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MC शिमला ने मांगा सरकार से शहर का वन क्षेत्र, वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर मीटिंग में हंगामा

पार्षदों का कहना है कि वन विभाग से समय पर क्लियरेंस न मिल पाने की वजह से एम्बुलेंस रोड और पार्किंग जैसे के कई काम रुके पड़े हैं, जिसका खामियाजा शिमला शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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Published : May 29, 2019, 8:38 PM IST

कुसुम सदरेट

शिमलाः शिमला नगर निगम की परिधि में वन क्षेत्र को निगम के हवाले करने की मांग फिर से तूल पकड़ने लगी है. नगर निगम की मासिक बैठक में सभी पार्षदों ने वन क्षेत्र को निगम के अधीन करने की मांग की है.

बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर जम कर हंगामा किया. पार्षदों का कहना है कि बीते वर्ष बारिश और बर्फबारी के कारण गिरे पेड़ अभी तक वार्डो में पड़े हैं, जिसे अभी तक हटाया नही गया. कई वार्डो में लोगों के घरों के लिए खतरा बने सूखे पेड़ों को काटने की अनुमति भी नही दी जा रही है. वन विभाग से समय पर क्लियरेंस न मिल पाने की वजह से एम्बुलेंस रोड और पार्किंग जैसे के कई काम रुके पड़े हैं, जिसका खामियाजा शिमला शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

भाजपा पार्षद संजय परमार ने कहा कि वन विभाग से आसनी से अनुमति नही मिल पा रही है. विभग कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगा कर फाइल वापिस भेज रहे है. पार्षदों ने एक सुर में वन क्षेत्र को एक बार फिर निगम के अधीन करने की मांग की.

नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि वन परिक्षेत्र को निगम के हवाले करने के लिए प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजा है और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा शहर में डीएफओ तक नहीं है. उन्होंने कहा कि बरसात आने वाली है और ऐसे में पेड़ो के गिरने का ज्यादा खतरा रहता है. यदि वन परक्षेत्र को निगम के हवाले कर दिया जाए तो शहर में विकास कार्य नही रुकेंगे.

कुसुम सदरेट, महापौर, नगर निगम शिमला

बता दें प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने 2011 में निगम को वन क्षेत्र दे दिया था, लेकिन सरकार ने उन्हें पूरे अधिकार नहीं दिए थे और न ही स्टाफ मुहैया करवाया था. इसके बाद 2013 में नगर निगम से वन क्षेत्र वापिस ले लिया था. नगर निगम की परिधि में 842.68 हेक्टयर वन क्षेत्र है, यदि ये नगर निगम को मिलता है तो नगर निगम की आय भी बढ़ेगी.

शिमलाः शिमला नगर निगम की परिधि में वन क्षेत्र को निगम के हवाले करने की मांग फिर से तूल पकड़ने लगी है. नगर निगम की मासिक बैठक में सभी पार्षदों ने वन क्षेत्र को निगम के अधीन करने की मांग की है.

बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर जम कर हंगामा किया. पार्षदों का कहना है कि बीते वर्ष बारिश और बर्फबारी के कारण गिरे पेड़ अभी तक वार्डो में पड़े हैं, जिसे अभी तक हटाया नही गया. कई वार्डो में लोगों के घरों के लिए खतरा बने सूखे पेड़ों को काटने की अनुमति भी नही दी जा रही है. वन विभाग से समय पर क्लियरेंस न मिल पाने की वजह से एम्बुलेंस रोड और पार्किंग जैसे के कई काम रुके पड़े हैं, जिसका खामियाजा शिमला शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

भाजपा पार्षद संजय परमार ने कहा कि वन विभाग से आसनी से अनुमति नही मिल पा रही है. विभग कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगा कर फाइल वापिस भेज रहे है. पार्षदों ने एक सुर में वन क्षेत्र को एक बार फिर निगम के अधीन करने की मांग की.

नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि वन परिक्षेत्र को निगम के हवाले करने के लिए प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजा है और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा शहर में डीएफओ तक नहीं है. उन्होंने कहा कि बरसात आने वाली है और ऐसे में पेड़ो के गिरने का ज्यादा खतरा रहता है. यदि वन परक्षेत्र को निगम के हवाले कर दिया जाए तो शहर में विकास कार्य नही रुकेंगे.

कुसुम सदरेट, महापौर, नगर निगम शिमला

बता दें प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने 2011 में निगम को वन क्षेत्र दे दिया था, लेकिन सरकार ने उन्हें पूरे अधिकार नहीं दिए थे और न ही स्टाफ मुहैया करवाया था. इसके बाद 2013 में नगर निगम से वन क्षेत्र वापिस ले लिया था. नगर निगम की परिधि में 842.68 हेक्टयर वन क्षेत्र है, यदि ये नगर निगम को मिलता है तो नगर निगम की आय भी बढ़ेगी.

Intro:शिमला नगर निगम की परिधि में वन क्षेत्र को निगम के हवाले करने की मांग फिर से तूल पकड़ने लगी है। नगर निगम की।मासिक बैठक में सभी पार्षदों ने वन क्षेत्र को निगम के अधीन करने की मांग की । बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर जम कर हंगामा किया । पार्षदों का कहना है कि बीते वर्ष गिरे पेड़ वार्डो में पड़े है जिसे अभी तक हटाया नही गया। वार्डो में लोगों के घरों के लिए खतरा बन सूखे पेड़ो की अनुमति भी नही दी जा रही है। वन विभाग से समय पर क्लियरेंस न मिल पाने से एम्बुलेंस रोड, रोप पे, पार्किंग के कई कार्य रुके पड़े है। जिसका खामयाजा शिमला शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। भाजपा पार्षद संजय परमार ने कहा कि वन विभाग से आसनी से अनुमति नही मिल पा रही है। विभग कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगा कर फाइल वापिस भेज रहे है।


Body:पार्षदों ने एक सुर में वन क्षेत्र को एक बार फिर निगम के अधीन करने की मांग की। वही नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि वन परिक्षेत्र को निगम के हवाले करने के लिए प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजा है ओर इस मामले में हतक्षेप करने की।मांग की है। उन्होंने कहा शहर में डीएफओ तक नही है। आगे बरसात भी होने वाली है ओर पेड़ो के गिरने का भी खतरे डर पार्षदों को बना रहता है । सभी अनुमति आसानी से मिल जाए तो शहर में विकास कार्य नही रुकेंगे।


Conclusion:बता दे प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार ने 2011 में निगम को वन क्षेत्र दे दिया था लेकिन सरकार ने उन्हें पूरा अधिकार नही दिए थे और न ही स्टाफ मुहैया कराया था। । जिसके बाद 2013 में नगर निगम से वन क्षेत्र वापिस ले लिया था। नगर निगम की परिधि में 842.68 हेक्टयर वन क्षेत्र है। यदि ये नगर निगम को मिलता है तो नगर निगम की आय भी बढ़ेगी।
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