शिमला: थियेटर के आकाश के सबसे मनोहर सितारे (Actor Manohar Singh) को उनके शहर के रंगकर्मी याद कर रहे हैं. नाट्य संसार में अपनी प्रतिभा से सबको चमत्कृत करने वाले मनोहर सिंह बेशक देह से स्मृति हो चुके हैं. लेकिन उनका अभिनय अभी भी जीवंत है. शिमला के गेयटी थियेटर में आयोजित किए जा रहे मनोहर सिंह जयंती समारोह के दूसरे दिन इस महान कलाकार की यादों को सांझा किया गया. श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पूर्व आईएएस अधिकारी और लेखक श्रीनिवास जोशी ने मनोहर सिंह के कृतित्व, व्यक्तित्व और नाट्य जगत में उनके योगदाम पर पत्र पढ़ा.
श्रीनिवास जोशी ने मनोहर सिंह के साथ बिताए पलों और उनसे जुड़े संस्मरण को सबके समक्ष रखा. उन्होंने मनोहर सिंह के शिमला से दिल्ली और मुंबई में बालीवुड के सफर के बारे में बताया. इस अवसर पर सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी और लेखक देवेंद्र गुप्ता ने मनोहर सिंह के शिमला आगमन पर उनकी यादों को व्यक्त किया. देवेंद्र गुप्ता ने बताया कि कैसे ठगड़ा राम यानी रत्न सिंह हिमेश और गीतों के राजा सत्येन शर्मा ने मनोहर सिंह को एनएसडी में जाने के लिए प्रेरित किया. वहीं, वरिष्ठ रंगकर्मी प्रवीण चांदला ने भी मनोहर सिंह की प्रतिभा को विलक्षण बताया.
रंगकर्मी संजय सूद ने मनोहर सिंह के नाटकों की वीडियोग्राफी, उनके कार्यों और एनएसडी नई दिल्ली (NSD New Delhi) में लगे उनके चित्रों की प्रतियां प्राप्त कर उन्हें गेयटी थिएटर में स्थापित करने की मांग की. अकादमी सचिव डॉ. कर्म सिंह ने कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए सभी का आभार जताया. इस अवसर पर विख्यात कहानीकार एसआर हरनोट, कमल मनोहर शर्मा, संजीव अरोड़ा, श्रुति रोहटा, तरूणा मिश्रा, जावेद इकबाल आदि रंगकर्मियों ने भी अपने-अपने विचार प्रकट किए और स्वर्गीय मनोहर सिंह को पुष्पाजंलि अर्पित की.
शिमला और मनोहर सिंह का रिश्ता: मनोहर सिंह शिमला के समीपवर्ती गांव क्वारा में (Manohar Singh relation to shimla) जन्मे थे. मनोहर सिंह रंगमंच की दुनिया के बेताज बादशाह माने जाते थे. उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया. मनोहर सिंह को देश-विदेश में कई सम्मान मिले. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली के पहले निदेशक इब्राहिम अल्काजी मनोहर सिंह की प्रतिभा के बेहद कायल थे. मनोहर सिंह ने 1971 में एनएसडी पासआउट किया था. हातिमताई, तुगलक (Tughlaq drama of Manohar Singh) जैसे कई नाटकों में मनोहर सिंह ने अपने अभिनय का सिक्का जमाया. उन्होंने बेशक फिल्मों में भी अभिनय किया, लेकिन उनका मन पूरी तरह से रंगमंच में ही रमा रहा.
उनकी स्मृति में हर साल शिमला में नाट्य समारोह का आयोजन किया जाता है. यहां मनोहर सिंह के बारे में एक अद्भुत संस्मरण का जिक्र जरूरी है. एनएसडी के संस्थापक इब्राहिम अल्काजी ने साक्षात्कार के दौरान मनोहर सिंह से पूछा था कि क्या तुमने थियेटर पढ़ा है? मनोहर सिंह ने तत्परता से जवाब दिया-थियेटर के बारे में पढ़ा तो नहीं है, लेकिन मैं पूरा थियेटर कर सकता हूं. मनोहर का आत्मविश्वास देखकर अल्काजी हतप्रभ रह गए थे. बाद में मनोहर सिंह ने अपने दमदार अभिनय से साबित कर दिया था कि वे थियेटर के बादशाह हैं.
लंदन की रॉयल अकादमी ने भी किया सम्मानित: मनोहर सिंह को लंदन की रॉयल अकादमी (Royal Academy of London) ने भी सम्मानित किया है. उन्होंने कुछ फिल्मों में भी काम किया, लेकिन उनकी रूह पूरी तरह से थियेटर में ही रमी रही. संगीत नाटक अकादमी सम्मान सहित उनके खाते में अनेक महत्वपूर्ण अवार्ड दर्ज हैं. उनका अभिनय कितना जीवंत होता था, इसका पता इस बात से चलता है कि हातिमताई नाटक के दौरान उनके हाव-भाव महिलाओं जैसे हो गए थे.
गेयटी थियेटर से था बेहद लगाव: शिमला के गेयटी थियेटर (Gaiety Theatre in Shimla) से उन्हें बेहद लगाव था. उनके जीवित रहते हुए गेयटी थियेटर का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा था. दुर्भाग्य यह रहा कि जब गेयटी का नवीकरण हुआ, तो मनोहर सिंह उसके मंच पर अभिनय करने के लिए इस संसार में मौजूद नहीं थे. मनोहर सिंह को जिन नाटकों ने पूरी दुनिया में ख्याति दिलाई, उनमें तुगलक, हातिमताई आदि शामिल थे. उन्होंने कुछ फिल्मों और टीवी सीरियलों में भी काम किया था. नवंबर 2012 को यह महान कलाकार इस संसार को अलविदा कह गए थे.