शिमला: आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है. पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर, भारत के अधिकांश राज्यों में आज सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा. वहीं, हिमाचल प्रदेश में भी सूर्य ग्रहण का असर (Solar Eclipse duration in Himachal) रहेगा. जहां 4:23 पर ग्रहण शुरू होगा और 5:39 तक रहेगा. इस दौरान लोग भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं. शिमला के लोअर बजार में स्थित शिव मंदिर के पुजारी वासुदेव ने बताया कि शिमला में भी ग्रहण का असर रहेगा और इस दौरान लोग पूजा पाठ कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से ग्रहण में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी का जो भी संबंध रहता है, वह सभी को पता है. लेकिन भारतीय पंचाग प्राचीन समय से ही ग्रहण की सही जानकारी दे रहे हैं. राहु ग्रह द्वारा सूर्य अथवा चंद्रमा को ग्रसने के समय को ग्रहण कहा जाता था. ज्योतिष शास्त्र में राहु और ग्रह का स्वरूप भौतिक नहीं माना गया है. यह छाया रूप में परिभाषित किए गए हैं.
ग्रहण काल में राहु की छाया का धरती और जीवों पर क्या प्रभाव रहता है, इस का अध्ययन प्राचीन भारतीय समाज द्वारा किया गया है. कुछ ऐसी वनस्पतियां जो कि नकारात्मक आकाशीय किरणों के दुष्प्रभावों को दूर करने में सक्षम रहती है. उनकी खोज करके भारतीय लोग उनका प्रयोग अपनी खाद्य वस्तुओं के लिए करते रहे हैं. कुशा और तुलसी के पते का प्रयोग भी इसी का एक भाग है.
उन्होंने कहा कि भारतीय मान्यताओं में ग्रहण काल में खाद्य पदार्थों को लेने का समय ग्रहण के सूतक लगने से पहले ही बताया गया है. ग्रहण काल में नवग्रहों की शांति के लिए कुछ अचूक उपाय बताए गए हैं, जिसमें सात अनाजों को लेकर उसे दान करके पक्षिओं के लिए अथवा जलीय जीवों के लिए दे देना चाहिए. इससे ग्रहों की पीड़ा जातक को नहीं सताती. ग्रहण में किया गया दान कई गुना अधिक फलदायी माना गया है.
इस समय भारत की पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्यदायक माना गया है. ऐसी भी मान्यता है कि धरती के हर स्रोत में इस काल स्नान का पुण्य गंगा स्नान के पुण्य के बराबर ही रहता है. ऐसे में सभी को ग्रहण काल में स्नान करना चाहिए. यदि कोई महिला गर्भवती है तो वह इस काल में नींद लेने से बचे ताकि उसका बच्चा स्वस्थ पैदा हो.
ये भी पढ़ें: Himachal Election 2022: शुभ मुहूर्त तलाशने वाले प्रत्याशी क्या सूर्य ग्रहण में करेंगे नामांकन?