शिमला/देहरादून: उत्तराखंड के टिहरी, सकलाना पट्टी के सेमवाल गांव के भट्ट परिवार को इन दिनों दोहरे दुख से गुजरना पड़ रहा है. एक ओर दुबई में बेटे की मौत का दुख, दूसरा बेटे के शव के लिए किया जाने वाला इंतजार...बीते कई दिनों से बेटे के शव का इंतजार करते परिवार की उम्मीदों को तब और झटका लगा जब दूर देश दुबई से बमुश्किल भारत आया बेटे का शव बिना उनकी जानकारी के वापस भेज दिया गया. अब ईटीवी भारत के प्रयासों के बाद शव को वापस लाने की प्रक्रिया में तेजी आई है. प्रवासी समाजसेवियों, सरकारों और प्रशासन के समन्वय से कहीं इस मामले में उम्मीद की किरण नजर आई है.
दुबई में मृत कमलेश के शव को लेकर सरकार और मंत्रालय लगातार उहापोह की स्थिति बनी हुई है. अभी तक इस मामले में किसी तरह का कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आ पा रहा है. लॉकडाउन के कारण देश में बनी स्थितियों के कारण बड़ी मुश्किलों से भारत पहुंचे कमलेश के शव को विदेश मंत्रालय ने वापस लौटा दिया था. हालांकि, ईटीवी भारत की पड़ताल के बाद विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाला इमीग्रेशन ऑफिस लगातार इस मामले को ट्रैक कर रहा है.
कमलेश के शव को बिना परिजनों को सूचित किये वापस दुबई भेजने पर ईटीवी भारत ने दोनों केंद्रीय मंत्रालयों से संपर्क साधा. हमने विदेश मंत्रालय से पूछा कि क्या आबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास और कमलेश के परिवार वालों के बीच ठीक से सूचना का आदान-प्रदान नहीं हुआ था? इसके जवाब में मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वे इस बाबत जानकारी जुटा रहे हैं. इसक अलावा इस तरह के मामलों में प्रोटोकॉल क्या हैं और किस तरह की प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं इसे लेकर भी जानकारी ली जा रही है.
बता दें इस तरह के मामलों में गृह मंत्रालय का ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन विभाग मुख्य भूमिका निभाता है. ईटीवी भारत ने जब गृह मंत्रालय से जानकारी चाही, तो सूत्रों ने बताया कि इस मामले का पूरा ब्योरा संबंधित विभाग को भेजा जा चुका है. वहां के वरिष्ठ अधिकारी इसका अध्ययन कर रहे हैं. इसके अलावा और कोई भी जानकारी नहीं दी गई है.
क्या-क्या रहा घटनाक्रम
16 अप्रैल को सकलाना पट्टी के सेमवाल गांव के रहने वाले कमलेश भट्ट की दुबई में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. जिसके बाद कुछ प्रवासी उत्तराखंडियों की मदद से बीते गुरुवार को कमलेश का शव दुबई से भारत भेजा गया था. मगर इससे पहले कमलेश भट्ट के परिजन दिल्ली पहुंचते, किन्हीं कारणों से अधिकारियों ने शव को वापस दुबई वापस भेज दिया है. जिसके बाद कमललेश के लाचार परिजनों निराश होकर घर वापस लौट आए थे.
ईटीवी भारत ने इस परिवार की पीड़ा को समझते हुए इस खबर को प्रमुखता से उठाया. हमने मामले को लेकर सबसे पहले सीएम के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें मामले में किसी तरह की जानकारी नहीं है. जिसके बाद हमने इस मामले को जिला प्रशासन के संज्ञान में लाने का प्रयास करते टिहरी जिलाधिकारी वी. षणमुगम को मामले से अवगत करवाया, जिस पर उन्होंने जांच करने की बात कही.
इस बीच, जबतक जिला प्रशासन मामले में कोई भी भी करता तबतक हमारे ब्यूरो हेड किरनकांत शर्मा ने दुबई में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी और सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश पंत और रोशन रतूड़ी से बात की, जिन्होंने हमें मामले की पूरी जानकारी और मदद का भरोसा देते हुए अबु धाबी स्थित इंडियन एंबेसी के पासपोर्ट विभाग में कार्यरत काउंसलेट के. सुरेश से भी बात करने को कहा.
ब्यूरो हेड किरनकांत शर्मा से बातचीत में काउंसलेट के. सुरेश ने बताया कि जितने भी शव थे उनको भारत भेजा गया था लेकिन पेपरवर्क में कमी होने के चलते उन्हें रिसीव नहीं किया गया और लौटा दिया गया. अब दोबारा अबु धाबी स्थित इंडियन एंबेसी भारत सरकार से संपर्क कर रही है और फ्री अप्रूवल के लिए पत्र भेजा गया है. जैसे ही वहां से एनओसी मिलती है, शवों को दोबारा भारत भेज दिया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि शनिवार (25 अप्रैल) तक इसपर कार्रवाई हो जाएगी और रविवार तक शवों को भारत भेज दिया जाएगा. उन्होंने ये भी बताया कि उत्तराखंड के साथ पंजाब और केरल के भी शव वापस आए हैं, जिनकी कागजी कार्यवाही जल्द ही पूरी कर ली जाएगी.
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इस बीच शाम होते-होते टिहरी जिलाधिकारी ने मामले की जांच पड़ताल करते हुए राज्य के गृह विभाग को कमलेश के शव को वापस लाने के बाबत पत्र लिखा, जिसके बाद राज्य का गृह विभाग की ओर से भी इस मामले में केंद्र से बात करने का आश्वासन मिला.
ईटीवी भारत से बातचीत में जिलाधिकारी डॉ. वी षणमुगम ने कहा कमलेश के शव को लाने से लेकर वापस भेजने तक यूएई और भारत सरकार से संपर्क नहीं हुआ था, इसलिए शव वापस भेजा गया. शव जल्द भारत लाने के लिये उन्होंने राज्य सरकार को पत्र दे दिया है.
मामले को लेकर ईटीवी भारत लगातार कमलेश के परिवार से संपर्क बनाये हुए है. हमसे बातचीत करते हुए बोले कमलेश के परिजनों ने सरकार से मांग की है कि वो कमलेश के शव को घर तक पहुंचाये या फिर ऋषिकेश तक. उन्होंने अपनी आर्थिकी स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि उनके पास दिल्ली से शव लाने के लिए न तो पैसे हैं और न ही वाहन.
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