों के विरोध पत्र हस्ताक्षर लिए हैं. अधिकतर ग्रामीणों ने नगर निगम में मर्ज होने से इंकार किया है. संबंधित आठ पंचायतों के लोग नगर निगम बनाने के लिए तैयार है, लेकिन ग्रामीण सिर्फ शहरी क्षेत्र को नगर निगम बनाना चाहते हैं और इसमें पंचायतो को मर्ज करने का विरोध कर रहे हैं.
अपना हक्क नहीं छोड़ेंगे: संघर्ष समिति
अब नगर निगम के विरोध के लिए संघर्ष समिति ने आगामी आंदोलन की भी तैयारी कर ली है. संघर्ष समिति के प्रवक्ता नीरज का कहना है कि अगर ग्रामीणों की जमीन नगर निगम में शामिल हो जाएगी तो ग्रामीणों से उनका हक्क छीन जाएगा. उनका कहना है कि अगर उन्हें अपने हक के लिए लड़ना भी पड़ा तो वे लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अपने हक्क के लिए उन्हें अगर जेल जाना पड़ेगा या आमरण अनशन करना पड़ेगा तो वह करेंगे.
वार्ड स्तर पर लिए गए है सुझाव
ग्रामीण संघर्ष समिति के अध्यक्ष किरण किशोर ने बताया कि समिति से वार्ड स्तर पर बैठक कर लोगों से उनकी आपत्तियां और सुझाव लिए गए हैं. इसमें 11 हजार से अधिक ग्रामीणों ने निगम मर्ज होने से इंकार किया है. इसकी रिपोर्ट एडीसी सोलन के माध्यम से प्रदेश सरकार को भेज दी है, अब निर्णय सरकार लेगी. संघर्ष समिति का कहना है कि यदि ग्रामीण की मांग को पूरा नही करती तो संघर्ष समिति आंदोलन को तेज कर देगी.
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