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हिमाचल में जब भोलेनाथ से टकराई थी ब्यास की लहरें, टस से मस नहीं हुआ था मंडी का 'केदारधाम' - PANCHVAKTRA TEMPLE

शिवरात्रि की देशभर में जोर शेर से तैयारियां चल रही हैं. इस मौके पर हम आपको हिमाचल के केदारधाम के बारे में बताएंगे

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पंचवक्त्र मंदिर मंडी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 25, 2025, 8:01 PM IST

मंडी: 2013 का वो मंजर देश आज भी नहीं भूला है, जब उत्तराखंड में बाढ़ ने तबाही मचाई थी. इस बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया था. कई घर, होटल, मकान,दुकान मलबे में दब गए थे. इस बाढ़ ने भले ही पूरे इलाके में तबाही मचाई हो, लेकिन बाबा केदारनाथ के उस मंदिर का बाल भी बांका नहीं कर सका. हालांकि मंदिर परिसर का हिस्सा बाढ़ के मलबे की चपेट में आ गया था. इसी तरह का तांडव 2023 में हिमाचल ने भी मचाया था. इस बाढ़ में भी जान-माल का भारी नुकसान हुआ था. घर-दुकानें सब कुछ तबाह हो गई थी, लेकिन मंडी का पंचवक्त्र मंदिर भारी सैलाब के बीच भी जस का तस रहा. ब्यास नदी के पानी में ये मंदिर पूरी तरह डूब गया था. सैलाब में डूबे मंदिर की वो तस्वीरें कौन भूल सकता है. उस दृश्य ने 2013 में बाढ़ में डूबे केदारनाथ मंदिर की याद दिला दी थी

550 साल पुराना मंडी का पंचवक्त्र मंदिर दिखने में केदारनाथ की तरह लगता है. कुदरत के कहर के साथ केदारनाथ मंदिर की तरह भगवान भोलेनाथ का पंचवक्त्र मंदिर 2023 में लहरों से संघर्ष करता रहा. पंचवक्त्र मंदिर ने घंटो तक ब्यास नदी की लहरों का जमकर सामना किया. मंदिर के आसपास सब तबाह हो गया, ब्यास नदी की धारा मंदिर के ऊपर से होकर गुजर गई, लेकिन मंदिर को आंच तक नहीं आई और साढ़े पांच सौ साल पुराना ये मंदिर अपनी जगह खड़ा रहा. लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे थे.

बाढ़ में डूबा मंडी का पंचवक्त्र मंदिर
बाढ़ में डूबा मंडी का पंचवक्त्र मंदिर (ETV BHARAT)

ब्यास नदीं के तट पर स्थित है पंचवक्त्र मंदिर

हिमाचल के मंडी को छोटी काशी कहा जाता है, जिस तरह काशी गंगा नदी के तट पर स्थित है, उसी तरह मंडी ब्यास नदी के तट पर स्थित है. यहां पंचवक्त्र सहित शिव के कई प्राचीन हैं जैसे भूतनाथ, त्रिलोकीनाथ, अर्धनारीश्वर काफी प्रसिद्ध हैं. पंचवक्त्र मंदिर सुकेती और ब्यास नदी के संगम पर स्थित है. मंदिर के पुजारी हरीश कुमार ने बताया कि, 'ये मंदिर राजाओं के समय का है. पंचवक्त्र मंदिर करीब 550 साल पुराना है.' कुछ किताबें में जिक्र है कि इस मंदिर का निर्माण राजा सिद्ध सेन ने बनवाया था. वहीं, कुछ किताबो में इस मंदिर के निर्माण श्रेय राजा अजबर सेन को दिया जाता है.

मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी
मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी (ETV BHARAT)
मंदिर में आया था भारी मलबा

2023 में हिमाचल प्रदेश में आने वाली तबाही के समय मंडी के पंचवक्त्र महादेव मंदिर की तस्वीरों को कई सालों तक याद रखा जाएगा. इस मंदिर के आसपास आज भी तबाही के निशान नजर आते हैं. मंडी शहर को मंदिर से जोड़ने वाला पुराना लोहे का पुल भी नदी में आई बाढ़ में बह गया था. ब्यास नदी के प्रचंड धराओं ने मंदिर के दरवाजे को नुकसान पहुंचाया था. मंदिर में भारी मलबा आ गया था, लेकिन मंदिर की दिव्यता और भव्यता पर कोई असर नहीं हुआ था. मंदिर ज्यों का त्यों खड़ा रहा. प्रागण में विराजमान नंदी भी मलबे में दब गए थे, लेकिन नंदी महाराज भी अपने स्थान पर डटे रहे थे.

पंचवक्त्र मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर का प्रवेश द्वार (ETV BHARAT)

नदी के पानी में डूब गया था मंदिर

ब्यास नदी के रौद्र रूप के आगे कोई नहीं टिक पाया था. पंचवक्त्र मंदिर भी ब्यास नदी की चपेट में आ गया , लेकिन भोले बाबा का चमत्कार ऐसा था कि ब्यास की लहरे पानी में डूबे इस मंदिर को नहीं हिला पाई. मंदिर के अंदर बाहर करीब 12 फीट तक चारों तरफ गाद ही गाद थी. बड़ी ही मुश्किल से गाद को साफ किया गया, लेकिन सबसे हैरानी की बात ये थी कि भयंकर तबाही के बीच भोलेनाथ की मूर्ती को कोई नुकसान नहीं हुआ. आज भी मंदिर के आसपास प्रांगण में सैलाब के निशान नजर आते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि भोले नाथ ने ही 2023 की आपदा में मंडी शहर की रक्षा की थी.

पंचवक्त्र मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर (ETV BHARAT)

1717 में आई बाढ़ में बह गई थी मूर्ति

पुजारी हरीश कुमार ने बताया कि, 'मंदिर की स्थापना मंडी के शासक अजबर सेन ने की थी. 1717 ईस्वीं में ब्यास में आई बाढ़ के कारण मंदिर को नुकसान पहुंचा और पंचमुखी शिव प्रतिमा बह गई. उसके बाद सिद्ध सेन ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर नई प्रतिमा स्थापित की थी, लेकिन पुरानी प्रतिमा का क्या हुआ. आज तक कोई नहीं जान पाया. लेखक मनमोहन की किताब 'हिस्ट्री ऑफ द मंडी स्टेट' में भी इस बात का जिक्र किया गया है.'

पंचवक्त्र मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर (ETV BHARAT)

शिखर शैली में बना है मंदिर

पंचवक्त्र मंदिर का निर्माण पत्थरों से खूबसूरत शिखर-शैली में किया गया है. मंदिर का हर कोना एक कहानी कहता है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर बाबा भैरव नाथ का मंदिर है जो इस मंदिर के रक्षक माने जाते हैं. 2023 की उस तबाही में भैरव का मंदिर रेत में पूरी तरह से डूबा था इतनी ही नहीं मूर्ति रेत में दबकर अदृश्य हो गई थी. मंदिर का मुख्य द्वार ब्यास नदी की ओर है.

पंचवक्त्र मंदिर में शिवजी की पंचमुख मूर्ति
पंचवक्त्र मंदिर में शिवजी की पंचमुख मूर्ति (ETV BHARAT)

मंदिर में प्रवेश करते ही आपको लगभग 6 फीट से भी ज्यादा बड़े नंदी महाराज नजर आएंगे. नंदी महाराज के बिल्कुल सामने यानि कि गर्भगृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति है, जिसके पांच मुख हैं. मान्यता है कि ये पांच मुख शिव के अलग-अलग रूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र का रूप हैं. मंदिर की दीवारों पर पत्थर से खूबसूरत नक्काशी की गई है. स्थानीय लोग मानते हैं कि इतनी बड़ी तबाही उन्होंने पहले कभी नहीं देखी बावजूद उसके पंचवक्त्र मंदिर को नुकसान नहीं हुआ ये सिर्फ महादेव की कृपा से ही हो सकता है.

ये भी पढ़ें: भूतों के नाथ की अनसुनी कहानी, यहां से जुड़ी है जन्म से लेकर अंतिम संस्कार तक की रस्मों की परंपरा

मंडी: 2013 का वो मंजर देश आज भी नहीं भूला है, जब उत्तराखंड में बाढ़ ने तबाही मचाई थी. इस बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया था. कई घर, होटल, मकान,दुकान मलबे में दब गए थे. इस बाढ़ ने भले ही पूरे इलाके में तबाही मचाई हो, लेकिन बाबा केदारनाथ के उस मंदिर का बाल भी बांका नहीं कर सका. हालांकि मंदिर परिसर का हिस्सा बाढ़ के मलबे की चपेट में आ गया था. इसी तरह का तांडव 2023 में हिमाचल ने भी मचाया था. इस बाढ़ में भी जान-माल का भारी नुकसान हुआ था. घर-दुकानें सब कुछ तबाह हो गई थी, लेकिन मंडी का पंचवक्त्र मंदिर भारी सैलाब के बीच भी जस का तस रहा. ब्यास नदी के पानी में ये मंदिर पूरी तरह डूब गया था. सैलाब में डूबे मंदिर की वो तस्वीरें कौन भूल सकता है. उस दृश्य ने 2013 में बाढ़ में डूबे केदारनाथ मंदिर की याद दिला दी थी

550 साल पुराना मंडी का पंचवक्त्र मंदिर दिखने में केदारनाथ की तरह लगता है. कुदरत के कहर के साथ केदारनाथ मंदिर की तरह भगवान भोलेनाथ का पंचवक्त्र मंदिर 2023 में लहरों से संघर्ष करता रहा. पंचवक्त्र मंदिर ने घंटो तक ब्यास नदी की लहरों का जमकर सामना किया. मंदिर के आसपास सब तबाह हो गया, ब्यास नदी की धारा मंदिर के ऊपर से होकर गुजर गई, लेकिन मंदिर को आंच तक नहीं आई और साढ़े पांच सौ साल पुराना ये मंदिर अपनी जगह खड़ा रहा. लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे थे.

बाढ़ में डूबा मंडी का पंचवक्त्र मंदिर
बाढ़ में डूबा मंडी का पंचवक्त्र मंदिर (ETV BHARAT)

ब्यास नदीं के तट पर स्थित है पंचवक्त्र मंदिर

हिमाचल के मंडी को छोटी काशी कहा जाता है, जिस तरह काशी गंगा नदी के तट पर स्थित है, उसी तरह मंडी ब्यास नदी के तट पर स्थित है. यहां पंचवक्त्र सहित शिव के कई प्राचीन हैं जैसे भूतनाथ, त्रिलोकीनाथ, अर्धनारीश्वर काफी प्रसिद्ध हैं. पंचवक्त्र मंदिर सुकेती और ब्यास नदी के संगम पर स्थित है. मंदिर के पुजारी हरीश कुमार ने बताया कि, 'ये मंदिर राजाओं के समय का है. पंचवक्त्र मंदिर करीब 550 साल पुराना है.' कुछ किताबें में जिक्र है कि इस मंदिर का निर्माण राजा सिद्ध सेन ने बनवाया था. वहीं, कुछ किताबो में इस मंदिर के निर्माण श्रेय राजा अजबर सेन को दिया जाता है.

मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी
मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी (ETV BHARAT)
मंदिर में आया था भारी मलबा

2023 में हिमाचल प्रदेश में आने वाली तबाही के समय मंडी के पंचवक्त्र महादेव मंदिर की तस्वीरों को कई सालों तक याद रखा जाएगा. इस मंदिर के आसपास आज भी तबाही के निशान नजर आते हैं. मंडी शहर को मंदिर से जोड़ने वाला पुराना लोहे का पुल भी नदी में आई बाढ़ में बह गया था. ब्यास नदी के प्रचंड धराओं ने मंदिर के दरवाजे को नुकसान पहुंचाया था. मंदिर में भारी मलबा आ गया था, लेकिन मंदिर की दिव्यता और भव्यता पर कोई असर नहीं हुआ था. मंदिर ज्यों का त्यों खड़ा रहा. प्रागण में विराजमान नंदी भी मलबे में दब गए थे, लेकिन नंदी महाराज भी अपने स्थान पर डटे रहे थे.

पंचवक्त्र मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर का प्रवेश द्वार (ETV BHARAT)

नदी के पानी में डूब गया था मंदिर

ब्यास नदी के रौद्र रूप के आगे कोई नहीं टिक पाया था. पंचवक्त्र मंदिर भी ब्यास नदी की चपेट में आ गया , लेकिन भोले बाबा का चमत्कार ऐसा था कि ब्यास की लहरे पानी में डूबे इस मंदिर को नहीं हिला पाई. मंदिर के अंदर बाहर करीब 12 फीट तक चारों तरफ गाद ही गाद थी. बड़ी ही मुश्किल से गाद को साफ किया गया, लेकिन सबसे हैरानी की बात ये थी कि भयंकर तबाही के बीच भोलेनाथ की मूर्ती को कोई नुकसान नहीं हुआ. आज भी मंदिर के आसपास प्रांगण में सैलाब के निशान नजर आते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि भोले नाथ ने ही 2023 की आपदा में मंडी शहर की रक्षा की थी.

पंचवक्त्र मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर (ETV BHARAT)

1717 में आई बाढ़ में बह गई थी मूर्ति

पुजारी हरीश कुमार ने बताया कि, 'मंदिर की स्थापना मंडी के शासक अजबर सेन ने की थी. 1717 ईस्वीं में ब्यास में आई बाढ़ के कारण मंदिर को नुकसान पहुंचा और पंचमुखी शिव प्रतिमा बह गई. उसके बाद सिद्ध सेन ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर नई प्रतिमा स्थापित की थी, लेकिन पुरानी प्रतिमा का क्या हुआ. आज तक कोई नहीं जान पाया. लेखक मनमोहन की किताब 'हिस्ट्री ऑफ द मंडी स्टेट' में भी इस बात का जिक्र किया गया है.'

पंचवक्त्र मंदिर
पंचवक्त्र मंदिर (ETV BHARAT)

शिखर शैली में बना है मंदिर

पंचवक्त्र मंदिर का निर्माण पत्थरों से खूबसूरत शिखर-शैली में किया गया है. मंदिर का हर कोना एक कहानी कहता है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर बाबा भैरव नाथ का मंदिर है जो इस मंदिर के रक्षक माने जाते हैं. 2023 की उस तबाही में भैरव का मंदिर रेत में पूरी तरह से डूबा था इतनी ही नहीं मूर्ति रेत में दबकर अदृश्य हो गई थी. मंदिर का मुख्य द्वार ब्यास नदी की ओर है.

पंचवक्त्र मंदिर में शिवजी की पंचमुख मूर्ति
पंचवक्त्र मंदिर में शिवजी की पंचमुख मूर्ति (ETV BHARAT)

मंदिर में प्रवेश करते ही आपको लगभग 6 फीट से भी ज्यादा बड़े नंदी महाराज नजर आएंगे. नंदी महाराज के बिल्कुल सामने यानि कि गर्भगृह में भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति है, जिसके पांच मुख हैं. मान्यता है कि ये पांच मुख शिव के अलग-अलग रूप ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र का रूप हैं. मंदिर की दीवारों पर पत्थर से खूबसूरत नक्काशी की गई है. स्थानीय लोग मानते हैं कि इतनी बड़ी तबाही उन्होंने पहले कभी नहीं देखी बावजूद उसके पंचवक्त्र मंदिर को नुकसान नहीं हुआ ये सिर्फ महादेव की कृपा से ही हो सकता है.

ये भी पढ़ें: भूतों के नाथ की अनसुनी कहानी, यहां से जुड़ी है जन्म से लेकर अंतिम संस्कार तक की रस्मों की परंपरा

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