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इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के संजौली कैम्पस को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति रद्द, HC ने सुनाया फैसला - SANJAULI CAMPUS COORDINATOR

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के संजौली कॉलेज कैंपस में नियुक्त को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 11, 2024, 10:12 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के संजौली कॉलेज कैंपस में नियुक्त को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने उक्त को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति को रद्द करते हुए कहा कि इग्नू ने यह नियुक्ति इस तथ्य के बावजूद की कि निजी प्रतिवादी की आयु 55 वर्ष से अधिक है. प्रार्थी के अनुसार इस पद पर केवल 55 वर्ष की आयु से कम वाले शिक्षाविद् को ही नियुक्त किया जा सकता है. प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि शिक्षार्थी सहायता केन्द्रों के लिए को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति के लिए जो मैनुअल तैयार किया गया है. उसमें समन्वयक की नियुक्ति के लिए शिक्षाविदों के संदर्भ में आयु सीमा निर्धारित की गई है.

यह मुख्य दस्तावेज है जो शिक्षाविदों की पात्रता की शर्त को 55 वर्ष से कम आयु का निर्धारित करता है जबकि मानक संचालन प्रक्रिया केवल मैनुअल के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करती है, जिसे शिक्षार्थी सहायता केन्द्रों के लिए तैयार किया गया है. कोर्ट ने पाया कि इस मामले में विवाद बहुत ही संकीर्ण दायरे में है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मुद्दा यह है कि क्या 55 वर्ष से अधिक आयु के किसी शिक्षाविद की सिफारिश की जा सकती है और फिर उसे समन्वयक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है या नहीं.

न्यायालय को अवगत कराया गया था कि निजी प्रतिवादी को 15 जुलाई 2024 को समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था. जिस दिन उसके नाम की सिफारिश की गई थी और जिस दिन उसे समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था, उस दिन उसकी आयु 55 वर्ष से अधिक थी. मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता डॉ. मदन शांडिल का कहना था कि वह संजौली कॉलेज में अर्थशास्त्र विषय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत है.

इग्नू के विभिन्न अध्ययन केंद्रों के प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए समन्वयक और सहायक समन्वयक नियुक्त किए जाते हैं. शिक्षार्थी सहायता केंद्र के लिए एक मैनुअल प्रचलन में है जिसमें यह बताया गया है कि समन्वयक के रूप में किसे नियुक्त किया जा सकता है. उक्त मैनुअल के खंड 3.2 के अनुसार जब भी समन्वयक का कोई पद रिक्त होता है तो मेजबान संस्थान के प्रमुख की समग्र देख-रेख में इग्नू की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के प्रबंधन, पर्यवेक्षण और संचालन के लिए निर्धारित प्रारूप में समन्वयक की नियुक्ति के लिए वरीयता क्रम में तीन वरिष्ठतम शिक्षाविदों का एक पैनल तैयार करना होता है.

हालांकि पैनल में 55 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठतम शिक्षाविद शामिल होने चाहिए. इस नियम का उल्लंघन कर नियुक्त प्रतिवादी की नियुक्ति को रद्द करते हुए कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे शिक्षार्थी सहायता केन्द्र इग्नू के लिए मैनुअल के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करते हुए समन्वयक की नियुक्ति करें.

ये भी पढ़ें: संजौली कॉलेज के निष्कासित छात्रों को एग्जाम में बैठने की सशर्त अनुमति, छात्रों पर हुड़दंग का आरोप

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के संजौली कॉलेज कैंपस में नियुक्त को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने उक्त को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति को रद्द करते हुए कहा कि इग्नू ने यह नियुक्ति इस तथ्य के बावजूद की कि निजी प्रतिवादी की आयु 55 वर्ष से अधिक है. प्रार्थी के अनुसार इस पद पर केवल 55 वर्ष की आयु से कम वाले शिक्षाविद् को ही नियुक्त किया जा सकता है. प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि शिक्षार्थी सहायता केन्द्रों के लिए को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति के लिए जो मैनुअल तैयार किया गया है. उसमें समन्वयक की नियुक्ति के लिए शिक्षाविदों के संदर्भ में आयु सीमा निर्धारित की गई है.

यह मुख्य दस्तावेज है जो शिक्षाविदों की पात्रता की शर्त को 55 वर्ष से कम आयु का निर्धारित करता है जबकि मानक संचालन प्रक्रिया केवल मैनुअल के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करती है, जिसे शिक्षार्थी सहायता केन्द्रों के लिए तैयार किया गया है. कोर्ट ने पाया कि इस मामले में विवाद बहुत ही संकीर्ण दायरे में है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मुद्दा यह है कि क्या 55 वर्ष से अधिक आयु के किसी शिक्षाविद की सिफारिश की जा सकती है और फिर उसे समन्वयक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है या नहीं.

न्यायालय को अवगत कराया गया था कि निजी प्रतिवादी को 15 जुलाई 2024 को समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था. जिस दिन उसके नाम की सिफारिश की गई थी और जिस दिन उसे समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था, उस दिन उसकी आयु 55 वर्ष से अधिक थी. मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता डॉ. मदन शांडिल का कहना था कि वह संजौली कॉलेज में अर्थशास्त्र विषय में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत है.

इग्नू के विभिन्न अध्ययन केंद्रों के प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए समन्वयक और सहायक समन्वयक नियुक्त किए जाते हैं. शिक्षार्थी सहायता केंद्र के लिए एक मैनुअल प्रचलन में है जिसमें यह बताया गया है कि समन्वयक के रूप में किसे नियुक्त किया जा सकता है. उक्त मैनुअल के खंड 3.2 के अनुसार जब भी समन्वयक का कोई पद रिक्त होता है तो मेजबान संस्थान के प्रमुख की समग्र देख-रेख में इग्नू की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के प्रबंधन, पर्यवेक्षण और संचालन के लिए निर्धारित प्रारूप में समन्वयक की नियुक्ति के लिए वरीयता क्रम में तीन वरिष्ठतम शिक्षाविदों का एक पैनल तैयार करना होता है.

हालांकि पैनल में 55 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठतम शिक्षाविद शामिल होने चाहिए. इस नियम का उल्लंघन कर नियुक्त प्रतिवादी की नियुक्ति को रद्द करते हुए कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे शिक्षार्थी सहायता केन्द्र इग्नू के लिए मैनुअल के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करते हुए समन्वयक की नियुक्ति करें.

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