हैदराबाद: भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ 'पड़ोसी पहले नीति' के साथ मित्रतापूर्ण और परस्पर सहयोग वाले संबंध चाहता है. हालांकि, साल 2024 में पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल और कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिससे कूटनीति के साथ द्विपक्षीय संबंधों में कड़वाहट महसूस की गई. बांग्लादेश हो या मालदीव या नेपाल, इन देशों में हुए घटनाक्रमों ने भारत को असहज किया.
हालांकि, इस साल भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिली. पांच साल में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान शहर में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक हुई. इससे पहले दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दो प्रमुख टकराव बिंदुओं से सेना को हटाने की घोषणा की थी.
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई 'पड़ोसी पहले नीति' भारत के पड़ोसियों के साथ मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक एकीकरण और आपसी समृद्धि सुनिश्चित करने पर जोर देती है. यह नीति बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, मालदीव, पाकिस्तान और अफगानिस्तान सहित दक्षिण एशिया के देशों के साथ सहयोग को प्राथमिकता देती है.
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट और हिंसा
बांग्लादेश में साल 2024 की शुरुआत में विवादास्पद संसदीय चुनाव हुए. इन चुनावों को निष्पक्षता, समावेशिता और लोकतांत्रिक अखंडता के लिए व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा. तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ अवामी लीग ने संसद की कुल 300 सीटों में से 224 सीटें जीतकर लगातार चौथी बार जीत हासिल की. वहीं, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने चुनाव का बहिष्कार किया. साथ ही हसीना सरकार पर विपक्षी आवाजों को दबाने का आरोप लगाया.
जुलाई में, नौकरियों में आरक्षण के विरोध में छात्रों के आंदोलन ने विद्रोह का रूप ले लिया. 19 जुलाई को पुलिस की कार्रवाई में 75 आंदोलनकारी मारे गए और बांग्लादेश सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया. लेकिन दमनकारी कार्रवाई से छात्रों का आंदोलन और उग्र हो गया. इसके बाद आंदोलनकारी छात्रों ने ढाका की ओर मार्च का आह्वान किया, जिसके कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को 5 अगस्त को इस्तीफा देकर देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा और उन्होंने भारत में शरण ली.
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद संसद को भंग कर दिया गया और बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार को शपथ दिलाई.
हसीना सरकार के पतन के बाद चरमपंथी संगठन जमात ए इस्लामी का बांग्लादेश की सत्ता पर नियंत्रण हो गया और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और अत्याचार की घटनाएं बढ़ गईं. चरमपंथी समूहों ने देश के कई शहरों में हिंदुओं की संपत्तियों, व्यवसायों और उनके पूजा स्थलों पर हमले किए. अल्पसंख्यक अधिकार समूह बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (बीएचबीसीयूसी) के अनुसार, 4 अगस्त से 20 अगस्त के बीच 'सांप्रदायिक हिंसा' की 2,000 घटनाएं हुईं, जिनमें नौ हिंदुओं की मौत और 69 पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया.
बांग्लादेश में हिंसक भीड़ द्वारा इस्कॉन मंदिरों पर हमले किए गए. 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास को चटगांव से गिरफ्तार कर लिया गया. भारत ने हिंदुओं पर हमलों को लेकर बांग्लादेश सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया और सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने को कहा.
भारत-मालदीव संबंध
साल 2024 में भारत और मालदीव के रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जनवरी को लक्षद्वीय का दौरा किया था और उन्होंने इस दौरे की तस्वीरें एक्स पर साझाकर लक्षद्वीप के पर्यटन को प्रमोट किया. इन तस्वीरों ने काफी चर्चा बटोरी थी.
मगर मालदीव को पीएम मोदी का लक्षद्वीय दौरा चुभ गया. मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना और अन्य नेताओं ने पीएम मोदी की तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. भारत में इसकी कड़ी आलोचना हुई थी. साथ ही मालदीव के टोटल बॉयकॉट की मांग उठी, जिसका असर द्वीपीय राष्ट्र के पर्यटन पर पड़ा. बाद में मालदीव सरकार ने सफाई पेश की और मंत्री की टिप्पणी को उनकी व्यक्तिगत राय बताया.
इसके बाद, चीन समर्थक और 'इंडिया आउट' का नारा देने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भारत को लेकर अपने रुख में नरमी दिखाई. राष्ट्रपति मुइज्जू ने जून में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता स्वीकार किया. वह 9 जून को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली पहुंचे.
मुइज्जू की द्विपक्षीय यात्रा
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 6-10 अक्टूबर को भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा पर आए. 7 अक्टूबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और मुइज्जू की मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की और दोनों पक्षों ने अपने घनिष्ठ और विशेष संबंधों को मजबूत करने पर प्रतिबद्धता जताई. साथ ही भारत और मालदीव के बीच तीन हजार करोड़ रुपये का करेंसी स्वैप समझौता समेत कुछ अन्य एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. मालदीव में रुपे कार्ड भी लॉन्च किया गया.
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव
भारत के एक अन्य पड़ोसी देश श्रीलंका में 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें लेफ्ट विचारधारा वाले अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन ने जीत हासिल की और दिसानायके राष्ट्रपति बने. राष्ट्रपति चुनाव के बाद श्रीलंका में 14 नवंबर को संसदीय चुनाव हुए और एनपीपी ने 225 में से 159 सीटें जीतकर ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया. श्रीलंका के इतिहास में पहली बार 21 महिला सांसद चुनी गईं.
राष्ट्रपति दिसानायके अपनी पहली विदेश यात्रा पर 16 दिसंबर को भारत आए और नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. जिसमें भारत और श्रीलंका ने बिजली-ग्रिड कनेक्टिविटी और बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइनों की स्थापना सहित रक्षा और ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की. दिसानायके ने स्पष्ट किया कि श्रीलंका के भूभाग का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हानिकारक नहीं होगा.
भारत-चीन सीमा समझौता
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच अहम समझौता हुआ, जिसके तहत दोनों देशों पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक - दो टकराव बिंदुओं से सेनाओं को पीछे हटाने और पेट्रोलिंग फिर से शुरू करने पर सहमत हुए. अप्रैल- मई, 2020 में पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में भारत-चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद सीमा पर तनाव का कम करने के लिए यह बड़ा कदम था, क्योंकि इसके बाद भारत-चीन के बीच व्यापारिक संबंधों को छोड़कर, अन्य संबंधों में भारी गिरावट आई थी.
पाकिस्तान में आम चुनाव
पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव हुए और किसी भी पार्टी को अपने दम पर सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिला. पर्यवेक्षकों की भविष्यवाणी के विपरीत पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली में सबसे अधिक सीटें जीतीं. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन दूसरे स्थान पर रही. बाद में पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाने की घोषणा की और शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री और आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति बने.
विदेश मंत्री जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 से 16 अक्टूबर तक इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की यात्रा की. अपनी दो दिवसीय यात्रा के समापन पर उन्होंने मेहमाननवाजी के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आभार व्यक्त किया. जयशंकर की यह यात्रा करीब नौ वर्षों में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान की पहली यात्रा थी, क्योंकि कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर लंबे समय से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बेपटरी हैं. एससीओ बैठक में जयशंकर ने आठ महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए. इनमें अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार निष्पक्ष और संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बनाए रखना, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और एससीओ चार्टर के लक्ष्य और सिद्धांत तथा डब्ल्यूटीओ के साथ निष्पक्ष, खुली, समावेशी और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली शामिल है.
नेपाल में नई गठबंधन सरकार का गठन
केपी शर्मा ओली ने 15 जुलाई को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और नई गठबंधन सरकार का गठन हुआ. 72 वर्षीय ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' का स्थान लिया, जो प्रतिनिधि सभा (संसद) में विश्वास मत हार गए थे. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली की सरकार को प्रतिनिधि सभा की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस (एनसी) का समर्थन हासिल है. नई गठबंधन सरकार को 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत प्राप्त है: एनसी (88 सीटें), सीपीएन-यूएमएल (79 सीटें), जेएसपी (7 सीटें) और एलएसपी (4 सीटें).
चीन का बढ़ता प्रभाव
नेपाल में सत्ता परिवर्तन और चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. प्रधानमंत्री बनने के बाद केपी शर्मा ओली ने परंपरा को तोड़ते हुए अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए भारत के बजाय चीन को प्राथमिकता दी और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं को लागू करने के लिए रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए.
नेपाल ने BRI परियोजनाओं के लिए अनुदान की मांग करते हुए वाणिज्यिक ऋणों का विरोध किया, जबकि चीन ने परियोजना जोखिम के आधार पर अनुदान और ऋण को मिलाकर 'सहायता वित्तपोषण' का प्रस्ताव रखा. इस लचीले वित्तपोषण मॉडल में चीन-नेपाल संबंधों को और गहरा करने की क्षमता है, जो भारत को और परेशान कर रहा है. भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर चिंताओं के कारण BRI का विरोध कर रहा है.
नेपाली विदेश मंत्री की भारत यात्रा
नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बाद नेपाली विदेश मंत्री डॉ. आरज़ू राणा देउबा में 18 से 22 अगस्त को भारत की आधिकारिक यात्रा आए, जो भारत-नेपाल संबंधों के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करती है.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की तालिबान मंत्री से मुलाकात
9 नवंबर 2024 को महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की. भारतीय अधिकारियों ने अफगानिस्तान के व्यवसायों के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह का उपयोग करने की पेशकश की. साथ ही अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने पर भी चर्चा की गई. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान मामलों के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने किया.
नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी 22-23 मार्च, 2024 को भूटान के दौरे पर गए थे. प्रधानमंत्री मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो से सम्मानित किया गया, वो यह प्रतिष्ठित सम्मान पाने वाले पहले विदेशी शासनाध्यक्ष हैं. साथ ही दोनों देशों ने कोकराझार-गेलेफू और बनारहाट-समत्से के बीच रेल संपर्क के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र पर जलमार्ग नौवहन के लिए समझौते पर भी हस्ताक्षर किए.
प्रधानमंत्री मोदी ने अत्याधुनिक ग्यालत्सुएन जेटसन पेमा वांगचुक मदर एंड चाइल्ड अस्पताल का उद्घाटन किया. भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित यह अस्पताल स्वास्थ्य सेवा में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग का प्रतीक है. अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये के सहायता पैकेज की घोषणा की.
म्यांमार संकट: दोनों पक्षों से बातचीत
गृहयुद्ध का सामना कर रहे म्यांमार की स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. भारत मणिपुर में जातीय संघर्ष और पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद को नियंत्रित करने के लिए म्यांमार के सैन्य शासन के साथ बातचीत कर रहा है. भारत म्यांमार में अपनी प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं जैसे भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय हाईवे और कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमटीटीपी) के कारण भी चिंतित है, जो पश्चिम बंगाल में हल्दिया बंदरगाह को म्यांमार में सित्तवे बंदरगाह से जोड़ता है, जिसे भारत के वित्त पोषण से बनाया गया था.
इस तरह, भारत म्यांमार में सैन्य शासन से लड़ रहे सशस्त्र संगठनों के साथ भी बातचीत कर रहा है. नवंबर में भारत ने कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों को नई दिल्ली में एक सेमिनार के लिए आमंत्रित किया था.
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