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अब बुक कैफे में चाय-कॉफी परोसते नजर नहीं आएंगे कैदी, जानिए वजह

नगर निगम अब जेल विभाग से इस कैफे को वापिस लेने जा रहा है और इसे निजी हाथों को सौंपने जा रही है. हालांकि नगर निगम की महापौर इस तरह के टेंडर कॉल करने की बात से इनकार कर रही है लेकिन इसे लीज पर देने की बात कर रही है

जेल विभाग से वापिस लेगी एमसी बुक कैफे, लीज पर देने की तैयारी
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Published : Aug 27, 2019, 11:26 PM IST

शिमला: शहर में पहचान बना चुके बुक कैफे में अब कैदी चाय कॉफी परोसते नजर नहीं आएंगे. नगर निगम अब जेल विभाग से इस कैफे को वापिस लेने जा रहा है और इसे निजी हाथों को सौंपने की तैयारी में है. निगम बुक कैफे को लीज पर देने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू करने जा रहा है.

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बता दें कि 2016 में इस बुक कैफे की शुरुआत हुई थी और तब से इसका संचालन जेल विभाग कर रहा था. नगर निगम ने जेल विभाग को लीज पर ये कैफे दिया है. इस कैफे में ग्राहकों को कैदी ही कॉफी चाय और खाना परोसते थे.

शिमला के रिज के पास इस बुक कैफे को देखने के लिए खासकर पर्यटक पहुंचते है. जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों के संचालन के चलते ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस बुक कैफे की पहचान ही इन कैदियों से है, लेकिन अब ये पहचान नगर निगम खत्म करने जा रहा है और इसका संचालन निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है.

ये भी पढ़ें: काम से लौट रही युवती का य़ुवक ने घर तक किया पीछा, कमरे में जबरदस्ती घुस कर किया रेप

हालांकि नगर निगम की महापौर इस तरह के टेंडर कॉल करने की बात से इनकार कर रही है, लेकिन इसे लीज पर देने की बात उन्होंने साफ तौर पर कही है. नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट का कहना है कि ये लीज पर जेल विभाग को दिया गया है और लीज खत्म हो रही है. इससे नगर निगम को कोई आय नही हो रही है और पार्षद इसे लीज पर देने की मांग कर रहे हैं ताकि नगर निगम को आय हो सके.

शिमला: शहर में पहचान बना चुके बुक कैफे में अब कैदी चाय कॉफी परोसते नजर नहीं आएंगे. नगर निगम अब जेल विभाग से इस कैफे को वापिस लेने जा रहा है और इसे निजी हाथों को सौंपने की तैयारी में है. निगम बुक कैफे को लीज पर देने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू करने जा रहा है.

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बता दें कि 2016 में इस बुक कैफे की शुरुआत हुई थी और तब से इसका संचालन जेल विभाग कर रहा था. नगर निगम ने जेल विभाग को लीज पर ये कैफे दिया है. इस कैफे में ग्राहकों को कैदी ही कॉफी चाय और खाना परोसते थे.

शिमला के रिज के पास इस बुक कैफे को देखने के लिए खासकर पर्यटक पहुंचते है. जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों के संचालन के चलते ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस बुक कैफे की पहचान ही इन कैदियों से है, लेकिन अब ये पहचान नगर निगम खत्म करने जा रहा है और इसका संचालन निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है.

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हालांकि नगर निगम की महापौर इस तरह के टेंडर कॉल करने की बात से इनकार कर रही है, लेकिन इसे लीज पर देने की बात उन्होंने साफ तौर पर कही है. नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट का कहना है कि ये लीज पर जेल विभाग को दिया गया है और लीज खत्म हो रही है. इससे नगर निगम को कोई आय नही हो रही है और पार्षद इसे लीज पर देने की मांग कर रहे हैं ताकि नगर निगम को आय हो सके.

Intro:शिमला शहर में पहचान बना चुके बुक कैफे में अब कैदी चाय कॉफी परोसते नजर नही आएंगे। नगर निगम अब जेल विभाग से इस कैफे को वापिस लेने जा रहा है और इसको निजी हाथों में सौंपने जा रहा है। निगम बुक कैफे को लीज पर देने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। इस कैफे को जेल के कैदी चला रहे है। 2016 में इस बुक कैफे की शुरुवात हुई थी और तब से इसका संचालन जेल विभाग कर रहा था। नगर निगम ने जेल विभाग को लीज पर ये कैफे दिया है। इस कैफे में ग्राहकों को कैदी ही कॉफी चाय और फूड आइटम परोस रहे है। लोगो को किताबे पढ़ने के लिए मुहैया करवाई गई है।


Body:शिमला के रिज के पास टाका बेंच पर बने इस बुक कैफे को देखने और यहां चाय पीने के लिए खास कर पर्यटक पहुचते है। जेलों म3 बन सजायाफ्ता कैदियों के संचालन के चलते ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कैदियों से अक्सर यहाँ पर्यटक बात करते हुए नजर आते है। इस बुक कैफे की पहचान ही इन कैदियों से है लेकिन अब ये पहचान नगर निगम खत्म करने जा रहा है और इसका संचालन निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए नगर निगम जल्द ही टेंडर काल करने जा रहा है।


Conclusion:हालांकि नगर निगम की महापौर इस तरह के टेंडर कॉल करने की बात से इनकार कर रही है लेकिन इसे लीज पर देने की बात कर रही है। नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट का कहना है कि ये लीज पर जेल विभाग को दिया गया है और लीज खत्म हो रही है । इससे नगर निगम को कोई आय नही हो रही है और पार्षद इसे लीज पर देने की मांग कर रहे है ताकि नगर निगम को आय हो सखे। उनका कहना है कि जेल विभाग की लीज खत्म हो गई है और अभी फिलहाल तीन महीने के लिए दी है और आगे उन्हें देना है या नही इसका फैसला हाउस में किया जाएगा। हालांकि महापौर अभी इसका टेंडर जारी करने की बात से इनकार रही है।
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