शिमला: कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं. इस समय कोरोना के चलते कई बड़े अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. बड़े-बड़े अस्पतालों में कोविड केयर सेंटर बना दिए गए हैं. जहां कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है. बड़े अस्पतालों में भी इस समय कोविड मरीजों के इलाज को ही प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसे में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े आईजीएमसी शिमला, टांडा मेडिकल कॉलेज में कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है. इसके साथ ही नेरचौक मेडिकल कॉलेज में कैंसर मरीजों की कीमोथेरेपी की जाती है. इसके अलावा पंजाब, हरियाणा की सीमा से सटे इलाकों के लोग पीजीआई चंडीगढ़ के अलावा दिल्ली एम्स में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के लिए जाते हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बीच पीजीआई चंडीगढ़, एम्स में कीमोथेरेपी या दूसरे निजी अस्पतालों में कीमोथेरेपी बंद हो चुकी है.
हिमाचल के बाहर भी कई अस्पतालों में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी मरीजों को दी जाती है. आर्थिक रूप से कमजोर लोग निजी अस्पतालों की फीस नहीं चुका सकते. ऐसे में लोगों का एकमात्र सहारा सरकारी अस्पताल हैं, लेकिन कोरोना कर्फ्यू एक के कारण लोगों को आने-जाने के साधन नहीं मिल पा रहे हैं. सार्वजनिक परिवहन सेवा भी बंद है. लोग महेंगे दामों पर निजी गाड़ियां किराए पर नहीं ले सकते.
टांडा में कैंसर यूनिट बंद
टांडा मेडिकल कॉलेज लोअर हिमाचल का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है. हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, ऊना से बड़ी संख्या में लोगों को टांडा रेफर किया जाता है. कांगड़ा में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद यहां चल रहे कैंसर यूनिट को कोविड वार्ड में तब्दील कर दिया गया हैं. ऐसे में यहां कैंसर के मरीजों की कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी नहीं हो पा रही है. इस समय यहां 35 से 40 लोगों की रेडियोथेरेपी और लगभग 35 लोगों की कीमोथेरेपी चल रही थी.
अस्पताल प्रशासन ने इन मरीजों को आईजीएमसी शिमला जाने के लिए कहा है. इसके बाद कुल 25 मरीज कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के लिए ही आईजीएमसी शिमला पहुंचे हैं. चंबा जैसे दूर-दराज के इलाकों के लोग यातायात के साधन उपलब्ध ना होने और आर्थिक तंगी के कारण यहां नहीं पहुंच पाए हैं.
नहीं मिल रही एंबुलेंस सुविधा
आईजीएमसी में एक व्यक्ति ने रोते हुए कहा कि उनकी पत्नी को बिलासपुर से पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया था, लेकिन चंडीगढ़ में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. इसके बाद उन्होंने शिमला आने के लिए 108 पर कॉल की थी, लेकिन उन्होंने एंबुलेंस भेजने से मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने अस्पताल से एंबुलेंस मांगी. इसके लिए उनसे 2200 रुपये की मांग की गई थी. निजी टैक्सी चालक ने भी उनसे 2500 रुपये मांगे थे. आखिरी में उन्होंने 2000 रुपये में परिचित की गाड़ी किराए पर ली थी.
25 प्रतिशत तक बढ़ी ओपीडी
आईजीएमसी में कैंसर विभाग के एचओडी मनीष गुप्ता ने कहा कि इलाज के लिए मरीज हिमाचल के बाहर नहीं जा पा रहे हैं. इसके साथ ही नेरचौक मेडिकल कॉलेज को कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. इसके कारण लोग वहां जाने से डर रहे हैं. टांडा मेडिकल कॉलेज से भी मरीजों को यहां भेजा गया है. टांडा से अब तक कीमोथेरेपी के लिए 10 और रेडियोथेरेपी के लिए 15 मरीज ही उनके पास पहुंचे हैं. ऐसे में उनके यहां ओपीडी 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है. टांडा से रेफर किए गए मरीज भी यहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. लोगों को कोरोना कर्फ्यू के बीच आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
मनीष गुप्ता ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम एक समय में हम 50 ही लोगों को कीमोथेरेपी और 100 से 120 लोगों को रेडियोथेरेपी दे सकते हैं, जबकि उनके पास पहले से ही 112 लोगों की रेडियोथेरेपी दी जा रही. ऐसे में लोगों को अगली तारीख दी जा रही है.
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