शिमलाः हिमाचल प्रदेश में बेसहारा पशुओं की सेवा के लिए किए जा रहे सभी दावे हकीकत में खोखले नजर आ रहे हैं. प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी आवारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं और इस दौरान इन बेजुबान पशुओं की रक्षा करने वाले व गौ रक्षा के नाम पर धौंस जमाने वाले भी कंही नजर नहीं आते है.
शिमला के उपमंडल ठियोग की कयारटू पंचायत में इन दिनों ये आवारा पशु सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हैं और इन पशुओं की वजह से गांव के लोग भी परेशान हैं. एक तरफ जहां बेसहारा पशु गांव वालों की फसलों को तबाह करते हैं. वहीं, इनकी वजह से गांव में तनाव का भी माहौल बन गया है, लेकिन फिर भी गांव वाले इनके लिए घास जुटाकर इनके जीवित रहने का प्रबंध करते हैं.
सर्दी के इस मौसम की कड़ाके की ठंड में ये पशु मर रहे हैं और गांव में कोई बीमारी न फैले इसलिए इन पशुओं के मरने पर गांव वाले दबा देते हैं. लोगों का कहना है कि पिछले 5 सालों ये बेसहारा पशु गांव में लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं.
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वहीं, लंबे समय से लोगों की फसलें नष्ट हो रही हैं और आपस में भी लोग इन पशुओं की वजह से लड़ झगड़ रहे हैं. सरकार और प्रशासन से कई बार इस समस्या के समाधान की मांग की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है.