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सराहनीय: प्रदेश के मंदिरों को स्वच्छ बनाने के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग सम्मानित - अर्थ डे नेटवर्क

प्रदेश के मंदिरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफलतापूर्वक चलाने के लिए लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ डे नेटवर्क ने हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग को 36 मंदिर परिसरों को स्वच्छ बनाने के लिए पुरस्कृत किया.

भाषा एवं संस्कृति विभाग
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Published : Aug 21, 2019, 7:52 AM IST

शिमला: प्रदेश भाषा, कला और संस्कृति विभाग को 36 मंदिर परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफलतापूर्वक चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ डे नेटवर्क ने सम्मानित किया है. यह सम्मान प्रदेश के मंदिरों को साफ सुथरा और प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में बेहतर काम करने के लिए विभाग को दिया गया है.

इस पुरस्कार को विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने प्राप्त किया है. उन्होंने इस पुरस्कार के लिए अर्थ डे नेटवर्क का आभार व्यक्त किया और साथ ही कहा कि प्रदेश के 36 मंदिर परिसरों में आस्था व सांस्कृतिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनमें ज्वालाजी, बैजनाथ, चिंतपूर्णी आदि मंदिर मुख्य तौर पर शामिल है.

मंदिर परिसरों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभाग ने बहुत से प्रयास किए हैं, जिनमें प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश भी जारी किए गए हैं. इस अवसर पर डॉ. पूर्णिमा चौहान ने बताया कि इन मंदिरों में हर रोज छोटे ट्रैक्टर लोड के बराबर कूड़ा-कचरा एकत्रित हो जाता है, जिसकी मात्रा विशेष अवसरों, त्यौहारों के दौरान और अधिक बढ़ जाती है.

इस कचरे को वहीं वर्गीकृत करने के बाद रिसाइकल करने बारे निर्देश जारी किए गए हैं. मंदिर प्रशासन यह भी सुनिश्चत करेगा कि फूल पत्तियों के चढ़ावे की अगरबती-धूप के रूप में रीसाइकल की जाए, जिससे वातावरण प्रदूषण मुक्त होगा और मंदिर की आय में भी बढ़ोतरी होने के साथ-साथ आने वाले समय में व्यवसाय के अवसर भी पैदा होंगे.

बता दें कि अर्थ डे नेटवर्क विश्व भर में पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी के बचाव पर 192 देशों में 75000 सहभागियों के साथ पर्यावरण लोकतंत्र पर काम कर रही है.

शिमला: प्रदेश भाषा, कला और संस्कृति विभाग को 36 मंदिर परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफलतापूर्वक चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था अर्थ डे नेटवर्क ने सम्मानित किया है. यह सम्मान प्रदेश के मंदिरों को साफ सुथरा और प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में बेहतर काम करने के लिए विभाग को दिया गया है.

इस पुरस्कार को विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने प्राप्त किया है. उन्होंने इस पुरस्कार के लिए अर्थ डे नेटवर्क का आभार व्यक्त किया और साथ ही कहा कि प्रदेश के 36 मंदिर परिसरों में आस्था व सांस्कृतिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनमें ज्वालाजी, बैजनाथ, चिंतपूर्णी आदि मंदिर मुख्य तौर पर शामिल है.

मंदिर परिसरों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभाग ने बहुत से प्रयास किए हैं, जिनमें प्लास्टिक प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश भी जारी किए गए हैं. इस अवसर पर डॉ. पूर्णिमा चौहान ने बताया कि इन मंदिरों में हर रोज छोटे ट्रैक्टर लोड के बराबर कूड़ा-कचरा एकत्रित हो जाता है, जिसकी मात्रा विशेष अवसरों, त्यौहारों के दौरान और अधिक बढ़ जाती है.

इस कचरे को वहीं वर्गीकृत करने के बाद रिसाइकल करने बारे निर्देश जारी किए गए हैं. मंदिर प्रशासन यह भी सुनिश्चत करेगा कि फूल पत्तियों के चढ़ावे की अगरबती-धूप के रूप में रीसाइकल की जाए, जिससे वातावरण प्रदूषण मुक्त होगा और मंदिर की आय में भी बढ़ोतरी होने के साथ-साथ आने वाले समय में व्यवसाय के अवसर भी पैदा होंगे.

बता दें कि अर्थ डे नेटवर्क विश्व भर में पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी के बचाव पर 192 देशों में 75000 सहभागियों के साथ पर्यावरण लोकतंत्र पर काम कर रही है.

Intro:प्रदेश भाषा, कला और संस्कृति विभाग को 36 मंदिर परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय संस्था अर्थ डे नेटवर्क ने सम्मानित किया है। यह सम्मान प्रदेश के मंदिरों को साफ सुथरा ओर प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में बेहतर काम करने के लिए विभाग को दिया गया है। इस पुरस्कार को विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने प्राप्त किया है। उन्होंने इस पुरस्कार के लिए अर्थ डे नेटवर्क का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘अर्थ डे नेटवर्क’ विश्व भर में पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी के बचाव पर 192 देशों में 75000 सहभागियों के साथ पर्यावरण लोकतंत्र पर काम कर रही है।


Body:उन्होंने कहा कि प्रदेश के 36 मंदिर परिसरों में आस्था व सांस्कृतिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनमें ज्वालाजी, बैजनाथ, चिंतपूर्णी आदि मंदिर मुख्य तौर पर शामिल हैं। मंदिर परिसरों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभाग ने समुचित प्रयास किए हैं, जिनमें प्लास्टिक प्रयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश जारी करने के साथ ही सूचना पटट् पर श्रद्धालुओं को प्लास्टिक प्रयोग, उपयोग निषेध है, के बारे सचेत किया जाता है। इसके अलावा मंदिर प्रशासन को निर्देश है कि प्रसाद की मात्रा एक समान रखकर उन्हें जैविक अवक्रमण पदार्थ/सामग्री में रखकर बांटा जाए। धर्म और धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए सफाई कर्मचारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि मंदिर स्थल पर प्रसाद ईधर-उधर न बिखरे बल्कि उसे तुरंत ही इकट्ठा करके पशु पक्षियों को खिला दें। इससे न केवल प्रसाद को पैरों तले आने से निरादर होने से बचाया जा सकता है इसके साथ ही मंदिर परिसर को और अधिक साफ-सुथरा रखा जा सकेगा।


Conclusion:मंदिरों के कूड़े कचरे को किया जाएगा रिसाइकल, फूल पत्तियों का बनेगा धूप अगरबत्ती

प्रदेश के इन 36 मंदिरों में स्वच्छता के साथ ही यहां प्रतिदिन निकलने वाले कचरे को भी रिसाइकल किया जाएगा। डॉ. पूर्णिमा चौहान ने बताया कि इन मंदिरों में हर रोज छोटे ट्रैकटर लोड के बराबर कूड़ा-कचरा एकत्रित हो जाता है, जिसकी मात्रा विशेष अवसरों, त्यौहारो के दौरान और अधिक बढ़ जाती है। इस कचरे को वहीं वर्गीकृत करने के बाद रीसाइकल करने बारे निर्देश जारी किए गए हैं। मंदिर प्रशासन यह भी सुनिश्चत करेगा कि फूल पत्तियों के चढावे की अगरबती-धूप के रूप में रीसाइकल किया जाए, जिससे वातावरण प्रदूषण मुक्त हो तथा मंदिर की आय में भी बढोतरी होने के साथ-साथ व्यवसाय के अवसर भी पैदा हों।
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