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प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने पर बोले सिंघा, कहा: तानाशाही रवैया अपना रही सरकार

वीरवार को सदन में जयराम सरकार ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बन्द करने करने के लिए विधेयक पारित कर दिया. इस विधेयक का कांग्रेस सहित सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा ने जमकर विरोध करते हुए सदन से वाकऑउट कर दिया.

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Published : Aug 29, 2019, 5:50 PM IST

rakesh singha

शिमलाः जयराम सरकार ने वीरवार को सदन में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का विधेयक पारित कर दिया. प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बन्द करने के फैसले का सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा ने विरोध करते हुए सरकार के इस फैसले को तानाशाही बताया है. सिंघा ने कहा कि ट्रिब्यूनल बन्द होने से कर्मचारियों की परेशानियां बढ़ेंगी.

सिंघा ने कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल से कर्मचारियों को कम समय में न्याय मिलता था, लेकिन अब कर्मचारियों को हाईकोर्ट के चक्कर काटने के साथ ज्यादा पैसे भी देने पड़ेंगे. सीपीआईएम विधायक ने कहा कि सीएम जयराम ने अपने जवाब में कहा था कि विधायकों को पूछ कर ही ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया गया है, लेकिन इस फैसले को लेकर न तो कांग्रेस और न ही हमें पूछा गया है. सरकार लोकतंत्र पर कम विश्वास कर रही है और तानाशाही रवैया अपना रही है. सेशन का समय तय होने पर सदन में ऑर्डिनेश लाने की सरकार को क्या जरूरत थी.

वीडियो

सिंघा ने सरकार से ट्रिब्यूनल को लेकर पुनः विचार करने का सरकार से आग्रह किया और कहा कि कर्मचारियों के कम समय राहत मिले इसके लिए सरकार ट्रिब्यूनल को एक बार फिर बहाल करे.

बता दें कि वीरवार को सदन में ट्रिब्यूनल को लेकर विधेयक पेश किया गया. कांग्रेस सहित सीपीआईएम विधायक ने विधेयक का जम कर विरोध किया और सदन से वॉकआउट कर दिया. वहीं, सत्ता पक्ष ने विपक्ष के बाहर जाते ही विधेयक को सदन में पारित भी कर दिया.

ये भी पढ़ेंः गलत HIV रिपोर्ट से हुई महिला की मौत का मामला: सीएम जयराम ने दिए जांच के आदेश

शिमलाः जयराम सरकार ने वीरवार को सदन में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने का विधेयक पारित कर दिया. प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बन्द करने के फैसले का सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा ने विरोध करते हुए सरकार के इस फैसले को तानाशाही बताया है. सिंघा ने कहा कि ट्रिब्यूनल बन्द होने से कर्मचारियों की परेशानियां बढ़ेंगी.

सिंघा ने कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल से कर्मचारियों को कम समय में न्याय मिलता था, लेकिन अब कर्मचारियों को हाईकोर्ट के चक्कर काटने के साथ ज्यादा पैसे भी देने पड़ेंगे. सीपीआईएम विधायक ने कहा कि सीएम जयराम ने अपने जवाब में कहा था कि विधायकों को पूछ कर ही ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया गया है, लेकिन इस फैसले को लेकर न तो कांग्रेस और न ही हमें पूछा गया है. सरकार लोकतंत्र पर कम विश्वास कर रही है और तानाशाही रवैया अपना रही है. सेशन का समय तय होने पर सदन में ऑर्डिनेश लाने की सरकार को क्या जरूरत थी.

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सिंघा ने सरकार से ट्रिब्यूनल को लेकर पुनः विचार करने का सरकार से आग्रह किया और कहा कि कर्मचारियों के कम समय राहत मिले इसके लिए सरकार ट्रिब्यूनल को एक बार फिर बहाल करे.

बता दें कि वीरवार को सदन में ट्रिब्यूनल को लेकर विधेयक पेश किया गया. कांग्रेस सहित सीपीआईएम विधायक ने विधेयक का जम कर विरोध किया और सदन से वॉकआउट कर दिया. वहीं, सत्ता पक्ष ने विपक्ष के बाहर जाते ही विधेयक को सदन में पारित भी कर दिया.

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Intro: प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के बन्द करने के सरकार के फैसले को सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा ने तानाशाही रवैया करार दिया है। सिंघा ने कहा कि ट्रिब्यूनल बन्द होने से कर्मचारियों की परेशानियां बढ़ेगी। पहले जहा कम समय मे कर्मचारियों को न्याय मिलता था लेकिन अब हाई कोर्ट में जहा उसे इंतजार करना पड़ेगा वही पैसे भी ज्यादा देने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सीएम जयराम एक कह रहे है कि विधायको को पूछ कर ही ये फैसला लिया गया है लेकिन न तो कांग्रेस और न ही हमे इसको लेकर पूछा गया है।


Body:सिंघा ने कहा कि सरकार लोकतंत्र पर कम विशवास कर रही है और तानाशाही रवैया ज्यादा अपना रही है जोकि सही नही है। उन्होंने कहा कि सदन में आर्डिनेंस लाने की जरूरत नही थी। जब सेशन तह हो गया तो ऑर्डिनेश सदन में लाने की क्या जरूरत थी। सिंघा ने सरकार से ट्रिब्यूनल को लेकर पुनः विचार करने की सरकार से आग्रह किया और कहा कि सरकार ट्रिब्यूनल को बहाल करें ताकि कर्मचारियों को कम समय पर राहत मिल सखे।


Conclusion:बता दे वीरवार को सदन में ट्रिब्यूनल को लेकर विधेयक को पेश किया गया जिसका कांग्रेस सहित सीपीआईएम विधायक ने विरोध किया और सदन से वाकआउट कर दिया। सत्ता पक्ष ने विपक्ष के बाहर जाते ही इस विधेयक को सदन में पारित भी कर दिया।
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