नाहन: जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग को जल्द पूरा किया जाएगा. यह बात पांवटा साहिब पहुंचे शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही. मीडिया से बात करते हुए सांसद सुरेश कश्यप ने बताया कि गिरीपार क्षेत्र के साथ लगते जौनसार बाबर क्षेत्र को 1967 में जनजातीय घोषित किया गया था, लेकिन इसके साथ लगते जिला सिरमौर जिला के शिलाई व श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र एवं राजगढ़ उपमंडल क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की मांग काफी समय से चली आ रही है.
उन्होंने बताया कि हमने समय-समय पर लोकसभा में यह मुद्दा में उठाया है. अभी भी इस मुद्दे को लेकर प्रयासरत है. सुरेश कश्यप ने कहा कि ( Giripar area as tribal area) इस मुद्दे को लेकर हाल ही में जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा से भी मुलाकात की गई है. रजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया से भी इसी सप्ताह मुलाकात की गई है. जल्द ही एक डेलिगेशन रजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया मुलाकात करेगा. सुरेश कश्यप व हिमाचल प्रदेश खाद्य आपूर्ति निगम (mp suresh kashyap on hati community) के उपाध्यक्ष बलदेव तोमर ने कहा कि प्रयास रहेगा कि इस मुद्दे को हम जल्द सिरे चढ़ाएंगे, ताकि लंबे समय से चली आ रही मांग को जल्द पूरा किया जा सके. बता दें कि बीते रोज हाटी समुदाय (Hati Community Sirmaur) ने भी दशकों से चले आ रहे इस मुद्दे पर अब आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है और इस संबंध में आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार की जा रही है. यहां तक कि विधानसभा चुनाव के बहिष्कार (Hati community will boycott elections) की भी बात कही गई है.
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केंद्रीय हाटी समिति सरकार को कई बार पेश कर चुकी दस्तावेज: जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र को उत्तराखंड के जौनसार बाबर की तरह जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय हाटी समिति कई बार प्रदेश व केंद्र सरकार को दस्तावेज पेश कर चुकी है. इन दस्तावेजों में 1979-80 की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित आयोग की रिपोर्ट व हिमाचल प्रदेश की 7 विधानसभा की याचिका समिति की रिपोर्ट, जिसे कि 16 दिसंबर 1993 को पेश किया गया था, शामिल है. इसके साथ ही 1996 में डीपीईपी सिरमौर (Tribal status to Giripar of Sirmaur) के जनजातीय अध्ययन संस्थान शिमला की रिपोर्ट व पूर्व अध्यक्ष टीएस नेगी की सिफारिश एवं हिमाचल प्रदेश कैबिनेट और राज्यपाल की 2016 की रिपोर्ट भी शामिल है.
इसके साथ जनजातीय अनुसंधान संस्थान (Hati community Fighting for Tribal status) की वर्ष 2016 की रिपोर्ट व हाल ही में नोडल एजेंसी की ताजा रिपोर्ट जनजातीय मंत्रालय व रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को भेजी गई है. अब देखना है कि 25 दिसंबर को होने वाले हाटियों की इस विशेष बैठक में क्या निर्णय होता है. क्या हाटी समुदाय 2022 के विधानसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करेगा या केंद्र सरकार हाटियों की इस मांग को कब तक पूरा करने का आश्वासन देती है. अगर हाटी समिति 2022 के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करती है, तो श्री रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र व शिलाई विधानसभा क्षेत्र पूरे एवं पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के राजगढ़ तहसील की सभी पंचायतों को मिलाकर 144 पंचायतें विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लेगी, जोकि प्रदेश की राजनीति में बड़ी हलचल होगी.
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