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कांगड़ा की गौशाला में दो साल में 1200 से ज्यादा गोवंश की मौत, HC ने केंद्र व राज्य से गौ अभ्यारण्य पर खर्च रकम का मांगा ब्यौरा - COWS DEATH IN KANGRA

हाईकोर्ट ने गौ अभ्यारण्य पर खर्च रकम का ब्यौरा मांगा है. दो साल के अंतराल में 1200 से ज्यादा गोवंश की मौत हो गई थी.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 11, 2024, 9:54 PM IST

शिमला: देवभूमि हिमाचल के जिला कांगड़ा में एक गौशाला में दो साल के अंतराल में 1200 से ज्यादा गोवंश की मौत हो गयी थी. हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से जिला के शक्तिपीठ ज्वालामुखी के पास लुथाण गांव में स्थित गौशाला को अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने की मांग उठाई थी. इसी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई चली हुई है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह उनके द्वारा चलाए जा रहे गो अभयारण्य अथवा गोसदनों पर खर्च की गई राशि का विवरण पेश करे. कोर्ट ने खर्च की गई रकम और इसके उपयोग का सटीक विवरण दर्ज करने का आदेश दिया.

अदालत ने यह आदेश इस बात को देखते हुए जारी किए कि हिमाचल प्रदेश सरकार हिन्दू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1984 के तहत सरकार द्वारा अधिग्रहित मंदिरों में दान के रूप में एकत्रित की जा रही राशि का 15% इन गोशालाओं पर खर्च कर रही है. राज्य सरकार प्रदेश में बेची जा रही शराब की प्रत्येक बोतल पर भी काऊ सेस के रूप में ढाई प्रतिशत का उप-कर लगा रही है.

याचिका के तथ्य चौंकाने वाले

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा रखे गए तथ्यों को चौंकाने वाला बताया. इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कांगड़ा को आदेश दिए कि वह राधेश्याम गो अभयारण्य, ग्राम लुथान, पीओ सुधांगल, तहसील ज्वालामुखी, जिला कांगड़ा का दौरा करें और अभयारण्य की स्थिति के बारे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें और उसका निरीक्षण करने के बाद न केवल अपनी स्वतंत्र रिपोर्ट दाखिल करें बल्कि इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों पर अपना जवाब भी दाखिल करेंगे.

कोर्ट ने एसडीएम ज्वालामुखी को आदेश दिए कि वह अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहें और स्पष्ट करें कि उन्होंने किन परिस्थितियों में उक्त गौ अभ्यारण्य में ट्रैपिंग फोटोग्राफी और अन्य रिकॉर्डिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि गौ अभयारण्य के लिए फिलहाल कोई प्रबंधन समिति क्यों नहीं है और इस संबंध नियुक्ति के संबंध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

राधा कृष्ण गौशाला लुथाण का मामला

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि राधे कृष्णा गौ अभ्यारण्य लुथाण जिला कांगड़ा में कोई अनियमितताएं नहीं बरती जा रही हैं. प्रतिवादियों ने प्रार्थी के आरोपों से इंकार किया था. हाईकोर्ट ने साढ़े 3 करोड़ रुपये की लागत से बनाए राधे कृष्णा गौ अभयारण्य लुथाण जिला कांगड़ा को बंद करने की मांग से जुड़े मामले पर सरकार को नोटिस जारी किए थे.प्रार्थी पवन कुमार ने मुख्य सचिव सहित पशुपालन विभाग के सचिव, वन सचिव, गौ सेवा आयोग बालूगंज के निदेशक, केंद्रीय पशुपालन विभाग के सचिव और एनिमल वेलफेयर बोर्ड को प्रतिवादी बनाया है. मामले में दिए तथ्यों के अनुसार 23 जनवरी 2019 को प्रदेश सरकार ने प्रदेश को आवारा पशु मुक्त करने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक पशु अभ्यारण्य स्थापित करने के बारे में दिशा निर्देश तय किए थे.

31 जुलाई 2020 को पशु विभाग अभयारण्य में पशुओं की देखरेख संबंधी एसओपी जारी किया. 7 अप्रैल 2021 को एक और एसओपी जारी कर गो सदनों की कार्यप्रणाली तय की. 20 जनवरी 2022 को सरकार ने ज्वाला जी जिला कांगड़ा के लुथाण में राधे कृष्णा गौ अभयारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके बाद साढ़े 3 करोड़ रुपये की लागत से यह अभयारण्य स्थापित किया गया. दो सालों में वहां 1310 बेसहारा गायों को रखा गया और इन्ही दो वर्षो में 1200 गायें कुपोषण और बीमारी से मारी गईं. 19 अक्टूबर 2023 को एक ही दिन में 15 गायें कुप्रबंधन की वजह से मारी गई. प्रार्थी ने इस अभयारण्य को लुथान में बंद कर किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के आदेशों की मांग की है.

ये भी पढ़ें: ' हिमाचल सरकार ने 3000 अध्यापकों की बैचवाइज भर्ती की, तीन हजार की प्रक्रिया जारी'

शिमला: देवभूमि हिमाचल के जिला कांगड़ा में एक गौशाला में दो साल के अंतराल में 1200 से ज्यादा गोवंश की मौत हो गयी थी. हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से जिला के शक्तिपीठ ज्वालामुखी के पास लुथाण गांव में स्थित गौशाला को अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने की मांग उठाई थी. इसी याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई चली हुई है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह उनके द्वारा चलाए जा रहे गो अभयारण्य अथवा गोसदनों पर खर्च की गई राशि का विवरण पेश करे. कोर्ट ने खर्च की गई रकम और इसके उपयोग का सटीक विवरण दर्ज करने का आदेश दिया.

अदालत ने यह आदेश इस बात को देखते हुए जारी किए कि हिमाचल प्रदेश सरकार हिन्दू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1984 के तहत सरकार द्वारा अधिग्रहित मंदिरों में दान के रूप में एकत्रित की जा रही राशि का 15% इन गोशालाओं पर खर्च कर रही है. राज्य सरकार प्रदेश में बेची जा रही शराब की प्रत्येक बोतल पर भी काऊ सेस के रूप में ढाई प्रतिशत का उप-कर लगा रही है.

याचिका के तथ्य चौंकाने वाले

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा रखे गए तथ्यों को चौंकाने वाला बताया. इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कांगड़ा को आदेश दिए कि वह राधेश्याम गो अभयारण्य, ग्राम लुथान, पीओ सुधांगल, तहसील ज्वालामुखी, जिला कांगड़ा का दौरा करें और अभयारण्य की स्थिति के बारे में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें और उसका निरीक्षण करने के बाद न केवल अपनी स्वतंत्र रिपोर्ट दाखिल करें बल्कि इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों पर अपना जवाब भी दाखिल करेंगे.

कोर्ट ने एसडीएम ज्वालामुखी को आदेश दिए कि वह अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहें और स्पष्ट करें कि उन्होंने किन परिस्थितियों में उक्त गौ अभ्यारण्य में ट्रैपिंग फोटोग्राफी और अन्य रिकॉर्डिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि गौ अभयारण्य के लिए फिलहाल कोई प्रबंधन समिति क्यों नहीं है और इस संबंध नियुक्ति के संबंध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

राधा कृष्ण गौशाला लुथाण का मामला

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि राधे कृष्णा गौ अभ्यारण्य लुथाण जिला कांगड़ा में कोई अनियमितताएं नहीं बरती जा रही हैं. प्रतिवादियों ने प्रार्थी के आरोपों से इंकार किया था. हाईकोर्ट ने साढ़े 3 करोड़ रुपये की लागत से बनाए राधे कृष्णा गौ अभयारण्य लुथाण जिला कांगड़ा को बंद करने की मांग से जुड़े मामले पर सरकार को नोटिस जारी किए थे.प्रार्थी पवन कुमार ने मुख्य सचिव सहित पशुपालन विभाग के सचिव, वन सचिव, गौ सेवा आयोग बालूगंज के निदेशक, केंद्रीय पशुपालन विभाग के सचिव और एनिमल वेलफेयर बोर्ड को प्रतिवादी बनाया है. मामले में दिए तथ्यों के अनुसार 23 जनवरी 2019 को प्रदेश सरकार ने प्रदेश को आवारा पशु मुक्त करने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक पशु अभ्यारण्य स्थापित करने के बारे में दिशा निर्देश तय किए थे.

31 जुलाई 2020 को पशु विभाग अभयारण्य में पशुओं की देखरेख संबंधी एसओपी जारी किया. 7 अप्रैल 2021 को एक और एसओपी जारी कर गो सदनों की कार्यप्रणाली तय की. 20 जनवरी 2022 को सरकार ने ज्वाला जी जिला कांगड़ा के लुथाण में राधे कृष्णा गौ अभयारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके बाद साढ़े 3 करोड़ रुपये की लागत से यह अभयारण्य स्थापित किया गया. दो सालों में वहां 1310 बेसहारा गायों को रखा गया और इन्ही दो वर्षो में 1200 गायें कुपोषण और बीमारी से मारी गईं. 19 अक्टूबर 2023 को एक ही दिन में 15 गायें कुप्रबंधन की वजह से मारी गई. प्रार्थी ने इस अभयारण्य को लुथान में बंद कर किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के आदेशों की मांग की है.

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