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हिमाचल में बेरोजगार युवाओं की संख्या में मामूली कमी, रोजगार कार्यालय ने जारी किया आंकड़ा

हिमाचल प्रदेश में युवाओं के पास रोजगार का न होना एक बहुत बड़ी समस्या है. प्रदेश में 8.21 लाख बेरोजगार हैं. हालांकि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में थोड़ी कम हुई है. पढ़ें पूरी खबर...(unemployment in himachal) (number of jobless youths in Himachal)

unemployment in himachal
unemployment in himachal
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Published : Mar 20, 2023, 12:56 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है. लेकिन रोजगार कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों ने मामूली राहत दी है. दरअसल जारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में थोड़ी कम हुई है. हालांकि संख्या कम होने के बावजूद अभी भी प्रदेश में 8.21 लाख बेरोजगार हैं.

प्रदेश में 8.21 लाख बेरोजगार: रोजगार कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश के सभी रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगार लोगों की संख्या 8.21 लाख थी जो पिछले वित्त वर्ष यानी दिसंबर 2021 में 8.73 लाख थी. आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर 2022 तक 1.41 लाख लोगों ने रोजगार कार्यालयों में अपना पंजीकरण कराया जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 1.68 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया था.

इन जिलों में इतने बेरोजगार: रोजगार कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कांगड़ा जिले में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या सबसे अधिक 1,66,325 है. वहीं, मंडी में 1,61,085, शिमला में 71,316, ऊना में 64,384, चंबा में 62,436 और हमीरपुर में 61,989 है. वहीं, इसके अनुसार जनजातीय जिलों लाहौल-स्पीति और किन्नौर में बेरोजगारों की संख्या 5,226 और 8,300 है. वहीं, इकोनोमिक सर्वे के मुताबिक, 31 मार्च 2021 तक की स्थिति के अनुसार 4,75,156 लोगों में से 2,79,365 को 4,417 प्रतिष्ठानों में सरकारी क्षेत्र में नियोजित किया गया जबकि, 1,95,791 व्यक्तियों को निजी क्षेत्र में 1,824 प्रतिष्ठानों में नियोजित किया गया.

ये भी पढ़ें: Himachal Budget 2023: कॉलेजों में साल में 2 बार लगेंगे रोजगार मेले, प्रदेश में शुरू होगी मुख्यमंत्री रोजगार संकल्प सेवा

सरकारी नौकरियां लगातार कम हो रही हैं और निजी क्षेत्रों में सिर्फ कुशल यानी स्किल्ड वर्कर्स को ही प्राथमिकता दी जाती है. ऐसे में सरकार की ओर से कौशल विकास से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किए जाते हैं ताकि युवाओं के रोजगार के मौकों को बढ़ाया जा सके. हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने इसे लेकर कई कार्यक्रम लॉन्च किए हैं, जिनमें अब तक 57,781 लोग विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों में एनरोल हो चुके हैं. हिमाचल स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम साल 2018 में 827 करोड़ रुपये से शुरू किया गया, जिसमें से एशियन डेवलपमेंट बैंक की हिस्सेदारी 661 करोड़ रुपये थी. हिमाचल सरकार स्किल डेवलपमेंट कोर्स करने वाले को 1000 रुपये प्रतिमाह और स्थायी दिव्यांगता वाले लोगों को 1500 रुपये प्रतिमाह भत्ता देती है.

सीएम सुक्खू ने किया रोजगार देने का वादा: वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार इस साल सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में 90,000 नौकरियां उपलब्ध करवाएगी. खैर देखना होगा कि छोटा से पहाड़ी राज्य हिमाचल के युवाओं को बेरोजगारी की समस्या से कब छुटकारा मिलता है. शिक्षित होने के बावजूद प्रदेश में रोजगार न मिलने से युवा वर्ग बेहद परेशान है. नौकरी की तलाश में युवा बाहरी राज्यों और देशों का रुख करते हैं. युवाओं को सरकार से उम्मीद है कि प्रदेश में ही रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं ताकि उन्हें नौकरी की तलाश में बाहर न जाना पड़े.

(पीटीआई)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है. लेकिन रोजगार कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों ने मामूली राहत दी है. दरअसल जारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में थोड़ी कम हुई है. हालांकि संख्या कम होने के बावजूद अभी भी प्रदेश में 8.21 लाख बेरोजगार हैं.

प्रदेश में 8.21 लाख बेरोजगार: रोजगार कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश के सभी रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगार लोगों की संख्या 8.21 लाख थी जो पिछले वित्त वर्ष यानी दिसंबर 2021 में 8.73 लाख थी. आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर 2022 तक 1.41 लाख लोगों ने रोजगार कार्यालयों में अपना पंजीकरण कराया जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 1.68 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया था.

इन जिलों में इतने बेरोजगार: रोजगार कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कांगड़ा जिले में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या सबसे अधिक 1,66,325 है. वहीं, मंडी में 1,61,085, शिमला में 71,316, ऊना में 64,384, चंबा में 62,436 और हमीरपुर में 61,989 है. वहीं, इसके अनुसार जनजातीय जिलों लाहौल-स्पीति और किन्नौर में बेरोजगारों की संख्या 5,226 और 8,300 है. वहीं, इकोनोमिक सर्वे के मुताबिक, 31 मार्च 2021 तक की स्थिति के अनुसार 4,75,156 लोगों में से 2,79,365 को 4,417 प्रतिष्ठानों में सरकारी क्षेत्र में नियोजित किया गया जबकि, 1,95,791 व्यक्तियों को निजी क्षेत्र में 1,824 प्रतिष्ठानों में नियोजित किया गया.

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सरकारी नौकरियां लगातार कम हो रही हैं और निजी क्षेत्रों में सिर्फ कुशल यानी स्किल्ड वर्कर्स को ही प्राथमिकता दी जाती है. ऐसे में सरकार की ओर से कौशल विकास से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किए जाते हैं ताकि युवाओं के रोजगार के मौकों को बढ़ाया जा सके. हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम ने इसे लेकर कई कार्यक्रम लॉन्च किए हैं, जिनमें अब तक 57,781 लोग विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों में एनरोल हो चुके हैं. हिमाचल स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम साल 2018 में 827 करोड़ रुपये से शुरू किया गया, जिसमें से एशियन डेवलपमेंट बैंक की हिस्सेदारी 661 करोड़ रुपये थी. हिमाचल सरकार स्किल डेवलपमेंट कोर्स करने वाले को 1000 रुपये प्रतिमाह और स्थायी दिव्यांगता वाले लोगों को 1500 रुपये प्रतिमाह भत्ता देती है.

सीएम सुक्खू ने किया रोजगार देने का वादा: वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार इस साल सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में 90,000 नौकरियां उपलब्ध करवाएगी. खैर देखना होगा कि छोटा से पहाड़ी राज्य हिमाचल के युवाओं को बेरोजगारी की समस्या से कब छुटकारा मिलता है. शिक्षित होने के बावजूद प्रदेश में रोजगार न मिलने से युवा वर्ग बेहद परेशान है. नौकरी की तलाश में युवा बाहरी राज्यों और देशों का रुख करते हैं. युवाओं को सरकार से उम्मीद है कि प्रदेश में ही रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं ताकि उन्हें नौकरी की तलाश में बाहर न जाना पड़े.

(पीटीआई)

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