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निजी स्कूलों में मनमानी फीस रोकने के लिए बजट सत्र में कानून बनाए सरकार: छात्र अभिभावक मंच

निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने मोर्चा खोल दिया है. मंच ने सरकार से निजी स्कूलों में भारी फीसों, मनमानी लूट, फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार से वर्तमान बजट सत्र में कानून बनाने की मांग की है. छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है.

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छात्र अभिभावक मंच
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Published : Feb 27, 2022, 5:15 PM IST

शिमला: छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में भारी फीसों, मनमानी लूट, फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार से वर्तमान बजट सत्र में कानून बनाने की मांग (make a law against fees in private schools) की है. मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर वर्तमान सत्र में कानून नहीं बना तो मंच आंदोलन तेज करेगा व विधानसभा परिसर में प्रदर्शन भी करेगा.

मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा, जिला कांगड़ा अध्यक्ष विशाल मेहरा, मंडी अध्यक्ष सुरेश सरवाल, शिमला जिलाध्यक्ष विवेक कश्यप, बद्दी अध्यक्ष जयंत पाटिल, पालमपुर अध्यक्ष आशीष भारद्वाज, नालागढ़ अध्यक्ष अशोक कुमार, कुल्लू जिलाध्यक्ष पृथ्वी चंद व मनाली अध्यक्ष अतुल राजपूत ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं.

कोरोना काल में भी निजी स्कूल टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्ज, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयर, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्ज वसूलते रहे हैं. निजी स्कूलों ने बड़ी चतुराई से वर्ष 2021 में कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा हिस्से को ट्यूशन फीस में बदल कर लूट को बदस्तूर जारी रखा है। जो अभिभावक कोरोना काल में रोजगार छिनने पर मनमानी बढ़ी हुई फीस नहीं दे पाए हैं, उन्हें प्रताड़ित करने के लिए उनके बच्चों को या तो ऑनलाइन कक्षाओं (online classes in himachal) व परीक्षाओं से वंचित किया गया या फिर उनके रिजल्ट रोक दिए गए.

विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कानून का प्रारूप तैयार करने में ही इस सरकार ने तीन वर्ष का समय लगा दिया. अब जबकि महीनों पहले अभिभावकों ने दर्जनों सुझाव दिए हैं तब भी जान बूझकर यह सरकार कानून बनाने में आनाकानी कर रही है. इस बजट सत्र में कानून हर हाल में बनना चाहिए था, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता के कारण कानून अभी तक भी नहीं बन पाया है.

सरकार की नाकामी के कारण ही बिना एक दिन भी स्कूल गए बच्चों की फीस में पिछले दो वर्षों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है. स्कूल न चलने से स्कूलों का बिजली, पानी, स्पोर्ट्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लास रूम, मेंटेनेंस, सफाई आदि का खर्चा लगभग शून्य हो गया है तो फिर इन निजी स्कूलों ने किस बात की पन्द्रह से पचास प्रतिशत फीस बढ़ोतरी की है और इस बढ़ोतरी पर सरकार मौन है. उन्होंने कहा कि फीस वसूली के मामले पर वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय व 5 दिसम्बर 2019 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं. वहीं, इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं.

निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्ज की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल (private schools in himachal) रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्ज की वसूली पर रोक लगाई थी. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस, पाठ्यक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए और रेगुलेटरी कमीशन का गठन करे.

ये भी पढ़ें: चंबा में हर घर नल योजना के तहत 1167 गांवों को जोड़ा गया, जल संरक्षण के लिए बनेंगे चेक डैम

शिमला: छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में भारी फीसों, मनमानी लूट, फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार से वर्तमान बजट सत्र में कानून बनाने की मांग (make a law against fees in private schools) की है. मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर वर्तमान सत्र में कानून नहीं बना तो मंच आंदोलन तेज करेगा व विधानसभा परिसर में प्रदर्शन भी करेगा.

मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा, जिला कांगड़ा अध्यक्ष विशाल मेहरा, मंडी अध्यक्ष सुरेश सरवाल, शिमला जिलाध्यक्ष विवेक कश्यप, बद्दी अध्यक्ष जयंत पाटिल, पालमपुर अध्यक्ष आशीष भारद्वाज, नालागढ़ अध्यक्ष अशोक कुमार, कुल्लू जिलाध्यक्ष पृथ्वी चंद व मनाली अध्यक्ष अतुल राजपूत ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं.

कोरोना काल में भी निजी स्कूल टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्ज, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयर, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्ज वसूलते रहे हैं. निजी स्कूलों ने बड़ी चतुराई से वर्ष 2021 में कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा हिस्से को ट्यूशन फीस में बदल कर लूट को बदस्तूर जारी रखा है। जो अभिभावक कोरोना काल में रोजगार छिनने पर मनमानी बढ़ी हुई फीस नहीं दे पाए हैं, उन्हें प्रताड़ित करने के लिए उनके बच्चों को या तो ऑनलाइन कक्षाओं (online classes in himachal) व परीक्षाओं से वंचित किया गया या फिर उनके रिजल्ट रोक दिए गए.

विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कानून का प्रारूप तैयार करने में ही इस सरकार ने तीन वर्ष का समय लगा दिया. अब जबकि महीनों पहले अभिभावकों ने दर्जनों सुझाव दिए हैं तब भी जान बूझकर यह सरकार कानून बनाने में आनाकानी कर रही है. इस बजट सत्र में कानून हर हाल में बनना चाहिए था, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता के कारण कानून अभी तक भी नहीं बन पाया है.

सरकार की नाकामी के कारण ही बिना एक दिन भी स्कूल गए बच्चों की फीस में पिछले दो वर्षों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है. स्कूल न चलने से स्कूलों का बिजली, पानी, स्पोर्ट्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लास रूम, मेंटेनेंस, सफाई आदि का खर्चा लगभग शून्य हो गया है तो फिर इन निजी स्कूलों ने किस बात की पन्द्रह से पचास प्रतिशत फीस बढ़ोतरी की है और इस बढ़ोतरी पर सरकार मौन है. उन्होंने कहा कि फीस वसूली के मामले पर वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय व 5 दिसम्बर 2019 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं. वहीं, इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं.

निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्ज की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल (private schools in himachal) रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्ज की वसूली पर रोक लगाई थी. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस, पाठ्यक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाए और रेगुलेटरी कमीशन का गठन करे.

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