शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी करने से ओर अभिभावकों से भारी भरकम फीस वसूलने से बाज नहीं आ रहे है. यह स्कूल सरकार और शिक्षा विभाग के आदेशों के बावजूद भी भारी भरकम फीस अभिभावकों से वसूल रहे है. निजी स्कूलों को आदेश जारी होने के बाद भी उनकी मनमानी अभी भी लगातार जारी है.
भारी भरकम फीस वसूलने के साथ ही अभिभावकों से अन्य चार्जिज भी निजी स्कूल वसूल रहे हैं इस पर सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह की कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है. इसी के विरोध में छात्र अभिभावक मंच लगातार अपना आंदोलन कर रहा है और आज भी शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना दिया.
अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कोर कोविड-19 के संकट के समय में भी सभी पर आर्थिक संकट है तो इस समय भी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. अभिभावकों से अतिरिक्त फीस वसूली जा रही है और उन्हें लूटा जा रहा है.
मार्च महीने से लगातार छात्र अभिभावक मंच सरकार और शिक्षा विभाग से इनकी मनमानी पर रोक लगाने की मांग कर रहा है जिस पर सरकार ने आदेश जारी किए थे कि नीचे स्कूल मात्र ट्यूशन फीस वसूललेंगे लेकिन इन आदेशों का पालन निजी स्कूल नहीं कर रहे हैं. जो अभिभावक फीस जमा नहीं करवा रहे है उन पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है. उनके बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर निकाला जा रहा है.
एक मामला शिमला के नजदीक जनैडघाट के एसडी स्कूल का है. यहां स्कूल प्रबंधन की ओर से उन्होंने कहा की यह स्कूल प्रबंधन नियमों को ताक पर रखकर एनुअल चार्जिज भी ले रहे है. जो अभिभावक यह चार्जिज नहीं दे रहे है उनके बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर निकाला जा रहा है.
इसी तरह की मनमानी अन्य स्कूल भी कर रहे है. अभी सेशन का अंत है और ऐसे में फीस की अंतिम किस्त जानी है जिसके चलते अब निजी स्कूल लगातार यह दबाव बना रहे हैं कि वह पूरी फीस अभिभावकों से वसूल सकें.
उन्होंने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग से यह अनुरोध है कि वह इस तरह के स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई जाए. एसडी स्कूल की इंस्पेक्शन की जाए और स्कूल पर सख्त कार्रवाई की जाए, उसके साथ ही प्रदेश में 3 हजार के करीब निजी स्कूलों को दोबारा से चिट्ठियां जारी की जाए की जो भी अतिरिक्त फीस ली गयी है उसे अगली किस्तों में सम्माहित किया जाए.
इसी मांग को लेकर आज शिक्षा निदेशक को भी ज्ञापन सौंपा गया है .उन्होंने कहा कि विभाग को अब इन निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाना चाहिए जिससे कि इन स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सके और अभिभावकों को राहत मिल सके.