शिमला: प्रदेश बीज एवं जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण संस्था के गवर्निंग बोर्ड की बैठक प्रधान सचिव कृषि ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई. ओंकार चंद शर्मा ने बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद कहा कि किसान बीज खरीदते समय यह अवश्य ध्यान रखें कि बीज की पैकिंग, लैवलिंग और सिलिंग सही हो.
इस संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों को समय-समय पर किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अच्छी किस्म व प्रजाति के बीजों के क्षेत्रफल व उत्पादन को और ज्यादा बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे प्रदेश के दूसरे राज्यों से बीज की खरीद न करनी पड़े.
ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि करोड़ों रुपये जो बीज खरीद पर खर्च होता है, वह प्रदेश के किसानों को मिलना चाहिए और किसानों के हित में और भी लाभकारी योजनाएं चलाई जा सकती हैं. उन्होंने निर्देश दिए कि बीज प्रमाणीकरण संस्था, कृषि विभाग व कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, उद्यानिक विश्वविद्यालय सोलन और आत्मा परियोजना मिलकर हिमाचल प्रदेश की स्थानीय फसलों के बीजों के उत्पादन पर कार्य करें. क्योंकि हमारी देसी फसलों में ज्यादा पोषण के साथ-साथ प्रदेश में इसकी स्वीकार्यता भी अधिक है.
बैठक में चर्चा के दौरान सदस्य सचिव और निदेशक बीज एवं जैविक उत्पाद संस्था युद्धवीर सिंह पठानिया ने जानकारी दी कि पिछले साल प्रदेश के किसानों से 28 हजार क्विंटल गेहूं बीज की खरीद की गई, जबकि इस वर्ष सोलह उन्नतशील गेहूं की प्रजातियों, जिनका अनुमोदन कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने किया है. 39 हजार क्विंटल गेहूं का बीज 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रदेश के किसानों से खरीदा गया है. इसके अतिरिक्त दालें, सब्जियों की फसलों व तेल फसलों का बीज भी प्रदेश में तैयार कराया गया है. वर्ष 2019-20 में संस्था द्वारा कुल 62575 क्विंटल बीज तैयार कराया गया, जिससे प्रदेश के किसानों को आय में सीधी बढ़ोतरी हुई है.
कृषि निदेशक डॉ. राकेश कौंडल ने बताया कि इस वर्ष चार नए ग्रेडिंग सेंटरों की स्थापना की जा रही है. प्रधान सचिव ने कृषि विभाग व पंजीकरण संस्था को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करें की प्रदेश की बीज मांग को प्रदेश से ही पूरा किया जाए.