शिमलाः ब्रिटिश शासन काल से ही घुड़सवारी शिमला की पहचान रही है. शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए भी घुड़सवारी करना आकर्षण का केंद्र होता है, लेकिन कोरोना से पर्यटन कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इससे घोड़ा संचालकों का कामकाज भी प्रभावित हुआ है.
कामकाज पटरी पर लौटने की उम्मीद
साल 2020 में कोरोना की पहली लहर के समय में भी घोड़ा संचालक परेशान हुए और दूसरी लहर में भी करीब 2 महीने से काम ठप रहा. अब हिमाचल प्रदेश धीरे-धीरे अनलॉक की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों की आमद भी देखने को मिल रही है. पर्यटकों की आमद से घोड़ा संचालकों को भी कामकाज के पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी है.
घर-परिवार का गुजर-बसर भी हुआ मुश्किल
कोरोना की वजह से घोड़ा संचालकों का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. घोड़ा संचालकों के लिए घोड़ों का रोजाना का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया था. घोड़ों के खर्चे के साथ अपने घर परिवार का गुजर-बसर करने के लिए भी घोड़ा संचालकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई थी.
घोड़ा संचालकों की मदद के लिए शहर भर के कई सामाजिक संगठन भी आगे आए. कई सामाजिक संगठनों ने आगे आकर घोड़ा संचालकों के घोड़ों के लिए चारे का भी प्रबंध किया था. हालांकि अब काम के पटरी पर लौटने की उम्मीद है, लेकिन घोड़ा संचालकों की प्रदेश सरकार से मांग है कि संकट के इस समय में उन्हें कुछ राहत दी जाए.
धीरे-धीरे पर्यटकों की आमद में बढ़ोतरी की उम्मीद
हिमाचल प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन का एक बड़ा हिस्सा है. प्रदेश के कई लोगों का रोजगार भी पर्यटन कारोबार के साथ जुड़ा हुआ है. अब हिमाचल प्रदेश अनलॉक की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में ट्रकों के हिमाचल आने से कामकाज पटरी पर लौटने की उम्मीद की जा रही है.
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