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बदहाली के आंसू रो रही 6 गांवों को जोड़ने वाली सड़क, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

शावगा पंचायत के दर्जनों गांव को जोड़ने वाली सड़क अपनी बदहाली के आसू रो रही है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि इस मार्ग पर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल है. 15 सालों में हिमाचाल बीजेपी-कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन शावगा पंचायत के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली सड़क की हालत नहीं सुधरी.

Road connecting 6 villages of poanta sahib
बदहाली की आंसू रो रही 6 गांवों को जोड़ने वाली सड़क.
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Published : Feb 10, 2020, 11:25 AM IST

Updated : Feb 10, 2020, 12:07 PM IST

पांवटा साहिब: एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार हिमाचल में फोर लेन सड़कें बनाने की बात कर रही हो तो दूसरी ओर हिमाचल में आज भी कई ऐसे गांव है जहां सड़क सुविधा ही नहीं है. कई इलाकों में आज भी सड़कों की स्थिती ऐसी है कि इस पर पैदल चलना भी मुश्किल है.

ऐसा ही एक मामला शिलाई का है. शावगा पंचायत के दर्जनों गांव को जोड़ने वाली सड़क अपनी बदहाली के आसू रो रही है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि इस मार्ग पर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल है. जान जोखिम में डालकर लोग सफर करने को मजबूर हैं. पिछले 15 सालों में हिमाचाल बीजेपी-कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन शावगा पंचायत के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली सड़क की हालत नहीं सुधरी.

वीडियो रिपोर्ट.

क्या बोले गांव के युवा व बुद्धिजीवियों
स्थानीय ग्रामीण रमेश ने कहा कि सड़क की हालत ऐसी है कि इस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. अपातकालीन स्थिती में मरीज को कंधे पर उठाकर मुख्य मार्ग तक लेकर जाना पड़ता है. कई बार तो मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाता है और उसकी मौत हो जाती है.

गांव के नवयुग मंडल युवा प्रधान अनिल ठाकुर ने बताया कि सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. विभाग की लापरवाही की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वह जनमंच के दौरान मंत्रियों से इस समस्या की गुहार लगाएंगे. फिर भी अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ेगा.

एंटी क्राइम कंट्रोल प्रदेश चीफ नाथूराम ने कहा कि शिलाई के वर्तमान विधायक हर्षवर्धन चौहान व पूर्व विधायक बलदेव तोमर लोगों को ठग कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. नाथूराम ने बताया कि बनोर तीन पंचायत में पहुंचने के लिए 90 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जो कि मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर है.

पढ़ें: 37 दिन बाद बहाल हुआ जलोड़ी दर्रा, लोगों ने ली राहत की सांस

पांवटा साहिब: एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार हिमाचल में फोर लेन सड़कें बनाने की बात कर रही हो तो दूसरी ओर हिमाचल में आज भी कई ऐसे गांव है जहां सड़क सुविधा ही नहीं है. कई इलाकों में आज भी सड़कों की स्थिती ऐसी है कि इस पर पैदल चलना भी मुश्किल है.

ऐसा ही एक मामला शिलाई का है. शावगा पंचायत के दर्जनों गांव को जोड़ने वाली सड़क अपनी बदहाली के आसू रो रही है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि इस मार्ग पर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल है. जान जोखिम में डालकर लोग सफर करने को मजबूर हैं. पिछले 15 सालों में हिमाचाल बीजेपी-कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन शावगा पंचायत के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली सड़क की हालत नहीं सुधरी.

वीडियो रिपोर्ट.

क्या बोले गांव के युवा व बुद्धिजीवियों
स्थानीय ग्रामीण रमेश ने कहा कि सड़क की हालत ऐसी है कि इस पर पैदल चलना भी मुश्किल है. अपातकालीन स्थिती में मरीज को कंधे पर उठाकर मुख्य मार्ग तक लेकर जाना पड़ता है. कई बार तो मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाता है और उसकी मौत हो जाती है.

गांव के नवयुग मंडल युवा प्रधान अनिल ठाकुर ने बताया कि सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. विभाग की लापरवाही की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि वह जनमंच के दौरान मंत्रियों से इस समस्या की गुहार लगाएंगे. फिर भी अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ेगा.

एंटी क्राइम कंट्रोल प्रदेश चीफ नाथूराम ने कहा कि शिलाई के वर्तमान विधायक हर्षवर्धन चौहान व पूर्व विधायक बलदेव तोमर लोगों को ठग कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं. नाथूराम ने बताया कि बनोर तीन पंचायत में पहुंचने के लिए 90 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जो कि मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर है.

पढ़ें: 37 दिन बाद बहाल हुआ जलोड़ी दर्रा, लोगों ने ली राहत की सांस

Intro:15 सालों से सड़क पक्की होने की आस देख रहे ग्रामीण
सड़क पक्की नहीं हुई तो करेंगे आंदोलन।
शिलाई के दोनों दलो के नेता ग्रामीणों को कर रहे ग़ुमराह रहा नाथूराम।
आधा दर्जन लोग सड़क की खस्ता हालत से परेशान।Body:


केंद्र और प्रदेश सरकार सड़कों को फोरलेन बनाने की बातें कर रही है इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए हर एक की योजनाएं तैयार की जा रही है पर धरातल की अगर बात की जाए तो आज भी कई गांव ऐसे हैं जो सड़कों की खस्ता हालत पर अपने बदहाली के आंसू बहा रहे हैं।पांवटा साहिब से 70 किलोमीटर दूर शावगा पंचायत के अंतर्गत आने वाले आधा दर्जन गांव को जोड़ती सड़क पिछले 15 सालों से अधर में लटकी हुई है बरसात के दिनों में 4 महीने ग्रामीण का जनजीवन अस्तित्व में पड़ जाता है बता दें कि कई पहाड़ी इलाकों में पीएमजीएसवाई के थ्रू ग्रामीण इलाकों में सड़कें तो पहुंचाई गई है इन सड़कों को प्रशासन द्वारा चकाचौंध भी कर दिया गया है। लेकिन विडंबना इस पंचायत की पिछले 15 सालों से पक्का तो क्या पर सड़क में एक भी डंगा नहीं लग पाए स्थानीय दोनों दलों के नेता व प्रशासन इस खतरनाक सड़क को देखकर तो पैदल चलना भी खतरे से कम नहीं है सड़क की खस्ता हालत को देखकर तो सड़क कम और गड्ढे। ज्यादा नजर आते हैं ग्रामीण इसे खौफनाक सड़क कहते हैं जब छोटे वाहन इस खौफनाक सड़क पर चलते हैं तो जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है सड़क अपनी हालत की सच्चाई के बदहाली आशु खुद ही दिखा रही है लेकिन मजबूरी इन गांव वासियों की जो इस सड़क पर रोजाना आवाजाही कर रहे हैं
जिला सिरमौर के ट्रांसगिरी के अंतर्गत पंचायत के धनाला छितली गुईना डाबरा खतवाड आदि गांव के लोगों को नाम के लिए सड़क तो मिल गई पर चलना इस पर दुर्लभ हो गया है
गौरतलब है कि इसी सड़क से स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे बुजुर्ग। जान जोखिम में डालकर हर रोजाना आवाजाही करते हैं। थोड़ा सा भी पांव फिसलने पर। गहरी खाई में गिर जाने से लोगों की हड्डियां भी मिलना असंभव हो जाएगा।

क्या कहा गांव के युवा व बुद्धिजीवियों ने?

गांव के युवा रमेश ने बताया कि हम लोग बत्तर की जिंदगी जी रहे हैं क्या ऐसा सिरमौर में हिमाचल या पूरे देश में कहीं ऐसी जगह है जहां लोग कंधों में उठाकर मरीजों को सड़क तक पहुंचाते हैं
महेंद्र सिंह ने बताया कि सड़क की खस्ता हालत पर वाहन चलना दुश्वार हो गया है पूरे गांव का यही एक मुद्दा है जो कि काफी समय से अधर में लटका हुआ है 70 वर्षीय सुपा राम ने कहां की बहानेबाजी तो वन विभाग की जगह का बना दिया पर 300 मीटर का अगर वन विभाग का दायरा आ भी रहा है तो उससे पीछे की तरफ तो पक्की होनी चाहिए वहीं गांव के रामभज ने भी बताया कि पिछले 15 सालों से सड़क की हालत ज्यों की त्यों बनी हुई है। पैदल चलना भी यहां पर दुश्वार हो गया है लेकिन सभी विभागों के जिम्मेदार अधिकारी यहां पर एक बार ही मौके पर नहीं पहुंचे हैं। वहीं गांव के नवयुग मंडल युवा प्रधान अनिल ठाकुर ने भी बताया कि सीएम हेल्पलाइन को कंप्लेंट करने के बावजूद भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं है पीडब्ल्यूडी विभाग वन विभाग को कंप्लेंट करता है और वन विभाग पीडब्ल्यूडी विभाग को कंप्लेन करता है इन दोनों विभागों की लापरवाही यहां के गांव के लोगों को भारी पड़ रही है यहां के गांव के लोग पिछले 15 सालों से सबर कर रहे थे पर अब सब्र का बांध टूट चुका है ग्रामीण एकजुट होकर सड़कों पर आंदोलन भी कर सकते हैं वही एंटी क्राइम कंट्रोल प्रदेश चीफ नाथूराम ने भी लोगों की बातों को सुनकर कहा कि 70 सालों से शिलाई के पूर्व विधायक हर्षवर्धन चौहान व वर्तमान विधायक बलदेव तोमर यहां के लोगों को ठग कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं। और ग्रामीण अपनी रोजाना जान जोखिम में डाल रहे हैं। नाथूराम ने बताया कि बनोर 3पंचायत में पहुंचने के लिए 90 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जबकि मात्र 13 किलोमीटर की दूरी में बनोर है यही नहीं यहां के लोग खेती पर निर्भर रहते हैं उत्तराखंड की मंडियों में अपनी फसलें पहुंचाते हैं सड़क बनने से यहां के किसानों की डायरेक्ट फैसले मंडी में पहुंच सकती है?


Conclusion:गांव के नवयुवक मंडल प्रधान अनिल चौहान ने यह बताया है कि अगर हाल ही में जनमंच के दौरान मंत्रियों से इस समस्या की गुहार लगाएंगे मंत्रियों ने समाधान नहीं किया तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे।
Last Updated : Feb 10, 2020, 12:07 PM IST
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