शिमला: जल जीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार से वर्ष 2020-2021 के लिए प्रदेश सरकार ने 1800 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की है. आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि तीन जनजातीय विधानसभा क्षेत्रों में सरकार नल उपलब्ध करवाना चाहती है.
ये बात जल शक्ति विभाग की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला के दौरान महेंद्र सिंह ने कही. कार्यशाला में ग्रामीण इलाकों में पेयजल स्कीमों को लेकर जागरूक किया गया. जल जीवन मिशन की प्रगति में हिमाचल देशभर में अव्वल आंका गया है.
प्रदेश में मिशन के पहले चरण के तहत 1200 करोड़ रुपये के कार्यों के टेंडर शुरू हो गए हैं. ये राशि पहले ही स्वीकृत हो गई है. साल 2024 तक केंद्र से प्रदेश को 3200 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी. इस मिशन के तहत छह लाख घरों को नल के कनेक्शन मिलेंगे अभी तक बस्तियों को सामुहिक रूप से पेयजल उपलब्ध करवाया जाता था.
पहली बार ऐसा हुआ है जब हर घर को नल से जोड़ा जाएगा. प्रदेश में करीब साढ़े चौदह लाख घर हैं जिन्हें चरणबद्ध तरीके से नल से जोड़ा जाएगा. पहले 300 योजनाओं पर कार्य होगा. आईपीएच मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाकों के 10 लाख घरों में निशुल्क नल लगाकर पीने का पानी पहुंचाने की तैयारी कर ली है.
'हर घर को नल' के पहले चरण में केंद्र सरकार ने बिना नल के छह लाख घर चयनित किए हैं. प्रदेश सरकार ने जल जीवन मिशन में 1200 करोड़ रुपये के टेंडर लगाए हैं. इसके बाद बाकी बचे चार लाख घरों में भी नल उपलब्ध कराने के लिए मार्च में दोबारा ऑनलाइन आवेदन होंगे.
केंद्र सरकार आवेदन करने के लिए एक माह का समय देगी. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 53 हजार नलके लगाए जा चुके हैं और एक लाख मार्च तक लगाने का लक्ष्य है. महेंद्र सिंह ने कहा कि इस मिशन के तहत वर्ष 2019 में काम शुरू किया गया है और वर्ष 2024 तक जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के सभी घरों में नलके उपलब्ध कराने हैं.
इस पर कुल करीब पांच हजार करोड़ की राशि खर्च होनी है. प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार 90 फीसदी राशि देगी. वहीं, दस फीसदी राशि प्रदेश सरकार को जुटानी है. जल जीवन मिशन के तहत छूटे घरों को एडीबी के 798 करोड़ के प्रोजेक्ट से लाभ देंगे. एडीबी के तहत केंद्र 72 और राज्य सरकार 28 फीसदी राशि देगी.