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बेसहारा पशुओं को लेकर ठियोग के ग्रामीणों में तनाव, CM हेल्पलाइन से भी नहीं मिल रही है सहायता

ठियोग की कयारटू पंचायत में इन दिनों ये बेसहारा पशुओं के आतंक से सभी ग्रामीण परेशान हैं. बेसहारा पशुओं से तंग गांव वालों में आपसी तनाव भी बढ़ने लगा है. ग्रामीणों के मुताबिक मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से भी सहायता नहीं मिल पाई है.

issue of destitute animals in theog
ठियोग में बेसहारा पशुओं की समस्या
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Published : Jan 16, 2020, 11:29 AM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में बेसहारा पशुओं की सेवा के लिए किए जा रहे सभी दावे हकीकत में खोखले नजर आ रहे हैं. प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी आवारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं और इस दौरान इन बेजुबान पशुओं की रक्षा करने वाले व गौ रक्षा के नाम पर धौंस जमाने वाले भी कंही नजर नहीं आते है.

शिमला के उपमंडल ठियोग की कयारटू पंचायत में इन दिनों ये आवारा पशु सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हैं और इन पशुओं की वजह से गांव के लोग भी परेशान हैं. एक तरफ जहां बेसहारा पशु गांव वालों की फसलों को तबाह करते हैं. वहीं, इनकी वजह से गांव में तनाव का भी माहौल बन गया है, लेकिन फिर भी गांव वाले इनके लिए घास जुटाकर इनके जीवित रहने का प्रबंध करते हैं.

वीडियो.

सर्दी के इस मौसम की कड़ाके की ठंड में ये पशु मर रहे हैं और गांव में कोई बीमारी न फैले इसलिए इन पशुओं के मरने पर गांव वाले दबा देते हैं. लोगों का कहना है कि पिछले 5 सालों ये बेसहारा पशु गांव में लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें: चंबा-होली मार्ग पर भू-स्खलन, वाहनों की आवाजाही हुई ठप

वहीं, लंबे समय से लोगों की फसलें नष्ट हो रही हैं और आपस में भी लोग इन पशुओं की वजह से लड़ झगड़ रहे हैं. सरकार और प्रशासन से कई बार इस समस्या के समाधान की मांग की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है.

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में बेसहारा पशुओं की सेवा के लिए किए जा रहे सभी दावे हकीकत में खोखले नजर आ रहे हैं. प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी आवारा पशु सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं और इस दौरान इन बेजुबान पशुओं की रक्षा करने वाले व गौ रक्षा के नाम पर धौंस जमाने वाले भी कंही नजर नहीं आते है.

शिमला के उपमंडल ठियोग की कयारटू पंचायत में इन दिनों ये आवारा पशु सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हैं और इन पशुओं की वजह से गांव के लोग भी परेशान हैं. एक तरफ जहां बेसहारा पशु गांव वालों की फसलों को तबाह करते हैं. वहीं, इनकी वजह से गांव में तनाव का भी माहौल बन गया है, लेकिन फिर भी गांव वाले इनके लिए घास जुटाकर इनके जीवित रहने का प्रबंध करते हैं.

वीडियो.

सर्दी के इस मौसम की कड़ाके की ठंड में ये पशु मर रहे हैं और गांव में कोई बीमारी न फैले इसलिए इन पशुओं के मरने पर गांव वाले दबा देते हैं. लोगों का कहना है कि पिछले 5 सालों ये बेसहारा पशु गांव में लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं.

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वहीं, लंबे समय से लोगों की फसलें नष्ट हो रही हैं और आपस में भी लोग इन पशुओं की वजह से लड़ झगड़ रहे हैं. सरकार और प्रशासन से कई बार इस समस्या के समाधान की मांग की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है.

Intro:लावारिस पशुओं से तंग गांव वालों में बड़ा तनाव। सड़क किनारे फसलों को नष्ट करते हैं ये पशु। सड़को पर मर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से भी नही मिल पाई सहायता।लोगों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा।

Body:
हिमाचल प्रदेश में लावारिस पशुओ की सेवा के लिए किए जा रहे सभी दावे खोखले नजर आते हैं जब हकीकत से इनका सामना होता है।आज भी प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों जे बाद भी ये लावारिस पशु हर ओर सड़क पर घूमते नजर आते हैं ।और इन बेजुबान पशुओं की रक्षा करने वाले ओर गौ रक्षा के नाम पर धौंस जमाने वाले भी कंही नजर नही आते जब ये हर कंही सड़क पर मौत का ग्रास बन जाते हैं। उपमण्डल ठियोग की कयारटू पँचायत में इन दिनों ये बेसहारा पशु सर्दी में ठिठुरने को मजबूर हैं और इन पशुओं की वजह से गांव के लोग भी परेशान हैं।ये पशु जंहा गांव वालों की फसलों को तबाह करते हैं वंही इनकी वजह से गांव में तनाव का भी माहौल बन गया है।लेकिन फिर भी गांव वाले इनके लिये घास जुटाकर इनके जीवित रहने का प्रभन्ध करते हैं लेकिन कड़ाके की ठंड में ये पशु मर रहे हैं और गांव वाले हर हफ्ते इन पशुओं के मरने पर इन्हें दबा देते हैं जिससे कोई बीमारी न फैले गांव के लोगों का कहना है कि पिछले 5 सालों ये बेसहारा पशु गांव में लोगों के लिये मुसीबत बने हुए हैं लोगों की फसलें नष्ट हो रही है और आपस मे भी लोग इन पशुओं की वजह से लड़ रहे हैं सरकार और प्रशासन से कई बार समस्या के समाधान की मांग की गई लेकिन कोई अधिकारी कुछ नही करता मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से भी समस्या का समाधान नही हो पा रहा है।

बाईट,,,,स्थानीय निवासीConclusion:
लोगों का कहना है कि सरकार ने पहले इन पशुओ की टेगिंक की थी जिससे इन पर रोक लग गयी थी।पशुओं की टेकिंग से पता चल जाता था कि कौन सा पशु किस का है लेकिन अब इसकी ओर कोई ध्यान नही दे रहा जिससे गांव में फसल खराब हो रही है और लोग इन पशुओं को एक दूसरे के खेत की तरफ हांक देते हैं जिससे लोग आपस मे उलझ रहे हैं लोगों ने सरकार से इन पशुओं से निजात पाने की गुहार लगाई है।

बाईट,,,, स्थानीय निवासी
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