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पर्यटन कारोबार डूबने के कगार पर! होटल एसोसिएशन ने लगाई गुहार - टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन

लॉक डाउन के चलते हिमाचल पर्यटन व्यवसाय डूबने की कगार पर पंहुच गया है. ऐसे में कारोबारियों ने सरकार से होटलों के बिजली, पानी और उनपर लगने वाले सिवरेज सेस माफ करने की मांग की हैं. टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से राहत प्रदान करने की मांग की हैं.

tourism business on the verge of sinking due to Corona
लॉकडाउन के चलते ठप पड़ा पर्यटन कारोबार.
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Published : Apr 14, 2020, 5:30 PM IST

Updated : Apr 14, 2020, 5:43 PM IST

शिमला: कोरोना के चलते हिमाचल में पर्यटन व्यवसाय डूबने के कगार पर है. देश में लॉकडाउन की वजह से हिमाचल का पर्यटन उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन बढ़ाए जाने के चलते पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

हिमाचल पर्यटन विभाग में पंजीकृत पर्यटन इकाइयों में 3350 होटल, 1656 होमस्टे, 2912 ट्रैवल एजेंसी, 222 एडवेंचर यूनिट्स, हजारों रेस्टोरेंट और फूड जॉइंट्स संकट में आ गए हैं. इन सभी इकाइयों के चलते अन्य लोगों को रोजगार मिल रहा था, लेकिन अब उनकी रोजी-रोटी पर संकट बन आया है.

इस समय पर्यटन विभाग में 899 फोटोग्राफर्स, 1314 गाइड और ट्रांसपोर्ट विभाग में 26800 टैक्सियों और 14813 मैक्सी कैब पंजीकृत हैं, जिनकी दो-वक्त की रोजी-रोटी का साधन ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में इनको सरकार से राहत की उम्मीद है. टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री से राहत की मांग की हैं.

वीडियो

एसोसिएशन का कहना है कि होटल कारोबारियों के लिए फिक्स्ड खचों का बोझ उठाना मुश्किल हो गया हैं. इस समय पानी व बिजली केवल होटल स्टाफ इस्तेमाल कर रहा है. इस हालत में होटलों पर जल निगम की कमर्शियल दरें 35 फीसदी से भी अधिक है. वहीं, पानी के बिल चार्ज करना और उसपर 30 फीसदी सीवरेज सेस लगाना सही नहीं है. वहीं हिमाचल विद्युत बोर्ड की ओर कमर्शियल टैरिफ के ऊपर कमर्शियल एवं उद्योगिक उपभोगताओं से फिक्स्ड डिमांड चार्जर्स लगाना कोई न्याय नहीं है.

सरकार से राहत की मांग

नगर निगम व्यवसायिक दरों से भी अधिक प्रॉपर्टी टैक्स और भारी भरकम गार्बेज फीस वसूल रहा है. लॉकडाउन में होटल व्यवसाय बिल्कुल बंद पड़ा हुआ है. एसोसिएशन ने हिमाचल सरकार से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार से पर्यटन व्यवसायियों को लोन के रुप में मदद देने का मुद्दा उठाए और प्रदेश सरकार अपने स्तर पर राहत प्रदान करें, जिससे पर्यटन उद्योग को जीवित रखा जा सके.

सरकार माफ करें पानी व बिजली बिल

एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ ने कहा कि लॉकडाउन के चलते राज्य सरकार होटलों को घरेलू दर पर पानी और बिजली उपलब्ध करवाएं. प्रॉपर्टी टैक्स वर्ष 2020-21 के लिए घरेलू दरों पर वसूली, 30 फीसदी सीवरेज सेस व बिजली पर लिए जाने वाले फिक्स्ड डिमांड चार्जिंज को समाप्त करना चाहिए. इसके साथ ही बिजली के बिलों के भुगतान की तिथि को आगे बढ़ाया चाहिए.

अगर सरकार इन मागों को लागू नहीं करती है तो उन्हें सरल किस्तों में भुगतान करने का प्रावधान करने के साथ ही नगर निगम की ओर से गार्बेज फीस को घरेलू दरों पर वसूलने की घोषणा करनी चाहिए, जिससे पर्यटन व्यवसायियों को राहत मिल सके.

उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कई अन्य राज्यों ने बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्ज को व्यवसायिक और औद्योगिक उपभोगताओं के लिए समाप्त कर दिया है. वहीं, बिजली के बिलों के भुगतान की तिथि को बढ़ा दिया है.

शिमला: कोरोना के चलते हिमाचल में पर्यटन व्यवसाय डूबने के कगार पर है. देश में लॉकडाउन की वजह से हिमाचल का पर्यटन उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन बढ़ाए जाने के चलते पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

हिमाचल पर्यटन विभाग में पंजीकृत पर्यटन इकाइयों में 3350 होटल, 1656 होमस्टे, 2912 ट्रैवल एजेंसी, 222 एडवेंचर यूनिट्स, हजारों रेस्टोरेंट और फूड जॉइंट्स संकट में आ गए हैं. इन सभी इकाइयों के चलते अन्य लोगों को रोजगार मिल रहा था, लेकिन अब उनकी रोजी-रोटी पर संकट बन आया है.

इस समय पर्यटन विभाग में 899 फोटोग्राफर्स, 1314 गाइड और ट्रांसपोर्ट विभाग में 26800 टैक्सियों और 14813 मैक्सी कैब पंजीकृत हैं, जिनकी दो-वक्त की रोजी-रोटी का साधन ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में इनको सरकार से राहत की उम्मीद है. टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री से राहत की मांग की हैं.

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एसोसिएशन का कहना है कि होटल कारोबारियों के लिए फिक्स्ड खचों का बोझ उठाना मुश्किल हो गया हैं. इस समय पानी व बिजली केवल होटल स्टाफ इस्तेमाल कर रहा है. इस हालत में होटलों पर जल निगम की कमर्शियल दरें 35 फीसदी से भी अधिक है. वहीं, पानी के बिल चार्ज करना और उसपर 30 फीसदी सीवरेज सेस लगाना सही नहीं है. वहीं हिमाचल विद्युत बोर्ड की ओर कमर्शियल टैरिफ के ऊपर कमर्शियल एवं उद्योगिक उपभोगताओं से फिक्स्ड डिमांड चार्जर्स लगाना कोई न्याय नहीं है.

सरकार से राहत की मांग

नगर निगम व्यवसायिक दरों से भी अधिक प्रॉपर्टी टैक्स और भारी भरकम गार्बेज फीस वसूल रहा है. लॉकडाउन में होटल व्यवसाय बिल्कुल बंद पड़ा हुआ है. एसोसिएशन ने हिमाचल सरकार से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार से पर्यटन व्यवसायियों को लोन के रुप में मदद देने का मुद्दा उठाए और प्रदेश सरकार अपने स्तर पर राहत प्रदान करें, जिससे पर्यटन उद्योग को जीवित रखा जा सके.

सरकार माफ करें पानी व बिजली बिल

एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ ने कहा कि लॉकडाउन के चलते राज्य सरकार होटलों को घरेलू दर पर पानी और बिजली उपलब्ध करवाएं. प्रॉपर्टी टैक्स वर्ष 2020-21 के लिए घरेलू दरों पर वसूली, 30 फीसदी सीवरेज सेस व बिजली पर लिए जाने वाले फिक्स्ड डिमांड चार्जिंज को समाप्त करना चाहिए. इसके साथ ही बिजली के बिलों के भुगतान की तिथि को आगे बढ़ाया चाहिए.

अगर सरकार इन मागों को लागू नहीं करती है तो उन्हें सरल किस्तों में भुगतान करने का प्रावधान करने के साथ ही नगर निगम की ओर से गार्बेज फीस को घरेलू दरों पर वसूलने की घोषणा करनी चाहिए, जिससे पर्यटन व्यवसायियों को राहत मिल सके.

उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कई अन्य राज्यों ने बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्ज को व्यवसायिक और औद्योगिक उपभोगताओं के लिए समाप्त कर दिया है. वहीं, बिजली के बिलों के भुगतान की तिथि को बढ़ा दिया है.

Last Updated : Apr 14, 2020, 5:43 PM IST
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