शिमला: राजधानी शिमला के आईजीएमसी में बुधवार को अंगदान की जानकारी देने के लिए एक शिविर का आयोजन किया गया. इसका उद्देश्य लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करना था. कार्यशाला में पीजीआई से डॉ. विपिन कौशल, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. राजेश छाबरा विशेषज्ञ शामिल थे.
'माटी का शरीर है माटी में मिल जाएगा ,अंग दान कर मानव संसार तेरे ही गुण गायेगा' ये बात शिविर के दौरान विशेषज्ञों ने कही . विशेषज्ञों ने कहा कि जीते जी रक्त दान और जाने के बाद अंगदान करना सबसे बड़ा जीवन दान है. अंगदान मौत के बाद भी लोगों की जिंदगियां बचा सकता है. कई लोग हृदय, फेफड़े, गुर्दे, यकृत, लीवर जैसे अंग खराब हो जाते हैं. ऐसे में इन लोगों को डोनर से ही जीवन की आस होती है.
आइजीएमसी में आई विभाग के एचओडी डॉ. रामलाल ने बताया कि जिसकी उम्र 18 साल से अधिक आयु का व्यक्ति अंग दान कर सकता है. डॉ. रामलाल ने बताया कि मृत व्यक्ति के अंग जितना जल्दी हो सके उनका प्रत्यारोपण कर दिया जाना चाहिए. अंगों के प्रत्यारोपण का समय अलग अलग होता है. इनमें हृदय 4 से 6 घंटे, फेफड़े 4 से 8 घंटे, छोटी आंत 6 से 10 घंटे, यकृत 12 से 15 घंटे, लीवर 12 से 24 घंटे, गुर्दा 26 से 48 घंटे में ट्रांसप्लांट किया जाना चाहिए.
डॉ. रामलाल ने बताया कि आई पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितंबर तक चलेगा. इसी कड़ी में बुधवार को अंग दान को लेकर शिविर भी आयोजित किया जा रहा है.