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खजूरी गांव में पहली पहली बार हुई सेब की पैदावार, ओलावृष्टि ने किया काम खराब

मरऊ तहसील के अंतर्गत खजूरी गांव में पहली बार सेब की पैदावार की जा रही है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण सेब की अच्छी फसल बर्बाद होती नजर आ रही है. ठंड के मौसम में समय-समय पर हुई बारिश से सेब की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद थी, लेकिन मई और जून में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के सारे सपने चकनाचूर कर दिए हैं.

apple grown in Khajuri
खजूरी गांव में सेब की पैदावार
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Published : Jun 20, 2020, 12:31 PM IST

पांवटा साहिब: हिमाचल के सेब पूरे देश में मशहूर है. प्रदेश के ऊपरी इलाकों में बागवान सेब की फसल पर निर्भर रहते हैं. वहीं, अब सिरमौर में पांवटा साहिब की कमरऊ तहसील के तहत खजूरी गांव में भी पहली बार सेब की पैदावार की जा रही है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण सेब की अच्छी फसल बर्बाद होती नजर आ रही है. समय पर सेबों के पेड़ों पर छिड़काव न होने के कारण सेब में सड़न रोग लग रहा है. यही नहीं तेज बारिश और ओलावृष्टि भी बागवानों की मेहनत पर पानी फेर रही है.

वीडियो

बता दें कि खजूरी गांव के कमलेश शर्मा ने तीन साल पहले सेब के पौधे लगाए थे. तीन साल बाद पौधे अब पेड़ बनकर फल देने लगे हैं. खेती-बाड़ी की दुनिया में यह अपने आप में अनूठा प्रयोग है, जहां पहाड़ों और ठंड में होने वाली फसल निचले इलाकों में हो रही है.

कमलेश शर्मा खेती में लगातार नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. उन्होंने जैविक खेती, औषधीय खेती, और अब सेब की खेती का काम शुरू किया है. सेब की खेती पर कमलेश का कहना है कि निचले इलाके में पहली बार सेब के फल लगे हैं. पहली फसल में भले ही सेब की पैदावार कम हुई है, लेकिन आने वाले समय में इस क्षेत्र की बंजर भूमि पर सेब के बगीचे नजर आएंगे.

किसान कमलेश शर्मा ने कहा कि निचले इलाकों में सेब की खेती निश्चित ही किसानों की आमदनी बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के इन क्षेत्रों में भी बगवानों को सब्सिडी देने पर आने वाले समय में यहां के किसान भी सेब की फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं.

किसान सुरेश पुंडीर ने कहा कि ठंड के मौसम में समय-समय पर हुई बारिश से सेब की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद थी, लेकिन मई और जून में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के सारे सपने चकनाचूर कर दिए हैं. किसानों ने सरकार से मुआवजा देने की मांग की है. इसके अलावा प्रेम शर्मा ने कहा कि क्षेत्र के लोगों के सेब की पैदावार करने पर आने वाले दिन क्षेत्र के युवाओं व बागवानों के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें: खबर का असर: 72 साल बाद सड़क से जुड़ेगा शमियाला गांव, निर्माण कार्य शुरू

पांवटा साहिब: हिमाचल के सेब पूरे देश में मशहूर है. प्रदेश के ऊपरी इलाकों में बागवान सेब की फसल पर निर्भर रहते हैं. वहीं, अब सिरमौर में पांवटा साहिब की कमरऊ तहसील के तहत खजूरी गांव में भी पहली बार सेब की पैदावार की जा रही है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण सेब की अच्छी फसल बर्बाद होती नजर आ रही है. समय पर सेबों के पेड़ों पर छिड़काव न होने के कारण सेब में सड़न रोग लग रहा है. यही नहीं तेज बारिश और ओलावृष्टि भी बागवानों की मेहनत पर पानी फेर रही है.

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बता दें कि खजूरी गांव के कमलेश शर्मा ने तीन साल पहले सेब के पौधे लगाए थे. तीन साल बाद पौधे अब पेड़ बनकर फल देने लगे हैं. खेती-बाड़ी की दुनिया में यह अपने आप में अनूठा प्रयोग है, जहां पहाड़ों और ठंड में होने वाली फसल निचले इलाकों में हो रही है.

कमलेश शर्मा खेती में लगातार नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. उन्होंने जैविक खेती, औषधीय खेती, और अब सेब की खेती का काम शुरू किया है. सेब की खेती पर कमलेश का कहना है कि निचले इलाके में पहली बार सेब के फल लगे हैं. पहली फसल में भले ही सेब की पैदावार कम हुई है, लेकिन आने वाले समय में इस क्षेत्र की बंजर भूमि पर सेब के बगीचे नजर आएंगे.

किसान कमलेश शर्मा ने कहा कि निचले इलाकों में सेब की खेती निश्चित ही किसानों की आमदनी बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के इन क्षेत्रों में भी बगवानों को सब्सिडी देने पर आने वाले समय में यहां के किसान भी सेब की फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं.

किसान सुरेश पुंडीर ने कहा कि ठंड के मौसम में समय-समय पर हुई बारिश से सेब की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद थी, लेकिन मई और जून में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के सारे सपने चकनाचूर कर दिए हैं. किसानों ने सरकार से मुआवजा देने की मांग की है. इसके अलावा प्रेम शर्मा ने कहा कि क्षेत्र के लोगों के सेब की पैदावार करने पर आने वाले दिन क्षेत्र के युवाओं व बागवानों के लिए अच्छे साबित हो सकते हैं.

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