शिमला: शहरवासियों को जल्द ही ढली हेलीपैड के रूप में सौगात मिलने वाली है. इसके लिए ट्रायल भी शुरू हो गए हैं. इससे पर्यटन उद्योग को तो पंख लगेंगे ही साथ ही प्रदेश सरकार का शहर में अपना हेलीपैड भी होगा. अभी तक हिमाचल सरकार सेना के हेलीपैड का प्रयोग करती आ रही है.
बता दें कि अभी प्रदेश में 64 हेलीपैड हैं. 11 विधानसभा क्षेत्र नादौन, बड़सर, इंदौरा, जसवां परागपुर, सुलह, बल्ह, गगरेट, हरोली, कुटलैहड़, नाहन व पांवटा में हेलीपैड का निर्माण किया जाएगा. सरकार उड़ान योजना के अंतर्गत हिमाचल में छह हेलीपोर्ट बनाएगी. इनके निर्माण के लिए पवन हंस लिमिटेड कंपनी द्वारा विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई है.
28.80 करोड़ रुपये खर्च होने संभावना
इसके अनुसार वर्तमान में सिविल कार्य पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग, फायर ऑफिस बिल्डिंग, पेवमेंट, वाच टावर, यूजी टैंक, सेप्टिक टैंक, चेन लिंकिंग, फैंसिंग आदि का निर्माण कार्य किया जा रहा है. इस पर लगभग 28.80 करोड़ रुपये खर्च होने संभावना है.
पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट हिमालयन सर्किट के तहत स्वदेश दर्शन योजना के तहत जिला शिमला में हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए सात करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं. हेलीपोर्ट के निर्माण का कार्य डीएस राठौर न्यू शिमला द्वारा किया जा रहा है. डीपीआर के अनुसार अन्य हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए विभाग द्वारा आइडी आइपीटी शिमला के माध्यम से निविदाएं आमंत्रित की गई थी.
कहां बनेंगे हेलीपोर्ट, अनुमानित लागत
बनरेड़ू (संजौली-ढली बाईपास शिमला) 10.00.00.000 रामपुर, (शिमला) 3.59.16.082 झाकड़ी (शिमला) 3.16.02.490 कांगनीधार (मंडी) 5.25.18.539 बद्दी (सोलन) 2.73.29.340 मनाली (सासे कुल्लू) 3.34.41.780
हेलीपैड और हेलीपोर्ट में अंतर
हेलीपैड में एक हेलीकाप्टर उतरता है, वहां अन्य सुविधाएं नहीं होती. हेलीपोर्ट में पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग, पेवमेंट, फायर ऑफिस बिल्डिंग, वाच टावर, यूजी टैंक, सेप्टिक टैंक, चेन लिंकिंग फैंसिंग और गेट आदि का निर्माण किया जाता है. हेलीपोर्ट में भी एक समय में एक ही हेलीकॉप्टर उतर सकता है, खड़ा हो सकता है, लेकिन वहां दूसरी सुविधाएं भी होती हैं.