शिमलाः राजस्थान के सूरत में एक कोचिंग सेंटर में हुए भयावह अग्निकांड के बाद भी राजधानी शिमला में प्रशासन की नींद नहीं टूटी है. शायद प्रशासन यहां भी इसी तरह के किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है जिसके बाद ही इस तरह के हादसों से निपटने के लिए एहतियात प्रशासन बरतेगा.
फिलहाल शिमला में जितने भी कोचिंग सेंटर चल रहे है उन पर किसी भी तरह का चेक न तो शिक्षा विभाग की ओर से रखा जा रहा है और न ही नगर निगम किसी तरह की व्यवस्था को जांच रहा है. इन मौजूदा हालातों के बीच कोचिंग सेंटर संचालकों की मन मर्जी से ही चल रहे हैं.
राजधानी शिमला में जो बच्चे कोचिंग सेंटरों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं वो हर समय खतरे में हैं. इन छात्रों की सुरक्षा को लेकर न तो शिमला प्रशासन और न ही शिक्षा विभाग ने अभी तक कोई कदम उठाया है. दोनों ही विभाग एक दूसरे पर कोचिंग सेंटरों की जिम्मेदारी थोप रहे हैं. हालांकि सूरत कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद शिमला के कुछ एक कोचिंग सेंटरों ने इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए सुरक्षा इंतजाम पुख्ता करने की पहल की है, लेकिन उसमें भी उन्हें प्रशासन की तरफ से मदद नहीं मिल पा रही.
शिमला के एक निजी कोचिंग सेंटर ने सूरत हादसे के इस तरह की आपदा से सुरक्षा को लेकर जिला फायर ऑफिसर को अपने कोचिंग सेंटर में फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स इन्स्टॉल करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन इस पत्र को भी बिना किसी जवाब के संस्थान को वापिस लौटा दिया. ऐसे में अब इन किस तरह से इस प्रक्रिया को पूरा किया जाए इसे लेकर संस्थान असमंजस की स्तिथि में है.
निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ.रमेश ने बताया कि सूरत हादसे के बाद उन्होंने भी अपने कोचिंग सेंटर में इस तरह की आपदा से बच्चों का बचाव करने के लिए सेंटर में आग से बचाने के लिए फायर फाइटिंग इक्विपमेंट्स इनस्टॉल करने को लेकर पत्र लिखा था, लेकिन उसे वापस कर दिया गया. उन्होंने कहा कि पहले भी संस्थान की ओर से यह पहल की गई थी, तब भी संबधित विभाग ने इसे नजरअंदाज कर दिया था.
वहीं जब शिक्षा विभाग से कोचिंग सेंटरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल किया गया तो शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा ने कहा कि कोचिंग सेंटरों पर शिक्षा विभाग का कोई चेक नहीं है न ही यह विभाग के दायरे में आते हैं, लेकिन फिर भी सूरत के हादसे के बाद उन्होंने सभी जिला उपनिदेशकों को यह निर्देश जारी किए है कि अपने क्षेत्रों में चल रहे कोचिंग सेंटरों में जांच कि जाए कि वहां आगजनी की घटनाओं से बचने का प्रबंध है या नहीं. इसके साथ ही आपदा प्रबंधन से जुड़े जो भी सेफ्टी मेजरज है उन्हें सेंटर पूरा कर रहे है या नहीं. यह जानकारी उपायुक्त तक भी पहुंचाई जा रही है. उन्होंने माना कि कोचिंग सेंटर बिना शिक्षा विभाग की एनओसी के भी चलते हैं और ऐसे में अब यह नगर निगम की भी जिम्मेवारी बनती है कि वो भी इन पर चेक रखे.
जब नगर निगम आयुक्त पंकज रॉय से इस बारे बात की गई तो वो भी इस मामले में पल्ला झाड़ते नज़र आए और उन्होंने साफ कहा कि कोई भी पीजी ओर कोचिंग सेंटर चलाने के लिए निगम अनुमति नहीं देता है. मात्र व्यवसायी ओर गैर व्यवसायी भवनों की अनुमति ही निगम देता है. ऐसे में अब ये एक बड़ा सवाल है कि बच्चों को उनके बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने के नाम पर चल रहे सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा किसके भरोसे है.