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रामपुर: बागवानों को मिलेगी कीटनाशक पर सब्सिडी, दिखाना होगा उद्यान कार्ड

हिमाचल के शिमला स्थित रामपुर क्षेत्र के बागवानों को अब सेब की कीटनाशक व फफूंद नाशक दवाइयां उद्यान विभाग में सब्सिडी पर मिलेंगी. इससे पहले बागवानों को खुले बाजार से महंगे दाम पर कीटनाशक खरीदने पड़ रहे थे. सब्सिडी पर दवाएं मिलने से बागवानों को बड़ा फायदा होगा. (Subsidy On Pesticides)

Rampur Horticulture Department
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Published : Jan 1, 2023, 4:20 PM IST

बागवानों को मिलेगी कीटनाशक पर सब्सिडी

रामपुर: हिमाचल के बागवानों को कीटनाशक पर सब्सिडी देने की पुरानी योजना को सरकार ने बहाल कर दिया है. इसे लेकर बागवानी विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं. बागवानों को हर ब्लॉक पर सेब की कीटनाशक व फफूंद नाशक दवाई मिलना शुरू हो गई है. ऐसे में अब बागवानी विभाग ने बागवानों को अनुदान पर कीटनाशक उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है. (Subsidy On Pesticides)

जानकारी देते हुए उद्यान विभाग रामपुर के एचओडी डॉक्टर प्रवीन मेहता ने बताया कि रामपुर के सभी स्टोरों में उनके द्वारा कीटनाशक व फफूंदी नाशक दवाइयां बागवानों के लिए भेज दी गई हैं. उन्होंने बताया सभी बागवान इन कीटनाशक का लाभ ले सकते हैं. इस दौरान बागवानों को अपना उद्यान कार्ड लेकर कार्यालय में आने की आवश्यकता है जिसके उपरांत विभाग से यह कीटनाशक उपलब्ध करवाई जा सकती है, आगे भी यह प्रक्रिया अब लगातार जारी रहेगी. (Rampur Horticulture Department)

वहीं, बता दें की राज्य सरकार ने 2020 में अनुदान पर कीटनाशक देने के बजाय बागवानों के बैंक खाते (DBT के जरिए) में सब्सिडी देने का निर्णय लिया था. इस निर्णय का प्रदेशभर में बागवानों ने विरोध किया था, क्योंकि डीबीटी प्रक्रिया में सब्सिडी की रकम भी नाम मात्र थी और इसके लिए आवेदन करना बागवान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. यही वजह रही कि औपचारिकताएं पूरी होने से बीते दो सालों में नाममात्र बागवान ही डीबीटी के जरिए अनुदान के लिए आवेदन कर पाए हैं.

वहीं, बागवानों को खुले बाजार से महंगे दाम पर कीटनाशक खरीदने पड़ रहे थे. इससे इनपुट कॉस्ट बहुत ज्यादा बढ़ गई है. अब पुरानी व्यवस्था बहाल होने के बाद बागवानों को उद्यान विभाग के माध्यम से सस्ते दाम पर कीटनाशक मुहैया करवाना शुरू कर दिया है. महंगाई की मार झेल रहे बागवानों के लिए यह राहत भरी खबर है. वहीं, इस दौरान बागवानों को डीबीटी योजना के तहत सेब और अन्य फ्रूट के लिए प्रति हेक्टेयर 4000 रुपए तथा आम व अमरूद के लिए 2000 रुपए प्रति हेक्टेयर रुपए देने का प्रावधान सरकार ने किया था. लेकिन हिमाचल में छोटे आकार की जोत है. एक हेक्टेयर जमीन मुश्किल से पांच फीसदी लोगों के पास होगी. इस वजह से लोग डीबीटी योजना का लाभ नहीं रहे थे.

ये भी पढ़ें: सिरमौर में हेलीपोर्ट के लिए पर्यटन विभाग को भूमि हस्तांतरित, जानिए किस तरह की मिलेंगी सुविधाएं

बागवानों को मिलेगी कीटनाशक पर सब्सिडी

रामपुर: हिमाचल के बागवानों को कीटनाशक पर सब्सिडी देने की पुरानी योजना को सरकार ने बहाल कर दिया है. इसे लेकर बागवानी विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं. बागवानों को हर ब्लॉक पर सेब की कीटनाशक व फफूंद नाशक दवाई मिलना शुरू हो गई है. ऐसे में अब बागवानी विभाग ने बागवानों को अनुदान पर कीटनाशक उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है. (Subsidy On Pesticides)

जानकारी देते हुए उद्यान विभाग रामपुर के एचओडी डॉक्टर प्रवीन मेहता ने बताया कि रामपुर के सभी स्टोरों में उनके द्वारा कीटनाशक व फफूंदी नाशक दवाइयां बागवानों के लिए भेज दी गई हैं. उन्होंने बताया सभी बागवान इन कीटनाशक का लाभ ले सकते हैं. इस दौरान बागवानों को अपना उद्यान कार्ड लेकर कार्यालय में आने की आवश्यकता है जिसके उपरांत विभाग से यह कीटनाशक उपलब्ध करवाई जा सकती है, आगे भी यह प्रक्रिया अब लगातार जारी रहेगी. (Rampur Horticulture Department)

वहीं, बता दें की राज्य सरकार ने 2020 में अनुदान पर कीटनाशक देने के बजाय बागवानों के बैंक खाते (DBT के जरिए) में सब्सिडी देने का निर्णय लिया था. इस निर्णय का प्रदेशभर में बागवानों ने विरोध किया था, क्योंकि डीबीटी प्रक्रिया में सब्सिडी की रकम भी नाम मात्र थी और इसके लिए आवेदन करना बागवान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. यही वजह रही कि औपचारिकताएं पूरी होने से बीते दो सालों में नाममात्र बागवान ही डीबीटी के जरिए अनुदान के लिए आवेदन कर पाए हैं.

वहीं, बागवानों को खुले बाजार से महंगे दाम पर कीटनाशक खरीदने पड़ रहे थे. इससे इनपुट कॉस्ट बहुत ज्यादा बढ़ गई है. अब पुरानी व्यवस्था बहाल होने के बाद बागवानों को उद्यान विभाग के माध्यम से सस्ते दाम पर कीटनाशक मुहैया करवाना शुरू कर दिया है. महंगाई की मार झेल रहे बागवानों के लिए यह राहत भरी खबर है. वहीं, इस दौरान बागवानों को डीबीटी योजना के तहत सेब और अन्य फ्रूट के लिए प्रति हेक्टेयर 4000 रुपए तथा आम व अमरूद के लिए 2000 रुपए प्रति हेक्टेयर रुपए देने का प्रावधान सरकार ने किया था. लेकिन हिमाचल में छोटे आकार की जोत है. एक हेक्टेयर जमीन मुश्किल से पांच फीसदी लोगों के पास होगी. इस वजह से लोग डीबीटी योजना का लाभ नहीं रहे थे.

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