शिमला: हिमाचल सरकार ने प्रदेश के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को राहत देने के लिए निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने के आदेश जारी किए थे. अब सरकार के इन निर्देशों के बाद भी निजी स्कूलों ने अपनी कमाई का तोड़ निकाल लिया है.
निजी स्कूलों ने अभिभावकों से भारी भरकम फीस वसूलने के लिए अब ट्यूशन फीस की दरों में भारी भरकम बढ़ोतरी कर दी है. यही वजह है कि इसका विरोध करते हुए छात्र अभिभावक मंच ने उच्च शिक्षा अतिरिक्त निदेशक के समक्ष यह सारा मामला उठाया और उनके माध्यम से मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री को भी ज्ञापन सौंपा.
छात्र अभिवावक मंच ने शिक्षा निदेशक को अवगत करवाया कि स्कूलों ने पिछले वर्ष टयूशन फीस, एनुअल चार्ज, एडमिशन फीस, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, स्पोर्ट्स चार्ज, केयरज फंड, मिसलेनियस फंड, बिल्डिंग फंड, डेवेलपमेंट फंड व अन्य सभी प्रकार के फंड को इस वर्ष केवल टयूशन फीस में ही जोड़ दिया है.
निजी स्कूलों ने पिछले वर्ष की तुलना में ट्यूशन फीस को चार से पांच गुणा बढ़ाकर अभिभावकों अतिरिक्त बोझ डाला है. फीस स्लिप में एनुअल चार्जिज को हटा कर ट्यूशन फीस में भारी भरकम बढ़ोतरी की है.
छात्र अभिवावक मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सरकार ने आदेश जारी किए थे कि स्कूल 2019 की तय फीस दरों पर ही फीस लेंगे, लेकिन निजी स्कूल इन नियमों और आदेशों की धज्जियां शरेआम उड़ा रहे हैं और अभिभावकों को जो मैसेज फीस जमा करवाने के लिए किए जा रहे हैं.
उल्लघंन करने वाले स्कूलों के खिलाफ हो आपाराधिक मामला दर्ज
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस की दरों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी की है. छात्र अभिभावक मंच ने मांग कि है कि मनमानी करने वाले निजी स्कूल नियोक्ताओं व प्रबंधकों के खिलाफ एपिडेमिक एक्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट व आईपीसी की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, लूट व मनमानी के मुकद्दमे दर्ज करवाए जाए.
छात्र अभिभावक मंच ने विभाग को अवगत करवाया की 23 मई 2020 की कैबिनेट में लिए गए निर्णय के बाद अधिसूचित आदेशों में ट्यूशन फीस के अलावा अभिभावकों से वसूले जाने वाले अन्य फंड सहित अन्य सभी प्रकार की फीस को निरस्त यानी माफ नहीं किया गया है, बल्कि कोरोना काल के समय के बाद के लिए स्थगित किया गया है.
आदेशों में इस्तेमाल डेफर्ड शब्द से बिल्कुल स्पष्ट है क्योंकि टयूशन फीस के अलावा सभी प्रकार की फीस माफी के लिए डेफर्ड के बजाए वेव ऑफ शब्द इस्तेमाल होना चाहिए था जोकि आदेशों में नहीं है.
इसलिए इस अधिसूचना को पुन परिभाषित करके दोबारा से अधिसूचित किया जाए व ट्यूशन फीस के अलावा सभी तरह की फीस व चार्ज को बिल्कुल निरस्त किया जाए.
छात्र अभिभावक मंच का आरोप है कि प्रदेश के कई शीतकालीन निजी स्कूलों ने अभिभावकों से मार्च से मई की तिमाही की फीस 10 मार्च से पूर्व व ग्रीष्मकालीन निजी स्कूल 10 अप्रैल से पूर्व फीस वसूल कर लेते हैं.
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