शिमला: राजधानी शिमला में एक मासूम नाबालिग लड़की से जबरन घर में काम करवाना और उसकी पिटाई करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने सूचना मिलते ही नाबालिक बच्ची को छुड़ाया है.
जानकारी के अनुसार उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव की शिकायत पर शिमला पुलिस ने रविवार को टूटू के एक मकान से एक 15 वर्षीय मासूम बच्ची को छुड़ाया. वह एक प्रभावशाली कारोबारी व्यक्ति के घर में नौकर की तरह काम करती थी और उसकी बुरी तरह पिटाई की जाती थी.
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें किसी ने फोन कर बताया कि टूटू में लगभग एक वर्ष से नाबालिग लड़की को घर में गुलामों की तरह रखा गया है. उसकी बुरी तरह पिटाई किए जाने से उसे शारीरिक और मानसिक चोटें पहुंचती हैं. उन्होंने तुरंत शिमला के पुलिस अधीक्षक मोहित चावला से बात की और बच्ची को रेस्क्यू करने के लिए कहा.
मोहित चावला ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ घंटों के भीतर ही उस प्रभावशाली व्यक्ति के घर पर छापा डलवाया और बच्ची को रेस्क्यू कर लिया गया. ऐसा लगता है कि मासूम बच्ची मध्य प्रदेश के किसी जिले की रहने वाली है. पुलिस अब उसका कोविड टेस्ट कराने के बाद उसे कल जूविनाइल जस्टिस कोर्ट में पेश करेगी.
वहीं, अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है. बल्कि इसके पीछे मानव तस्करी का बड़ा रैकेट हो सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस समूचे मामले को मानव तस्करी के दृष्टिकोण से देखा जाए ताकि असली अपराधियों का पता चल सके.
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि पहले भी हिमाचल में नाबालिग लड़कियां मानव तस्करी के जरिए लाई जाती रही हैं, लेकिन आम तौर पर पुलिस उन्हें साधारण अपराध मानकर कार्रवाई करती है.
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