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सुखविंदर सरकार लेगी 800 करोड़ का कर्ज, इस वित्तीय वर्ष में पहली बार Loan ले रही सरकार

हिमाचल प्रदेश सरकार 800 करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश इस समय सिर्फ कर्ज के सहारे चल रहा है. पिछली जयराम सरकार हो या फिर अब की कांग्रेस की सुख सरकार कर्ज लेना ही पड़ रहा है, क्योंकि बिना कर्ज के प्रदेश की 'रेलगाड़ी' चल नहीं पाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal sukhu govt
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Published : Jun 1, 2023, 9:39 PM IST

शिमला: प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है. राज्य सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेगी. इस वित्तीय वर्ष में यह पहली दफा है जब सुखविंदर सरकार कर्ज लेगी. इससे पहले पिछले वित्तीय राज्य सरकार करीब पांच हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है. हिमाचल की वित्तीय हालात खराब है. इसके चलते सुखविंदर सिंह सरकार कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गई है. सुखविंदर सरकार ने 800 करोड़ का कर्ज लेने का फैसला लिया है. यह कर्ज दो अलग अलग मदों के तहत लिया जाएगा जिसमें 300 करोड़ रुपए 6 वर्ष और 500 करोड़ रुपए 8 वर्ष की अवधि तक लिए जाएंगे. इस वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में राज्य सरकार पहली बार यह 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है. हालांकि इससे बीते साल बीते साल सुखविंदर सरकार ने करीब पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया था, लेकिन इस साल यह 800 करोड़ का पहला कर्ज है.

हिमाचल पर कर्जा 75 हजार करोड़ से पार: हिमाचल में कर्ज 75 हजार करोड़ से पार हो गया है. हालांकि कांग्रेस पहले पूर्व की जयराम सरकार पर भारी भरकम कर्ज लेने का आरोप लगाती थी, लेकिन अब जबकि राज्य में इसकी सरकार है तो वह भी कर्ज पर ही निर्भर हो रही है. भाजपा अब कांग्रेस की सरकार को कर्ज को लेकर घेर रही है तो कांग्रेस प्रदेश की वित्तीय हालत के लिए भाजपा की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.

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नोटिफिकेशन की कॉपी.

केंद्र ने घटा दी कर्ज लेने की सीमा: प्रदेश एक ओर कर्ज पर निर्भर है तो वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने कर्ज लेने की सीमा भी घटा दी है. मोदी सरकार ने कर्ज लेने की सीमा में 5,500 करोड़ रुपए की कटौती की है जबकि पिछले साल 14500 करोड़ की कर्ज की लिमिट थी. यही नहीं केंद्र सरकार ने एनपीएस के बदले मिलने वाले कर्ज भी रोक लगाई है. केंद्र सरकार की ओर से एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर हर साल करीब 1,780 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज मिलता था जो ओल्ड पेंशन लागू होने के बाद अब हिमाचल को नहीं मिल पाएगा. इस तरह हिमाचल की वित्तीय स्थिति आने वाले समय में ज्यादा खराब होने की संभावना है.

हिमाचल की आय कम है, जबकि खर्च ज्यादा है. ऐसे में उसको कर्ज की बैसाखियों के सहारे आगे बढ़ना पड़ रहा है, लेकिन केंद्र सरकार की कर्ज पर सीमा लगाने के बाद हिमाचल की मुश्किलें बढ़ना तय है. इसके चलते ही हाल ही में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने कर्ज की लिमिट के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया था.

Read Also- समर फेस्टिवल के आयोजन पर सवाल, पूर्व डिप्टी मेयर ने लगाए रिज टैंक को खतरे में डालने के आरोप

शिमला: प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है. राज्य सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेगी. इस वित्तीय वर्ष में यह पहली दफा है जब सुखविंदर सरकार कर्ज लेगी. इससे पहले पिछले वित्तीय राज्य सरकार करीब पांच हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है. हिमाचल की वित्तीय हालात खराब है. इसके चलते सुखविंदर सिंह सरकार कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गई है. सुखविंदर सरकार ने 800 करोड़ का कर्ज लेने का फैसला लिया है. यह कर्ज दो अलग अलग मदों के तहत लिया जाएगा जिसमें 300 करोड़ रुपए 6 वर्ष और 500 करोड़ रुपए 8 वर्ष की अवधि तक लिए जाएंगे. इस वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में राज्य सरकार पहली बार यह 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है. हालांकि इससे बीते साल बीते साल सुखविंदर सरकार ने करीब पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया था, लेकिन इस साल यह 800 करोड़ का पहला कर्ज है.

हिमाचल पर कर्जा 75 हजार करोड़ से पार: हिमाचल में कर्ज 75 हजार करोड़ से पार हो गया है. हालांकि कांग्रेस पहले पूर्व की जयराम सरकार पर भारी भरकम कर्ज लेने का आरोप लगाती थी, लेकिन अब जबकि राज्य में इसकी सरकार है तो वह भी कर्ज पर ही निर्भर हो रही है. भाजपा अब कांग्रेस की सरकार को कर्ज को लेकर घेर रही है तो कांग्रेस प्रदेश की वित्तीय हालत के लिए भाजपा की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.

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केंद्र ने घटा दी कर्ज लेने की सीमा: प्रदेश एक ओर कर्ज पर निर्भर है तो वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने कर्ज लेने की सीमा भी घटा दी है. मोदी सरकार ने कर्ज लेने की सीमा में 5,500 करोड़ रुपए की कटौती की है जबकि पिछले साल 14500 करोड़ की कर्ज की लिमिट थी. यही नहीं केंद्र सरकार ने एनपीएस के बदले मिलने वाले कर्ज भी रोक लगाई है. केंद्र सरकार की ओर से एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर हर साल करीब 1,780 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज मिलता था जो ओल्ड पेंशन लागू होने के बाद अब हिमाचल को नहीं मिल पाएगा. इस तरह हिमाचल की वित्तीय स्थिति आने वाले समय में ज्यादा खराब होने की संभावना है.

हिमाचल की आय कम है, जबकि खर्च ज्यादा है. ऐसे में उसको कर्ज की बैसाखियों के सहारे आगे बढ़ना पड़ रहा है, लेकिन केंद्र सरकार की कर्ज पर सीमा लगाने के बाद हिमाचल की मुश्किलें बढ़ना तय है. इसके चलते ही हाल ही में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने कर्ज की लिमिट के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया था.

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