शिमला: पिछले पांच वर्षों में मशोबरा चिकित्सा ब्लॉक के तहत आने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ट्रहाई में डॉक्टर और अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ नहीं है. जिस वजह से इस क्षेत्र की तीन पंचायतों के लोगों को विशेषकर लॉकडाउन के दौरान इलाज करवाने में बहुत दिक्कत पेश आ रही है. केवल सेवादार के सहारे ही पिछले पांच सालों में यह पीएचसी चल रही है.
गौर रहे कि पीएचसी ट्रहाई का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने 16 अप्रैल 2016 किया गया था. इसके बावजूद गत पांच वर्षों के दौरान सरकार ने इस पीएचसी में कोई भी चिकित्सक और पैरा मेडिकल स्टाफ के पद स्थाई रूप से नहीं भरे.
स्थानीय लोगों के अनुसार कि करीब दो वर्ष पहले इस पीएचसी के लिए सरकार की ओर से डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी, लेकिन डॉक्टर ने इस दूरदराज क्षेत्र में सेवा करने की बजाए अपनी अस्थाई डियूटी शिमला व इसके आसपास स्वास्थ्य संस्थान में लगा दी जाती है और वेतन पीएचसी ट्रहाई के खाते से ड्रॉ किया जा रहा है.
बता दें कि गत जनवरी माह के दौरान स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलकर स्थाई तौर पर डॉक्टर नियुक्त करने की मांग की थी. उसके बाद कुछ दिन तक डॉक्टर सप्ताह में दो बार बैठने लगे थे, लेकिन फिर भी पिछले चार माह से कोई भी चिकित्सक इस संस्थान में उपलब्ध नहीं है. जिस कारण इस क्षेत्र के लोगों को छुटपुट बिमारी के इलाज के लिए लॉकडाउन के दौरान टैक्सी करके शिमला अथवा सोलन जाना पड़ता है. जिसके एवज में भारी भरकम राशि अदा करनी पड़ रही है.
लोगों का कहना है कि पीएचसी के नाम पर बहुत बड़ा धोखा
लोगों का कहना है कि सरकार ने इस पीएचसी के नाम पर बहुत बड़ा धोखा किया गया है. जबकि यह पीएचसी तीन पंचायतों के लिए खोली गई थी, परंतु इसका लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिमला डॉ. सुरेखा चोपड़ा ने बताया कि उन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं है और पीएचसी में डॉक्टर को भेजने के लिए शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी.
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